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मेडिकल कारोबारी 6 साल से कोमा में: इलाज के लिए प्रॉपर्टी बिकी, अब इंश्योरेंस कंपनी को चुकाना होगा एक करोड़ का क्लेम – Indore News

कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को 3 महीने के भीतर भुगतान करने को कहा है।

इंदौर के मेडिकल कारोबारी को कोर्ट ने एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश किया है। वे 2018 में हुए एक सड़क हादसे के बाद से कोमा में हैं। इन 6 सालों में परिवार ने इलाज पर 11 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। प्राॅपर्टी बेचनी पड़ी। बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई।

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तंगहाली के चलते परिवार को इंदौर छोड़कर शाजापुर के पास गांव में शिफ्ट होना पड़ा। बेटे के ठीक होने की आस में बुजुर्ग मां का भी शनिवार को निधन हो गया। परिजन उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कभी तो मेडिकल कारोबारी को होश आएगा। हालांकि, डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी है कि वे अब स्थायी तौर पर अयोग्य (दिव्यांग) हैं।

मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम किया तो कंपनी ने पैसा देने में आनाकानी की। नतीजतन कोर्ट जाना पड़ा। 4 साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेडिकल कारोबारी के पक्ष में फैसला सुनाया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

मेडिकल कारोबारी भगवत सिंह चंदेल पिछले 6 साल से कोमा में हैं।

रॉन्ग साइड से आ रही बस ने मारी थी टक्कर 16 जून 2018 को इंदौर के नंदबाग निवासी भगवत सिंह चंदेल (45) कार से पत्नी सुनीता को लेने आगर मालवा जा रहे थे। इसी दौरान रात 8.30 बजे इंदौर-कोटा रोड पर उन्हें बस (आरजे 09 पीए 4441) ने तेज गति में रॉन्ग साइड आते हुए टक्कर मार दी। हादसे में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। एम्बुलेंस से आगर के जिला अस्पताल ले जाया गया। स्थिति गंभीर होने पर उज्जैन रेफर किया गया।

फिर वहां से इंदौर के सीएचएल हॉस्पिटल पहुंचाया गया। यहां उनका एक महीने तक इलाज चला। यहां से बॉम्बे हॉस्पिटल रेफर किया गया। इस दौरान 11 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो गए लेकिन वे कोमा से बाहर नहीं आ पाए।

इस बीच मेडिकल बोर्ड ने उनका परीक्षण किया। जिसमें चंदेल के होश में आने की संभावना शून्य बताई। एक अन्य डॉ. सुरेंद्र बापट ने जांच करने के बाद 2 मई 2024 को दी गई रिपोर्ट में चंदेल को स्थायी रूप से दिव्यांग बताया।

प्रॉपर्टी बेचनी पड़ी, इंदौर छोड़कर शाजापुर शिफ्ट हुए भगवत सिंह चंदेल की मेडिकल और सर्जिकल इक्विपमेंट की दुकान थी। उनके कोमा में जाने के बाद यह बंद हो गई। कमाई का और कोई साधन नहीं है। नतीजतन परिवार ने प्राॅपर्टी बेचकर इलाज करवाया। फिर 2019 में इंदौर छोड़ दिया। परिवार उन्हें लेकर अपने गांव शाजापुर आ गया।

भगवत सिंह के भतीजे महेंद्र सिंह ने कहा-

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हाल ही में दादी का निधन हो गया। चाचा भगवत सिंह को इसका पता नहीं है। वे अपनी मां को बहुत ज्यादा चाहते थे। उनकी इस हालत के बाद परिवार का सुख और खुशियां खत्म हो गई हैं।

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हाथ-पैर, कमर में प्लेट डाली गई, एक आंख भी खराब परिवार ने 2020 में सीनियर एडवोकेट अरविंद जैन के माध्यम से जिला कोर्ट में क्लेम केस लगाया। सुनवाई के दौरान परिजन ने इलाज और इनकम के दस्तावेज पेश कर वर्तमान हालात की भी जानकारी दी।

कोर्ट को बताया गया कि भगवत सिंह का 11 माह तक अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चला। वे पूरी तरह बेड पर है। कोमा में होने के कारण ट्यूब से लिक्विड फीडिंग कराई जाती है। उनके कई ऑपरेशन हुए। हाथ-पैर, कमर में प्लेट डाली गई हैं। एक आंख खराब हो गई और सिर का ऑपरेशन कर कांच निकाला गया।

डॉ. सुरेंद्र बापट ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट में लिखा कि चंदेल के सिर की हड्डियां फैक्चर होने से खून का रिसाव होकर थक्के जम गए हैं। उनके सिर में 85%, दायें हाथ में 60%, बायें हाथ में 90%, दायें पैर में 40%, बायें पैर में 90% अपंगता है।

इसके चलते उनकी सर्जिकल और मेडिकल सामान की दुकान बंद हो गई। इससे उन्हें हर साल 3.26 लाख रुपए की आय होती थी। इनकम बंद होने के कारण दोनों बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई। भगवंत सिंह हर साल इनकम टैक्स अदा करते थे। परिवार ने 2013-14 से 2016-17 के इनकम टैक्स भरने के दस्तावेज भी पेश किए गए।

इंश्योरेंस कंपनी को 3 महीने में चुकाने होंगे 1.03 करोड़ रुपए

21 नवंबर 2024 को कोर्ट ने इस मामले में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 1 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में भगवत सिंह की 41 वर्ष की उम्र, भविष्य की संभावनाएं, आगे बढ़ने वाली आमदनी को ध्यान रखा।

अदालत ने भगवत सिंह की स्थायी अपंगता के लिए 55.66 लाख, इलाज के खर्च के लिए 11.20 लाख, शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए 2 लाख, पौष्टिक आहार, अटेंडर और अस्पताल आने-जाने के लिए 1 लाख, भविष्य के इलाज के लिए 6 लाख मिलाकर कुल 77.87 लाख रुपए मुआवजा निर्धारित किया। इंश्योरेंस कंपनी को इस राशि पर 6% ब्याज की राशि सहित कुल 1.03 करोड़ रुपए 3 महीने में भुगतान करने होंगे।​​​​​​​

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