रीवा में कोदो खाने से लगातार लोगों के बीमार होने के मामले सामने आ रहे हैं। अब तक दो लोगों की मौत भी हो चुकी है, पिछले एक माह में 12 लोग भर्ती किए जा चुके हैं। हालांकि कोदो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मिलेट्स माना जाता है। लेकिन, डॉक्टर्स के मुताबिक उसका
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संजय गांधी अस्पताल के सीएमओ यत्नेश त्रिपाठी ने बताया वृद्ध पति-पत्नी जिन्होंने कोदो खाया था। उन्हें बीमार होने पर 19 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां इलाज के दौरान पत्नी की मौत 20 दिसंबर को हो गई। जबकि, पति की मौत 22 दिसंबर को हुई। मृतक मानवती और कन्हाई सेमरिया थाना क्षेत्र के रहने वाले थे।
सीएमओ ने बताया कि 27 दिन पहले भी कोदो खाने से मनगंवा निवासी रामदुलारी साकेत, बाल्मीकी साकेत और अक्षय लाल साकेत बीमार हो गए थे। हालांकि कोदो महत्वपूर्ण और फायदेमंद पारंपरिक मिलेट्स है। लेकिन, कुछ लोग कई साल पुराने फंगस युक्त कोदो का उपयोग कर रहे हैं। वह भी एक कारण हो सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर दीपक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वैसे तो कोदो एंटीऑक्सीडेंट और फास्फोरस से भरपूर और बेहद कम कोलेस्ट्रॉल वाला फायदेमंद मिलेट्स है। जिसे सरकार भी प्रमोट कर रही है। लेकिन, पुराने समय में कोदो को खाने की एक विधि होती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे कूट कर खाया करते थे।
उन्हाेंने बताया कि लाल परत और हरी परत वाला कोदो हानिकारक है। कोदो का उपयोग करते समय हमेशा लाल परत को निकालकर उसका उपयोग करना चाहिए। क्योंकि, लाल परत फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकती है।
कोदो के ऊपर एक हरी परत तब बनती है, जब कोदो बहुत ज्यादा पुराना हो या उसमें नमी और फंगस आ जाती है। ऐसे कोदो का प्रयोग करने से भी व्यक्ति बीमार हो जाता है। अगर कोदो बहुत अधिक पुराना हो गया है, तो उसका उपयोग नहीं करना चाहिए। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो वे फूड प्वाइजनिंग और बीमार होने से बच सकते हैं।
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