सर्दी में आराध्य देव के शृंगार से लेकर नैवेद्य तक में बदलाव कर दिया गया है। शैव से लेकर वैष्णव मंदिरों में प्रभु की सेवा में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि कहीं उन्हें सर्दी न लगे। इस्कॉन मंदिर में 7 दिसंबर से प्रभु की मान-मनुहार में बदलाव किया जाए
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पहले ही दिन न्यूनतम तापमान 10 डिग्री रहा। दूसरे दिन इसमें और गिरावट दर्ज की गई हालांकि बादलों की जमावट के कारण चौथे दिन न्यूनतम तापमान 16.5 डिग्री पर पहुंच गया है लेकिन शाम ढलने के बाद, मध्य रात्रि और अलसुबह ठंडी हवा महसूस की जा रही है।
सांदीपनि आश्रम : सुबह खिचड़ा, रात को गर्म दूध का भोग
श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम को ऊनी वस्त्र धारण करवाए जा रहे हैं। सांदीपनि के वंशज पंडित रूपम व्यास के अनुसार आश्रम में प्रभु की बाल स्वरूप में सेवा की जाती है। उन्हें रंग-बिरंगी ऊनी वस्त्र धारण करवाए जा रहे हैं। सुबह से लेकर रात तक भोग यानी नैवेद्य में ऐसी वस्तुओं काे शामिल किया जा रहा है, जिनकी तासीर गर्म हो। सुबह जलेबी, बाजरे का खिचड़ा, रात काे गर्म केसरिया दूध अर्पित किया जा रहा है।
इस्कॉन : 7 से प्रभु काे धारण कराएंगे गर्म वस्त्र भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में 7 दिसंबर से प्रभु को ऊनी वस्त्र धारण करवा जाएंगे। पीआरओ राघव पंडित दास के अनुसार प्रभु के शृंगार में ऐसी वस्तुओं को शामिल करेंगे, जो अपेक्षाकृत गर्म हो। शाम की आरती शाम को 7 बजे के स्थान पर 6.30 बजे की जाएगी। इसी तरह शयन आरती का समय रात 9 बजे से बदलकर 8.30 बजे किया जाएगा। मंदिर के पट बंद करने का समय रात 9.15 बजे की जगह 8.45 बजे कर दिया जाएगा।
पुष्टिमार्गीय हवेलियों, महाप्रभुजी बैठक : आरती में तापने की सेवा पुष्टिमार्गीय मंदिरों श्रीनाथजी की हवेली ढाबारोड, मदनमोहनजी की हवेली रामजी की गली, गोवर्धननाथजी हवेली कार्तिक चौक, पुरुषोत्तम नाथजी की हवेली गोलामंडी के साथ अंकपात मार्ग स्थित महाप्रभुजी की बैठक में मंगला और शयन आरती में सिगड़ी रखी जा रही है। ट्रस्टी विट्ठल नागर ने कहा कि प्रभु के शृंगार में हेवी ज्वेलरी की जगह सोने, चांदी, माणिक धारण करवाए जा रहे हैं। माला छोड़कर फूलों का उपयोग नहीं कर रहे। केवल हिना का इत्र ही लगाया जा रहा है। दरवाजे, खिड़कियों पर डगल यानी रुई की रजाई धराई जा रही है।
महाकाल : गर्म जल से करवा रहे स्नान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्मआरती में दौरान गर्म जल की सेवा की जा रही है। पुजारी प्रदीप गुरु के अनुसार यह क्रम कार्तिक माह से शुरू हो गया है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक से सर्दी की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में प्रभु को ठंडे जल की जगह गर्म जल से स्नान करवाया जाता है। शुरुआत में पुजारी की ओर से एक लोटा गर्म जल अर्पित करने के बाद ही पूजन किया जाता है।
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