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रायसेन में न्यू ईयर सेलिब्रेशन की तैयारियां पूरी: रातभर मनाया जाएगा जश्न, धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में पहुंचेंगे लोग – Raisen News

रायसेन में धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर न्यू ईयर मनाने पहुंचेंगे लोग।

रायसेन में मंगलवार को न्यू ईयर सेलिब्रेशन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। नए साल के मौके पर रातभर जश्न मनाया जाएगा। वहीं बुधवार को जिले में मौजूद आधा दर्जन से ज्यादा धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच सकते है।

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इनमें विश्व पर्यटन स्थल सांची स्तूप, भोजपुर शिव मंदिर, भीमबेटका,छिंद धाम, जमगढ़ की गुफा, किला, हजरत पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह शरीफ शामिल हैं।

अध्यात्म के लिए मशहूर है सांची भोपाल से 40 किलोमीटर दूर सांची शहर हैं। ये साल 1989 में यूनेस्को की सूची में शामिल हुआ था। सांची में गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्य महामोदगलयन व सारीकपुत्र के अस्ति कलश और सम्राट अशोक सांची स्तूप मौजूद हैं।

सांची आध्यात्मिक स्थल महात्मा गौतम बुद्ध की श्रुतियों की जानकारी देता है। वही सांची से लगभग 15 किलोमीटर दूर सतधारा के भी स्तूप मौजूद है, जहां पर गौतम बुद्ध के अस्थि कलशों की खोज की गई थी।

सांची महात्मा गौतम बुद्ध की श्रुतियों की जानकारी देता है।

आदि-मानव काल में बनाया गया भीमबेटका भोपाल से 40 किलोमीटर दूर भीमबेटका है। ये आदि-मानव के बनाए गए शैलचित्रों के लिए मशहूर है। ये चित्र 10 से 30 हजार साल पुराने माने जाते हैं, जो मानव सभ्यता का इतिहास बताते हैं। इसे यूनेस्को ने 2003 में अपनी सूची में शामिल किया था।

आदि मानव काल में बनाया गया भीमबेटका।

आदि मानव काल में बनाया गया भीमबेटका।

भीमबेटका शैलचित्रों के लिए मशहूर है।

भीमबेटका शैलचित्रों के लिए मशहूर है।

विशालकाय शिवलिंग के लिए मशहूर भोजपुर मंदिर भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर गांव में भोजेश्वर महादेव का मंदिर हैं। ये मंदिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वत मालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर है। मंदिर का निमार्ण और शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज ने करवाई थी। इस मंदिर की खास बात है कि यहां एक ही पत्थर से बनाया गया विशालकाय शिवलिंग है।

भोजपुर मन्दिर विशालकाय शिवलिंग के लिए जाना जाता है।

भोजपुर मन्दिर विशालकाय शिवलिंग के लिए जाना जाता है।

जल प्रबंधन के लिए मशहूर रायसेन का किला भोपाल से सटा रायसेन शहर का किला परमार राजवंश के राजा राय पिथौरा ने इस किले को 800 साल पहले बनवाया था। ये किला अपने ऐतिहासिक जल प्रबंधन के लिए जाना जाता है। इसमें इत्र महल, बादल महल, रानी महल के साथ एक दर्जन से अधिक बावड़िया मौजूद है।

800 साल पहले परमार राजवंश के राजा राय पिथौरा ने रायसेन का किला बनवाया था।

800 साल पहले परमार राजवंश के राजा राय पिथौरा ने रायसेन का किला बनवाया था।

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