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- Vicky Kaushal Was Seen Overacting Throughout The Film, The Director Presented An Incomplete Story, There Was Only Noise In The Name Of Music
1 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना की मच अवेटेड फिल्म ‘छावा’ आज वेलेंटाइन डे पर रिलीज हो गई है। इस फिल्म में अक्षय खन्ना, डायना पेंटी, आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह की भी अहम भूमिका है। लक्ष्मण उतेकर के डायरेक्शन में बनीं इस फिल्म को मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले दिनेश विजान ने प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 41 मिनट और 50 सेकंड है। दैनिक भास्कर ने इसे 5 में से 1.5 स्टार रेटिंग दी है।
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फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म की शुरुआत अजय देवगन की आवाज में मुगलों और मराठाओं के इतिहास की झलक के साथ होती है। औरंगजेब (अक्षय खन्ना) को खबर मिलती है कि छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं रहे। इस खबर से औरंगजेब बहुत खुश होता है। औरंगजेब को लगता है कि अब वो आराम से मराठा साम्राज्य पर कब्जा कर लेगा।
इस दौरान छत्रपति संभाजी महाराज (विक्की कौशल) मुगलों के सबसे कीमती शहर बुरहानपुर पर आक्रमण करके औरंगजेब की सेना को परास्त कर देता है। इस हार से औरंगजेब तिलमिला उठता है और गुस्से में मराठा साम्राज्य को खत्म करने की कसम खाता है। वो छत्रपति संभाजी महाराज को पकड़ने के लिए अपनी विशाल सेना के साथ मराठा साम्राज्य की तरफ कूच करता है। इस दौरान कहानी में कई दिलचस्प मोड़ आते हैं।
स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
पूरी कहानी विक्की कौशल के किरदार छत्रपति संभाजी महाराज उर्फ छावा के इर्द- गिर्द घूमती है। इस फिल्म में विक्की कौशल को बहुत बड़ा ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला है, लेकिन अपनी ओवरएक्टिंग उन्होंने इस किरदार की गरिमा को धूमिल कर दिया। कुछ दृश्यों को छोड़ दें तो पूरी फिल्म में वो चीखते चिल्लाते ही नजर आए हैं। उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज जैसे वीर योध्या के मर्म को ठीक से नहीं समझा। छत्रपति संभाजी महाराज के किरदार में वो सबसे खराब लगे हैं।
वहीं, अक्षय खन्ना के किरदार में गहराई नजर आती है। फिल्म में भले ही उनके कम डायलॉग हैं, लेकिन जब बोलते हैं। तब बहुत ही सधे हुए बोलते हैं। वो अपने हर लुक में अपनी चुप्पी से ही खौफ पैदा कर देते हैं। रश्मिका मंदाना ने महारानी येसूबाई के किरदार को गहराई दी है। डायना पेंटी ने औरंगजेब की बेटी जीनत-उन-निस्सा बेगम का किरदार निभाया है। उनकी एक्टिंग देखकर लगता है कि उनसे जबरदस्ती एक्टिंग करवाया जा रहा है।
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फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?
फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने विक्की कौशल को फिल्म में ऐसा पेश किया है। जैसे कोई साउथ सिनेमा का स्टार दहाड़ मार रहा हो। एक राजा किस तरह से बात करेगा, उसके चलने का अंदाज कैसा होगा और युद्ध के मैदान में कैसे पेश आएगा। इस पर लक्ष्मण उतेकर को बहुत रिसर्च करने की जरूरत थी। इस फिल्म में आशुतोष राणा ने हंबीरराव मोहिते, दिव्या दत्ता ने राजमाता और विनीत कुमार सिंह ने कवी कलश का किरदार निभाया है। फिल्म के शुरू में ये किरदार समझ में ही नहीं आते हैं।
फिल्म में दिखाया गया है कि मुगल सेना छत्रपति संभाजी महाराज को पकड़कर औरंगजेब के सामने लाती है और उन्हें खूब टार्चर किया जाता है। इसके बाद छत्रपति संभाजी महाराज और उनकी पत्नी महारानी येसूबाई के साथ क्या होता है। फिल्म में नहीं दिखाया गया है। फिल्म में ऐसी बहुत सारी आधी-अधूरी कहानी को पेश किया गया है। जिसे इतिहास के जानकार अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
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फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
इस फिल्म का म्यूजिक बहुत ही सामान्य है। युद्ध के दौरान बैकग्राउंड में जो गीत बजता है। उसे सुनकर ऐसा लगता है कि कान के पास कोई नगाड़े बजा रहा हो। जबकि युद्ध के दौरान बैकग्राउंड में वीर रस के ऐसे गीत होने चाहिए। जिससे सुनकर रगों में जोश भर जाए। फिल्म के बाकी गीत भी ऐसे नहीं है। जो फिल्म देखने के बाद याद रहे। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी सामान्य है।
फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं?
अगर आप इतिहास में थोड़ा भी रुचि रखते हैं तो फिल्म देखने के बाद ठगे हुए महसूस करेंगे। फिर भी अगर इसे अनुभव के तौर पर देखना चाहते हैं, तो थोड़े समय इंतजार करें। ओटीटी प्लेटफार्म पर देखना बेहतर होगा। इससे आपका पैसा और समय दोनों बचेगा।
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2025-02-13 23:30:00
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