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राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड पुलिस की ज्योति ने दिलाया राज्य को पहला ब्रॉन्ज

राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड पुलिस की ज्योति ने दिलाया राज्य को पहला ब्रॉन्ज

Agency:News18 Uttarakhand

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National Games Uttarakhand : चीनी मार्शल आर्ट वुशू में उत्तराखंड पुलिस में तैनात बागेश्वर की बेटी ज्योति वर्मा ने प्रदेश के लिए पहला ब्रॉन्ज मेडल जीता है.

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चीन के पारम्परिक खेल वुशू में उत्तराखंड के खिलाड़ी ने जीता गोल्ड मेडल

हाइलाइट्स

  • ज्योति वर्मा ने राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड को पहला ब्रॉन्ज दिलाया.
  • ज्योति ने पहाड़ों में सुविधाओं की कमी के बावजूद खेतों में प्रैक्टिस की.
  • विषम कश्यप ने अस्थमा से लड़कर वुशू में ब्रॉन्ज मेडल जीता.

देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया जा रहा है. यहां के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में ये गेम्स हो रहे हैं. यहां देशभर से पहुंचे खिलाड़ी अपना दमखम दिखा रहे हैं. देवभूमि के खिलाड़ी भी परचम लहरा रहे हैं. चीनी मार्शल आर्ट वुशू में उत्तराखंड पुलिस में तैनात बागेश्वर की बेटी ज्योति वर्मा ने उत्तराखंड की झोली में पहला ब्रॉन्ज मेडल डाला. अचोम तपश ने भी वुशू में गोल्ड मेडल जीता है.

अचोम तपश मूल रूप से मणिपुर के रहने वाले हैं, जो देहरादून में रहकर ग्रेजुएशन और नौकरी कर रहे हैं. अचोम का कहना है कि वे बचपन से ही फिल्मों में मार्शल आर्ट्स देखते आए हैं. उन्हें फाइटिंग सीन काफी पसंद आते थे. उन्हें जैकी चैन की कुछ फिल्में देखीं तो वुशू के बारे में पता चला. नौकरी और पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने इस खेल की ट्रेनिंग भी शुरू कर दी. अचोम का सपना है कि वे एशियन गेम्स के लिए भारत की ओर से खेलें.

उधर, बागेश्वर जिले के कांडा गांव की रहने वाली उत्तराखंड पुलिस में तैनात ज्योति वर्मा ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में सुविधाओं की कमी होती है. वे अपने माता-पिता की पहली संतान हैं इसीलिए उन पर परिवार की जिम्मेदारी भी है. उन्होंने उत्तराखंड पुलिस की तैयारी कर 2016 में एग्जाम पास किया. अपने ही गृह क्षेत्र में उनकी तैनाती हुई. ड्यूटी के साथ-साथ उन्होंने वुशू की ट्रेनिंग भी लेना शुरू कर दिया.

खेतों में प्रैक्टिस

ज्योति बताती हैं कि उनके पहाड़ में मैदान नहीं होते हैं तो खिलाड़ियों को खुद ही अपने रास्ते निकालने पड़ते हैं. उनके पिता राजेंद्र लाल वर्मा उन्हें हमेशा प्रेरित करते रहे. ज्योति बताती हैं कि उनके यहां कोई प्लेग्राउंड नहीं था इसीलिए उन्हें खेतों में ही प्रैक्टिस करनी पड़ती थी. बिना जूते रनिंग करनी पड़ती थी.

अस्थमा से लड़कर जीता मेडल

वुशू में हरिद्वार के विषम कश्यप ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीता. वे बचपन में बहुत बीमार रहा करते थे. उन्हें अस्थमा की बीमारी थी. सांस फूलना और खांसी जैसे दिक्कतें होती थीं, जिसके बाद उनकी मां ने उन्हें गेम्स में जाने के लिए कहा. सेल्फ डिफेंस और फिटनेस के लिए उन्हें वुशू पसंद आया. हालांकि उन्हें पहले थोड़ी दिक्कतें हुईं लेकिन वह बाद में अपनी इस बीमारी से जीत गए. विषम इससे पहले भी सिंगापुर में आयोजित वुशु की ताओलू अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर आए थे. वुशू चीन की पारंपरिक मार्शल आर्ट है, जो सदियों पुरानी है. उत्तराखंड के खिलाड़ी इसमें परचम लहरा रहे हैं.

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