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‘यूनियन कार्बाइड कचरे से लोगों को नुकसान नहीं’: कमिश्नर ने दिलाया भरोसा; कहा- कचरा जलाने के दौरान मैं खुद रहूंगा मौजूद – Indore News

इंदौर कमिश्नर दीपक सिंह ने मीडिया से संवाद किया।

यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर जनमानस को कोई खतरा नहीं है। इस कचरे को 40 साल से ज्यादा हो गए हैं। इसमें मिट्‌टी, केमिकल के जो अवशेष हैं उसका प्रभाव पूरी तरह खत्म हो गया है। हम जनसंवाद के माध्यम से 10 हजार से ज्यादा लोगों की भ्रा

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ये बातें इंदौर कमिश्नर दीपक सिंह ने मंगलवार को मीडिया से संवाद में कहीं। उन्होंने स्लाइड और वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से कचरा जलाने की पूरी प्रोसेस को बताया। इसके साथ ही स्पष्ट किया कि इसके जलने के बाद मिट्‌टी, पानी और वायु में इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा। लोग इससे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। इस मामले में कैंसर स्पेशलिस्ट्स द्वारा भविष्य में कैंसर से जैसे दुष्परिणाम के बयानों को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका जवाब हाईकोर्ट के आदेश में साफ है। जहां तक बयान की बात है लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात करने का अधिकार है, बशर्ते वह प्रमाणित हो। इस कचरे के जलाने से कुछ भी नुकसान नहीं है।

40 सालों में प्रभाव खत्म उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड कचरे में अब परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक अवशेष), नेफ्थाल अवशेष और सेमीप्रोसेस्ड अवशेष हैं। भोपाल गैस त्रासदी लगभग 40 वर्ष पहले 1984 में घटित हुई थी। वैज्ञानिक प्रमाण अनुसार सेविन और नेफ्थॉल दोनों रसायनों का प्रभाव अब लगभग नगण्य हो चुका है। वर्तमान में इस कचरे में मिथाइल-आइसोसाइनेट गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी प्रकार के रेडियोएक्टिव कण भी नहीं हैं।

अवशेष का एक भी कण पानी में नहीं जाएगा दीपक सिंह ने कहा कि 2015 में जलाए गए कचरे की वैज्ञानिक रिपोर्ट भारत के सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्थान जैसे नीरी (NEERI), ICT, NGRI के मार्गदर्शन में बनाई गई थी। इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है। इस रिपोर्ट पर आमजन पूर्ण रूप से विश्वास करें। इस रिपोर्ट से यह समाधान होता है की जब भी पूरा कचरा जलाया जाएगा तब भी चिमनी से निकलने वाले सभी गैस, पदार्थ मानक सीमा से कम निकलेंगे और इनका पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जलाने की प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले अवशेषों को सिक्योर्ड लैंड फिल में सुरक्षित तरीके से दफनाया जोगा। इस अवशेष का एक कण भी भू जल में प्रवेश नहीं करेगा।

प्रदूषण बोर्ड नियमित करेगा मॉनिटरिंग कमिश्नर ने कहा कि कचरा जलाने की मॉनिटरिंग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाएगी। चिमनी से निकलने वाली फ्लू गैसेस की जांच के लिए ऑन लाइन सतत उत्सर्जन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित है। इससे प्रदूषकों की जांच ऑनलाइन होगी। प्लांट के आसपास पूरे क्षेत्र में भी जल, वायु की निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी।

कचरा जलाने का जलवायु और आमजन के स्वास्थ्य पर कई वर्षों बाद भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं। इसको सुनिश्चित करने के लिए कचरा जलाने के बाद भी नियमित जल वायु की गुणवत्ता जांच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाएगी। यह जानकारी आमजन से भी साझा की जाएगी।

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