भोपाल के एबीएम अस्पताल में काम करने वाली युवती और कुछ मुस्लिम युवकों का बहस करता वीडियो वायरल हुआ था।
दो दिन पहले सोशल मीडिया पर भोपाल के एबीएम अस्पताल में काम करने वाली युवती और कुछ मुस्लिम युवकों का बहस करता हुआ एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो को टैग कर सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा-
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मुस्लिम मरीज का इलाज करने से हिंदू सोनाली चौकसे ने किया मना। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त मुस्लिम बुजुर्ग की मौत हो गई। इस्लामोफोबिया अपने चरम पर।
दरअसल, 2 मिनट 25 सेकेंड की बहस के इस वीडियो में एबीएम अस्पताल की सीईओ सोनाली चौकसे और वासित खान के बीच बहस हो रही है। वासित खान वीडियो में कहता दिखता है कि अस्पताल ने उसके पिता का सही तरीके से इलाज नहीं किया। जवाब में सोनाली चौकसे युवकों से कहती नजर आ रही है कि आप लोग यहां से चले जाएं। आप एक हिंदू युवती पर धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
इस वीडियो को 1800 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया और 3 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया। इस वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स के बीच जमकर बहस हुई। दैनिक भास्कर ने जब इस वायरल वीडियो की पड़ताल की तो पता चला कि सोशल मीडिया पर जैसे इस वीडियो को पेश किया गया, वैसा मामला है ही नहीं।
एबीएम अस्पताल के संचालक वसीम खान ने कहा कि उनके यहां धर्म के आधार पर इलाज में भेदभाव नहीं किया जाता, बल्कि उनके अस्पताल में ज्यादा मुस्लिम वर्ग के लोग ही इलाज के लिए आते हैं। भास्कर ने वीडियो में दिख रही सोनाली चौकसे और शिकायतकर्ता वासित खान से भी बात की। पढ़िए, रिपोर्ट…
ये वही वीडियो है, जो 23 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हुआ था। इसमें सोनाली चौकसे और मुस्लिम युवकों के बीच बहस हो रही है।
पहले जानिए, क्या है पूरा मामला जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, वो 20 नवंबर का है। वीडियो में एबीएम अस्पताल की सीईओ सोनाली चौकसे और वासित खान के बीच बहस हो रही है। वासित खान आरोप लगा रहा है कि उनके पिता का अस्पताल में इलाज नहीं किया गया। इस पर सोनाली चौकसे कहती है कि मुझसे बदतमीजी मत करना। इस पर दोनों के बीच बहस बढ़ती है।
वासित ये कहता नजर आता है कि यह मैडम हम लोगों पर धर्म बदलने का आरोप लगा रही है। इस पर सोनाली चौकसे कहती है, ‘हां मैं भी यही कह रही हूं कि तुम कह रहे थे कि हिंदू लड़की को धर्म बदलना होगा.. बस बात खत्म।’ इसके बाद वासित खान ने पुलिस को इस मामले की शिकायत की।
शिकायत में लिखा- मेरा छोटा भाई सरफराज 18 नवंबर को रात 11.30 बजे पिता का इलाज कराने एबीएम अस्पताल लेकर गया। वहां तैनात डॉक्टर ने पिता का ईसीजी किया और मेरे भाई से कहा कि इन्हें किसी दूसरे अस्पताल लेकर जाओ। इसका कोई साफ कारण नहीं बताया और इलाज करने से मना कर दिया।
मेरे भाई से डॉक्टर की फीस और ईसीजी के लिए 500 रुपए लिए। मेरा भाई पिताजी को चिरायु अस्पताल ले जा रहा था तो रास्ते में उनका इंतकाल हो गया। 20 नवंबर को शाम साढ़े सात बजे मैं एमबीएम अस्पताल गया तो सोनाली चौकसे ने मेरे साथ अभद्र बर्ताव किया। मैंने उनसे इलाज में इनकार करने की वजह पूछी तो कहा- तुम मौलाना हो। चले जाओ, मैं तुम्हें धर्म परिवर्तन के मामले में फंसा दूंगी।
ये वो शिकायत है, जो वासित खान ने पुलिस को दी है।
अब जानिए, क्या है हकीकत
सोनाली बोलीं- आरोप लगाने के अलावा मेरे पास ऑप्शन नहीं था भास्कर ने सबसे पहले एबीएम अस्पताल की सीईओ सोनाली चौकसे से बात की। सोनाली ने बताया- जिस बुजुर्ग को अस्पताल लाया गया था, हमने उनकी जांच की थी। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। परिजन से पूछा तो उन्होंने बताया कि बुजुर्ग पहले से हार्ट पेशेंट थे। उनकी उम्र ज्यादा थी, उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत थी।
हमारे यहां सारे वेंटिलेटर फुल थे। ऐसे में हमने उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी, ताकि उन्हें इलाज मिल सके। हमने बुजुर्ग के परिजन से कोई लाख दो लाख रुपए नहीं मांगे। केवल 500 रुपए चार्ज किए। परिजन जब उन्हें यहां से ले गए, तब उनकी हालत गंभीर थी। बाद में क्या हुआ, मुझे नहीं पता।
वायरल वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स के ऐसे कमेंट्स आए।
तीन दिन बाद 30 लोग आए और हंगामा करने लगे सोनाली बताती हैं कि इस घटना के तीन दिन बाद 25-30 युवक रात को अस्पताल आए और हंगामा मचाने लगे। उनका कहना था कि हमने मुस्लिम होने के चलते उनके मरीज को भर्ती नहीं किया, इसलिए दूसरे अस्पताल पहुंचते समय उनकी मृत्यु हो गई। सोनाली ने बताया- हमारे अस्पताल के डायरेक्टर मुस्लिम हैं। हमारे आधे से अधिक मरीज मुस्लिम होते हैं।
हमने कभी धर्म देखकर किसी का इलाज नहीं किया। न ही कोई अस्पताल ऐसा करता होगा। जो आता है, हम उसका इलाज करते हैं। जिसका नहीं कर सकते उसे दूसरे अस्पताल जाने की सलाह देते हैं। मरीज की जान बचाना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है। इलाज में धर्म के आधार पर भेदभाव करना सोच से परे है।
भास्कर ने सोनाली से पूछा कि धर्म परिवर्तन का आरोप क्यों लगाया तो वे बोलीं- आप ही बताइए, एक महिला के सामने 25-30 युवक आकर खड़े हो जाएं और हंगामा मचाने लगे तो वह क्या करेगी? मैंने काउंटर करने के लिए इस तरह के आरोप लगाए। मैं और क्या कर सकती थी।
सोनाली कहती हैं- मैं दूसरे शहर से यहां आई हूं। मैंने अपने काबिलियत से ये जगह बनाई है। पिछले आठ साल से अस्पताल प्रबंधन का काम संभाल रही हूं।
वासित ने कहा- इलाज न मिलने की शिकायत करने गया था भास्कर ने जब दूसरे पक्ष और शिकायतकर्ता वासित खान से बात की तो उसने कहा, ‘पिताजी सेहतमंद थे। वे परिवार के साथ एक शादी में गए थे। वहां उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी। भाई उन्हें लेकर अस्पताल गया, जहां उनकी जांच की गई। वहां हार्ट रेट 132 निकला। ईसीजी के बाद उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने को कह दिया।’
अस्पताल प्रबंधन वेंटिलेटर खाली न होने की जो बात कर रहा है, वो बाद में जोड़ी है। उस वक्त तो हमें दूसरे अस्पताल ले जाने का कोई कारण ही नहीं बताया था। पिताजी की धड़कनें तेज चल रही थीं। रास्ते में उनकी हालत बिगड़ी और मौत हो गई।
हमारी शिकायत यही है कि यदि उन्हें उसी वक्त कोई इलाज मिलता तो उनकी जान बच जाती। बाद में भले ही किसी और अस्पताल के लिए रेफर कर देते।
वासित खान अपने पिता को इलाज के लिए एबीएम अस्पताल ले गए थे। ये मुस्लिम बाहुल इलाके में स्थित है।
धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोप नहीं लगाए भास्कर ने वासित से पूछा- सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि आप मुस्लिम है इसलिए आपके पिता का इलाज करने से इनकार किया गया। इस पर वासित पिता की ईसीजी रिपोर्ट को देखकर कहते हैं- पापा का ईसीजी तो डॉ. अकील खान ने किया था।
हमने तो कभी नहीं कहा कि धार्मिक आधार पर अस्पताल ने इलाज देने से इनकार किया। हमारी शिकायत तो केवल इतनी है कि अस्पताल ने मामूली जांच के बाद ही पिताजी को दूसरे अस्पताल रेफर करने का कह दिया, वो गलत था।
अस्पताल संचालक बोले- ऐसे आरोप देखकर हैरानी होती है भास्कर ने इस मामले में अस्पताल के संचालक वसीम खान से भी बात की। उन्होंने कहा- सोशल मीडिया पर छोटी सी सूचना से माहौल कैसे खराब किया जाता है, ये घटना उसका उदाहरण है। मैं अस्पताल का मालिक हूं। खुद मुस्लिम हूं। मेरे अस्पताल में 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वर्ग के लोग इलाज कराने आते हैं।
यहां सभी का इलाज होता है। धर्म के आधार पर इलाज में किसी के साथ भेदभाव किया जाता हो, ऐसी किसी ने कभी कोई शिकायत ही नहीं की।
पुलिस बोली- शिकायत पर ही कार्रवाई करते हैं एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र चौहान बताते हैं- सोशल मीडिया पर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के मामले सामने आते हैं। पुलिस कार्रवाई भी करती है। पिछले एक साल में ऐसे 24 मामले दर्ज हुए हैं। जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, इसमें बताया जा रहा है कि मुस्लिम होने के नाते मरीज का इलाज करने से अस्पताल ने इनकार किया तो ये मामला मानहानि और मिस लीडिंग की कैटेगरी में आता है।
यदि धार्मिक भेदभाव का कोई मामला नहीं है तो जिन लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो को गलत तरीके से प्रचारित किया, उनके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। इसके लिए किसी को शिकायत करना पड़ेगी।
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युवक बोला-मां को खरोंच भी आई तो अस्पताल में आग लगा दूंगा
ग्वालियर में सामने आए 50 सेकेंड के वीडियो में दिख रहा युवक डॉक्टरों को धमकी दे रहा है कि मां को खरोंच भी आई तो अस्पताल में आग लगा दूंगा। सोमवार को युवक ने हजीरा स्थित सिविल हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया था। बताया जा रहा है कि इसी दौरान उसने डॉक्टरों को धमकी भरा वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। पूरी खबर पढ़ें…
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