इंदौर के सिका कॉलेज में गुरुवार को भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रकोष्ठ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध चिंतक शंकरानंद बीआर ने कहा कि देश को
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उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कर्तव्य पालन की महत्ता पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि कर्तव्य को व्यक्ति, काल, पदार्थ और परिस्थिति के अनुसार तय किया जाता है। जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होने पर ही कर्तव्य का निर्धारण होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग समाज कल्याण के लिए काम करते हैं, वे अपनी चेतना को उच्च स्तर तक ले जा सकते हैं। शिक्षा के माध्यम से समाज के प्रत्येक व्यक्ति का उत्थान संभव है।
मुख्य वक्ता शंकरानंद बीआर का सम्मान करते पदाधिकारी
कार्यक्रम में सिका एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन पी बाबूजी, मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. आर श्रीधर, ट्रेजरर ट्रस्टी एस गणेश, ट्रस्टी के गिरिधरन, भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त महामंत्री पंकज नाफड़े, क्षेत्र संगठन मंत्री कौशल प्रताप सिंह, डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, डॉ. माया इंगले, भारतीय शिक्षण मंडल मालवा प्रांत की उपाध्यक्ष एवं मध्य क्षेत्र संयोजक तथा इंदौर महानगर के अध्यक्ष सुधांशु विजयवर्गीय सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
![समारोह में उपस्थित प्रबुद्धजन](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2025/02/15/91aec210-7b1f-4080-b35b-4789556789ad_1739599689607.jpg)
समारोह में उपस्थित प्रबुद्धजन
सिका एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन पी बाबूजी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसलिए शामिल किया गया है ताकि भारतीय ज्ञान परंपरा का विकास हो और भारत विश्वगुरु बन सके। इससे पहले कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए प्राचार्य डाॅ. गुंजन शुक्ला ने कहा कि सत्य पूर्ण एवं वैज्ञानिक आधार पर ही हम भारतीय परंपरा को आगे बढ़ा सकते हैं। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया गया और उन्हें तुलसी का पौधा और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रो प्रतिभा सारस्वत ने किया। कार्यक्रम के बाद मुख्य वक्ता शंकरानंद बीआर एवं अन्य अतिथियों ने सिका कॉलेज के परिसर में पौधारोपण किया।
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