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रूसी हमले के डर से यूक्रेन में अमेरिकी एम्बेसी बंद: फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे ने नागरिकों को युद्ध के लिए अलर्ट किया

कीव4 मिनट पहले

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अमेरिका ने यूक्रेन की राजधानी कीव में बुधवार को अपनी एम्बेसी बंद कर दी है। USA के स्टेट काउंसलर डिपार्टमेंट ने मंगलवार रात इसका ऐलान किया। कीव स्थित अमेरिकी एम्बेसी ने कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि रूस बुधवार को हवाई हमला कर सकता है, इसलिए एहतियात बरतने के लिए ये कदम उठाया गया है।

एम्बेसी ने अपने कर्मचारियों को सुरक्षित जगह पर रहने को कहा है। इसके साथ ही यूक्रेन में रहने वाले अमेरिकी यात्रियों को भी सावधानी बरतने को कहा है और किसी खतरे की स्थिति में सुरक्षित जगह पर जाने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।

बाइडेन प्रशासन ने 3 दिन पहले यूक्रेन को लंबी दूरी के मिसाइल का रूस में इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। वहीं, दोनों पक्षों में तनाव बढ़ने के बाद नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड ने अपने नागरिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने कहा है।

ये पर्चा स्वीडन में सोमवार से बांटा जा रहा है। पर्चे पर लिखा है- 'जंग की स्थिति में'। इसमें लोगों को जंग से बचने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

ये पर्चा स्वीडन में सोमवार से बांटा जा रहा है। पर्चे पर लिखा है- ‘जंग की स्थिति में’। इसमें लोगों को जंग से बचने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

स्वीडन और नॉर्वे में पर्चे बांटकर लोगों को अलर्ट किया गया रूस की धमकी से 3 नॉर्डिक देशों नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड में दहशत का माहौल है। उन्होंने अपने नागरिकों से जरूरी सामनों का स्टॉक रखने और अपने सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।

नाटो के संस्थापक देशों में से एक नॉर्वे की 195 किमी की सीमा रूस से जुड़ी हुई है। उसने पर्चे बांटकर अपने नागरिकों को युद्ध को लेकर आगाह किया है। वहीं, स्वीडन ने भी अपने 52 लाख से ज्यादा नागरिकों को पर्चे भेजे हैं। उन्होंने परमाणु युद्ध के दौरान विकिरण से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आयोडीन की गोलियां रखने के निर्देश दिए हैं।

बिजली कटौती के हिसाब से पावर बैकअप रखने के निर्देश फिनलैंड की रूस के साथ 1340 किमी से ज्यादा सीमा जुड़ी हुई है। फिनलैंड सरकार ने युद्ध की स्थिति में आम लोगों की मदद के लिए नई वेबसाइट लॉन्च की है। फिनलैंड के ऑनलाइन संदेश में कहा कि यदि देश पर हमला होता है तो सरकार क्या करेगी। साथ ही, फिनलैंड ने अपने नागरिकों से युद्ध के चलते बिजली कटौती से निपटने के लिए बैक-अप पावर सप्लाई की व्यवस्था रखने को कहा है। लोगों से कम ऊर्जा में पकने वाले खाद्य पदार्थ तैयार रखने को कहा है। फिनलैंड 2023 में नाटो में शामिल हुआ था।

NATO के सबसे नए सदस्य स्वीडन की बॉर्डर रूस से जुड़ी हुई नहीं है, फिर भी उसने अपने नागरिकों के लिए युद्ध की स्थिति के लिए गाइडलाइन से जुड़ी एक बुकलेट ‘इन केस ऑफ क्राइसिस ઑऑफ वार’ जारी की है। इसमें कहा है कि युद्ध की आपात स्थिति से निपटने के लिए 72 घंटे के लिए भोजन और पीने का पानी स्टोर करके रखे। स्वीडन नागरिकों को आलू, गोभी, गाजर और अंडे आदि का पर्याप्त स्टॉक रखने का सुझाव दिया है।

यूक्रेन ने रूस पर पहली बार अमेरिकी मिसाइल दागीं रूस ने मंगलवार को दावा किया था कि यूक्रेन ने पहली बार अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलें उनके इलाके में दागी हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन ने मंगलवार सुबह ब्रियांस्क इलाके में लंबी दूरी वाली 6 आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दागीं।

रूस ने कहा कि उन्होंने 5 मिसाइलों को मार गिराया है। रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों ने भी रूस पर ATACMS का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि की है।

ATACMS एक सुपरसॉनिक बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है। यह 300 किमी तक सटीक हमला कर सकता है।

बाइडेन ने सोमवार को यूक्रेन को 300 किमी रेंज की ATACMS मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी दी थी। इसके बाद यूक्रेन ने मंगलवार को रूस पर मिसाइलों दागीं। यूक्रेन के रूस पर हमले से कुछ ही घंटे पहले राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत देने से जुड़े एक फैसले को मंजूरी दी थी।

नए नियम के मुताबिक अगर कोई देश जिसके पास परमाणु हथियार नहीं हैं, अगर वो किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से रूस पर हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग का ऐलान समझा जाएगा। ऐसी स्थिति में मॉस्को न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।

पूर्व रूसी राष्ट्रपति बोले- तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हुई रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। मेदवेदेव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के भीतर मिसाइल हमला करने की अनुमति देकर इसकी शुरुआत कर दी है।

मेदवेदेव ने कहा कि बाइडेन चाहते हैं कि आधी दुनिया न्यूक्लियर हमले में खत्म हो जाए। बाइडेन प्रशासन रूस को उकसाने के लिए जानबूझकर ऐसे फैसले ले रहा है। ट्रम्प टीम को इससे निपटना होगा।

पूर्व रूसी राष्ट्रपति ने कहा-

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बाइडेन के फैसले की वजह से ही रूस को नए परमाणु सिद्धांत को बदलने की जरूरत पड़ी है। इसका मतलब है कि हमारे देश के खिलाफ दागी गईं नाटो की मिसाइलों को रूस पर हमला माना जाएगा। रूस, यूक्रेन या फिर किसी भी नाटो देशों के खिलाफ न्यूक्लियर हथियारों से हमला कर सकता है।

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दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि अमेरिका के फैसले से यूक्रेन जंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि अमेरिका के फैसले से यूक्रेन जंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बाइडेन के इस फैसले से यूक्रेनी पलड़ा भारी होगा

बाइडेन ने अभी तक यूक्रेन को ATACMS मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी थी। इसके 3 कारण थे। पहला- अमेरिका के पास ATACMS का स्टॉक सीमित है। दूसरा- यूक्रेनी ठिकानों पर ग्लाइड बम दागने वाले 90% रूसी जेट पहले ही ATACMS की रेंज से बाहर जा चुके थे। तीसरा- तनाव बढ़ने का खतरा था।

अब मंजूरी से जरिए रूस के कुर्स्क में कब्जा जमाए बैठे यूक्रेनी सैनिकों की रक्षा की जा सकेगी। यूक्रेनी सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इससे युद्ध की दिशा में कोई परिवर्तन तो नहीं आएगा, लेकिन संतुलन स्थापित हो जाएगा। यूक्रेन का पलड़ा भारी होगा। बाइडेन का अनुमान है कि पुतिन अगले साल ट्रम्प के साथ सौदा करने की संभावना को खुला रखने के लिए आक्रामक तरीके से जवाब नहीं देंगे।

बाल्टिक सागर में इंटरनेट केबल कटी, ‘हाइब्रिड युद्ध’ की चिंता: यूक्रेन युद्ध का तनाव समुद्र तक पहुंच गया है। जर्मनी और फिनलैंड ने बाल्टिक सागर में दो संचार केबलों के कटने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि ये घटनाएं 17 और 18 नवंबर की है, जिनकी जांच शुरू कर दी गई है। बाल्टिक सागर एक अहम शिपिंग रूट है, जिसके चारों ओर 9 देश स्थित है। इस घटना से हाइब्रिड युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

बाइडेन के फैसले से NATO और EU के 2 सदस्य देश स्लोवाकिया और हंगरी नाराज

स्लोवाकिया के राष्ट्रपति रॉबर्ट फिको ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के यूक्रेन को ATACMS मिसाइलें देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा- पश्चिम चाहता है कि किसी भी कीमत पर यूक्रेन युद्ध जारी रहे।

हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो ने कहा है कि युद्धोन्माद फैलाने के लिए बाइडेन जनमत की अनदेखी कर रहे हैं। बता दें कि स्लोवाकिया और हंगरी दोनों देश नाटो के मेंबर होने के साथ ईयू में भी शामिल हैं।

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