दिमाग को पढ़ने वाले हेलमेट के जरिए ऐसे लोगों की मदद की जा सकेगी जो अंदर से बीमार हैं लेकिन किसी से बात कह नहीं पाते हैं। जैसे कि पैरालिसिस या स्ट्रोक के पेशेंट, जो दूसरों से बात नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा इससे इंसानों और मशीनों के बीच में बेहतर संपर्क साधने में मदद मिलेगी। जिससे आने वाले समय में रोबोट्स, बायोनिक आर्म्स वगैरह को कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी।
ये कैसे काम करता है, ये भी जान लें। दरअसल प्रयोग के दौरान भागीदारों ने सिर पर ये हेलमेट पहना और किताब से कुछ पढ़ना शुरू किया। हेलमेट में इलेक्ट्रोएंसीफेलोग्राम लगा है जिसे EEG भी कहते हैं। यह दिमाग में चल रही विद्युतीय गतिविधि को खोपड़ी की त्वचा के माध्यम से कैप्चर करता है। इसमें सेंसर लगे हैं। जैसे ही व्यक्ति कुछ सोचने लगता है, सेंसर अपना काम शुरू कर देते हैं। ये ब्रेन वेव को रिकॉर्ड करते हैं और उसके बाद इन वेव्स को टेक्स्ट में बदल देते हैं जो कि ओरिजनल टेक्स्ट से काफी मिलता जुलता होता है। यानी पता लग जाता है कि इंसान के दिमाग में क्या विचार चल रहा था।
रिसर्च के प्रमुख सीटी लिन के मुताबिक, यह शोध बताता है कि उन्होंने EEG वेव्स को सीधे लैंग्वेज में बदलने का अपनी तरह का पहला काम किया है। यह इस क्षेत्र में क्रांति ला देगा। इससे न्यूरोसाइंस के नए आयाम खुलेंगे और AI की मदद से इसमें बहुत प्रगति की जा सकती है। कहा गया है कि 29 लोगों ने इसमें भाग लिया था। जिसमें से 40% रिजल्ट्स में शोधकर्ताओं ने सफलता पाई है।
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2023-12-20 06:09:31
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