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यूनियन कार्बाइड के कचरे पर हाई कोर्ट में सुनवाई: जहरीला कचरा निपटाने के लिए छह हफ्ते मिले, कंटेनर खाली कर सकेंगे – Bhopal News

सरकार ने कहा- कचरा जलाने से पहले जनता को विश्वास में लेंगे

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यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने के लिए राज्य सरकार को हाई कोर्ट से 6 सप्ताह की मोहलत मिली है। पीथमपुर में बवाल के बीच सोमवार को मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन खंडपीठ के समक्ष सरकार ने हलफनामा पेश किया। इसमें कहा गया कि हम पहले पीथमपुर और आसपास की जनता का विश्वास जीतेंगे, इसके बाद कचरा जलाया जाएगा। इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह का वक्त दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

शासन की ओर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने हलफनामा पेश किया। इसमें रासायनिक कचरे को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल से पीथमपुर लाने की जानकारी दी गई। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट से 5 बार अनुरोध किया कि 1 जनवरी से पीथमपुर में ट्रकों पर कंटेनर खड़े हैं। कम से कम कंटेनर को उतारने के आदेश दिए जाएं। हाई कोर्ट ने पहले कहा कि हर काम के लिए आपको कोर्ट के आदेश की जरूरत क्यों है? हमने दिसंबर में कह दिया कि कचरा लोड कीजिए और निस्तारण कीजिए।

महाधिवक्ता कंटेनर उत्तरवाने के लिए आदेश लिखित में देने का आग्रह करते रहे। आखिर में कोर्ट ने कहा कि कंटेनर को उतारने के लिए अलग से आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं है। यह सरकार का विशेषाधिकार है। वह खुद इस मामले में निर्णय ले। बता दें कि 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद से 337 मीट्रिक टन रासायनिक कचरा यूनियन कार्बाइड परिसर में रखा था। इसे 1 जनवरी को ही निस्तारण के लिए पीथमपुर भेजा गया।

सरकार बोली– अफवाहों के कारण बनी विवाद की स्थिति, कोर्ट ने कहा- फेक व गलत सूचना प्रकाशित नहीं करें

  • हाई कोर्ट में दिए हलफनामे में सरकार ने कहा कि मिसपब्लिसिटी और फेक न्यूज के कारण कचरा जलाने को लेकर विवाद की स्थिति बनी।
  • महाधिवक्ता ने बताया कि कुछ शरारती तत्वों ने अपने निहित स्वार्थ के कारण गलत जानकारियां दी। इसलिए हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए जनता में फैली गलत जानकारी दूर करने और उन्हें भरोसे में लेने के लिए समय दिया जाए।
  • हाई कोर्ट ने मीडिया को पीथमपुर संयंत्र में रासायनिक कचरे के निपटान के संबंध में कोई भी फर्जी खबर या गलत सूचना प्रकाशित नहीं करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस ने हिदायत दी कि ऐसी खबर प्रकाशित न करें, जो किसी आधार/साक्ष्य पर आधारित नहीं हो। सोशल मीडिया पर भी ध्यान दें।

यह भी मुद्दा… पहले 14.80 रुपए में जला कचरा, अब 3700 रु./किलो सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि 2005 मैं महज 14.80 रुपए प्रति किलो की दर से कचरा जलाया गया, पर अब इसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है। पीथमपुर में अब जो कचरा जलेगा उसकी दर 3700 रु./प्रति किलो रहेगी। एकदम से दरों में इतना इजाफा कैसे किया जा सकता है’ हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस बात के लिए अलग से जनहित याचिका दायर की जा सकती है।

डॉक्टर्स बोले… कचरे के निस्तारण से खतरा, कोर्ट ने कहा- सरकार को बताएं इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के एलुमिनाई ने भी याचिका दायर कर कहा कि क्षेत्रीय लोगों को विश्वास में लिए बिना भोपाल से कचरा लाया गया। इसका निस्तारण करने से रहवासियों को खतरा हो सकता है। हाई कोर्ट ने सरकार के समक्ष पक्ष रखने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट सुनील कुमार जैन ने बात रखी। भोपाल गैस पीड़ित संघ की ओर से नमन नागरथ ने पैरवी की।

इधर, सुप्रीम कोर्ट का कचरे पर सुनवाई से इनकार यूनियन कार्बाइड का कचरा नष्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुझ्यां की पीठ ने कहा कि यह मामला जब हाई कोर्ट में पहले से चल रहा है तो हम इसे जनहित याचिका के तौर पर नहीं सुन सकते।

अगर याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के किसी आदेश से प्रभावित है तो वह उसे चुनौती दे सकता है। अगर ऐसा नहीं है तो वह अपनी बात हाई कोर्ट के समक्ष जाकर रखे। इसके बाद इंदौर के याचिकाकर्ता विनय मिश्रा ने अपनी याचिका वापस ले ली।

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