एक नाबालिग लड़की के साथ नाबालिग लड़के ने दुष्कर्म कर दिया। एफआईआर करने पर आरोपी के परिवार वाले लड़की को धमकाने लगे तो लड़की के माता-पिता ने बाल कल्याण समिति से गुहार लगाई। समिति ने पीड़िता को निराश्रित बच्चों की संस्था जीवोदय के सुपुर्द कर दिया। जीवोदय न
.
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नर्मदापुरम जिले की इटारसी का यह मामला उठाकर धर्मांतरण के आरोप लगाए हैं। तीन दिन पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर इसको लेकर पोस्ट किया। इसके बाद भास्कर टीम ने उस लड़की के परिवार से बात की और पूरे मामले की पड़ताल की।
एक माह पहले जब ये मामला सामने आया था तब हिंदू संगठनों ने ईसाई मिशनरी की संस्था पर कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
क्या है पूरा मामला, पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट…
दैनिक भास्कर की टीम नर्मदापुरम जिले के इटारसी में रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर एक बस्ती में थोड़ी पूछताछ के बाद एक कच्चे घर में पहुंची। इस घर में रेप पीड़िता की मां मिली। पति स्टेशन पर छोटा-मोटा काम करके लोगों से जीने-खाने भर पैसे मांगते हैं। दोनों आंखों से देख नहीं सकते, बेटी की हालत भी नहीं देख सकते लेकिन महसूस करके तड़प उठते हैं।
रेप पीड़िता की मां ने बताया कि दो साल पहले हम जहां रहते थे वहीं पास में लड़के का परिवार रहता था। लड़के ने बेटी को बहला-फुसला लिया, हमें पता नहीं चला, जब पता चला तो एफआइआर की। लड़के की उम्र तब 16 साल थी और हमारी बेटी की उम्र 14 साल।
जीवोदय से गायब हुई लड़की, गुमशुदगी छिपाई
माता-पिता बेटी की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो ही रहे थे कि इस साल करीब छह महीने पहले आरोपी लड़के को बाल सुधार गृह से जमानत मिल गई। इसके बाद उसने लड़की को समझौते के लिए बरगलाना शुरू कर दिया। इस बीच 21 सितंबर 2024 को लड़की आश्रय गृह से गायब हो गई।
बालिका के आश्रय गृह से गायब हो जाने के बावजूद प्रबंधन ने न तो जिम्मेदारों को सूचना दी और ना ही इस मामले की एफआईआर ही दर्ज कराई। दो दिन तक मामले में लीपापोती चलती रही।
इस बीच 23 सितंबर को लड़की के परिजनों को पता चला कि वह अस्पताल में एक महिला के पास है। इससे पहले की लड़की के परिजन अस्पताल पहुंचते जीवोदय संस्था के सदस्य मौके पर पहुंच गए, लेकिन लड़की के मिलने के बाद भी ना तो उसका मेडिकल कराया गया ना ही यह जानने की कोशिश हुई कि वह कहां थी? उसके साथ क्या हुआ है। इस बीच दावा किया गया कि महिला लड़की की बहन है, इस आधार पर संस्था ने एक पंचनामा बनाकर नाबालिग को उसी महिला के सुपुर्द कर दिया।
ये वो पंचनामा है जिसे बनाकर संस्था ने लड़की को आरोपी के परिवार के सुपुर्द कर दिया।
दुष्कर्मी के परिवार के हाथों में नाबालिग हिंदू जागरण मंच के जिला संयोजक प्रमोद पुरविया बताते हैं कि मामले में केवल नियमों का उल्लंघन ही नहीं हुआ बल्कि संस्था ने नाबालिग को रहस्यमय तरीके से उसी इसाई परिवार को सौंप दिया जो दरअसल रेप के आरोपी का ही परिवार था।
पुरविया बताते हैं कि नाबालिग के जीवोदय संस्था से गायब होने के पीछे आरोपी का ही हाथ था। किशोरी के मिलते ही संस्था द्वारा उसे रेस्क्यू किया जाना था लेकिन ऐसा करने के बजाय लड़की के फर्जी रिश्तेदार बनने वालों से ही पंचनामे पर साइन कराकर लड़की को सौंप दिया गया।
माता-पिता भटकते रहे, आरोपी फिर रेप करता रहा
पीड़िता के पिता देख नहीं सकते और परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में संस्था से गायब हुई बेटी को तलाशने में माता-पिता भटकते रहे। दूसरी ओर आरोपी लड़की के साथ 10 दिनों में कई बार रेप करता रहा।
इसके बाद ये मामला हिंदू संगठन तक पहुंचा। हिंदू संगठन ने बालिका को आरोपी के घर से बरामद कर माता-पिता के सुपुर्द किया।
नाबालिग की मां बताती हैं कि हम 10 दिन तक भटकते रहे, इसके बाद हमको यहां–वहां से जानकारी लगी कि हमारी लड़की उनके पास है। तब बाल आयोग वालों ने मदद की। लोग साथ आए तो हमने उसे छुड़वाया। एफआईआर दर्ज कराई। हम डरे हुए थे। हमें अपनी लड़की को रिश्तेदार के यहां रखना पड़ रहा है।
अब क्या चाहती हैं? इस सवाल पर मां ने कहा कि हम तो लड़के को सजा दिलवाना चाहते है।
बच्ची के साथ कई बार रेप हुआ, मानव तस्करी का मामला
पूरे मामले को सामने लाने वाले राज्य बाल आयोग के पूर्व सदस्य ओंकार सिंह बताते हैं कोई भी चिल्ड्रन होम बच्चों का केयर टेकर होता है, जबकि जिम्मेदार राज्य सरकार होती है। सरकार की ओर से बाल कल्याण समिति नियमों के अनुसार निर्णय लेती है। कोई भी नाबालिग किसी संस्था में बाल कल्याण समिति के आदेश से ही जाता है तो समिति के आदेश से ही उसे निकाला या परिवार को सौंपा जा सकता है।
सिंह बताते हैं, ऐसा पंचनामा वैधानिक ही नहीं है। ये भी नहीं देखा गया कि वे लड़की के धर्म के भी नहीं हैं, ऐसे में उसके परिवार वाले कैसे हो सकते हैं।
यह सीधे तौर पर मानव तस्करी का मामला है, क्योंकि जिस महिला को बच्ची को सौंपा गया वह महिला कोई फिट पर्सन नहीं थी। उसी आरोपी की बहन थी, जिसके साथ बच्ची आरोपी के चंगुल में पहुंच गई और उसे कई दिनों तक मल्टीपल टाइम रेप के दर्द से गुजरना पड़ा। बाद में इस मामले में भी लड़की ने एफआईआर कराई है।
आश्रय गृह में भी होती थी प्रताड़ना
रेस्क्यू किए जाने के बाद लड़की ने जीवोदय आश्रय गृह पर भी आरोप लगाए और बताया कि वहां रेप पीड़िता होने के चलते उसे ताने मारे जाते थे, कहा जाता था कि यह दूसरे बच्चों को बिगाड़ रही है। कई बार मारपीट भी होती थी, लेकिन गंभीर आरोपों के बावजूद संस्था के संचालन की न तो जांच हुई ना ही संचालकों पर कोई कार्रवाई।
10 साल पहले भी संस्था पर एफआईआर, कार्रवाई सिफर
भास्कर टीम ने जब जीवोदय संस्था में हो रही गड़बड़ियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस संस्था पर 10 साल पहले ऐसी ही गड़बड़ी के मामले में एफआईआर तक हो चुकी है, लेकिन बाद में उस एफआईआर को ही यह कहकर वापस ले लिया गया कि बेसहारा बच्चों को रखने के लिए कोई संस्था नहीं है, इसलिए इस मामले में कार्रवाई नहीं की जा रही।
2012 से 2017 तक बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रहे अनिल अग्रवाल बताते हैं कि वह जिले की दूसरी बाल कल्याण समिति थी। मैं समिति का अध्यक्ष था। तब जीवोदय द्वारा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उल्लंघन के कई मामले आते थे।
तब एक बच्ची को जीवोदय संस्था को सौंपा गया था, लेकिन उसे संस्था ने बिना बाल कल्याण समिति के आदेश के सौतेले पिता के पास भगा दिया। शिकायत हमारे पास आई तो जांच करने पर पाया गया कि संस्था ने बच्ची को भेजा है।
तब समिति ने प्रशासन को पत्र लिखा और एफआईआर कराई। संस्था कानून को नहीं मानकर अपने हिसाब से चलती थी, ऐसे कई मामले थे। बाद में संस्था के संचालक ने माफी मांग ली। प्रशासन ने निवदेन किया कि बच्चों के लिए कोई होम नहीं है, इसलिए इन पर कार्रवाई नहीं की जाए।
जवाब देने से बच रहे जिम्मेदार
दैनिक भास्कर ने जीवोदय संस्था की संचालक सिस्टर क्लारा से बात की तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। बार–बार पूछने पर भी उन्होंने यही कहा कि पूरे मामले में संस्था की छवि बिगाड़ी जा रही है, लेकिन बच्ची को आरोपी के परिवार के सदस्यों को कैसे सौंप दिया गया जिसकी पुष्टि पंचनामे से होती है, इस पर उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
जिले के एसपी डॉ गुरुकरन सिंह ने भी इस मामले पर कहा कि पूरा मामला कोर्ट में है, इसलिए मेरा कुछ भी कहना सही नहीं है।
तुष्टिकरण के कारण एफआईआर नहीं किया
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि ये रेप से जुड़ा मामला तो है साथ ही धर्मांतरण से जुड़ा भी है। ईसाई मिशनरी की संस्था ने ईसाई परिवार के हवाले लड़की को देकर रेप करने की छूट दे दी। संस्था पर एफआईआर होनी चाहिए थी, लेकिन तुष्टिकरण के कारण एफआईआर नहीं की गई।
कलेक्टर के लेटर पर भी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया
कलेक्टर ने पुलिस को कार्रवाई के लिए लेटर भी लिखा। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म की धाराओं में प्रकरण दर्ज तो किया लेकिन संस्था पर कोई कार्रवाई नहीं की।
बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य ओंकार सिंह ने सवाल उठाए हैं कि राज्य बाल संरक्षण आयोग, जिला बाल संरक्षण समिति और इनकी अनुशंसा पर कलेक्टर नर्मदापुरम द्वारा एसपी को पत्र लिखे जाने के बावजूद जीवोदय संस्था पर एफआइ आर नहीं की गई।
बालिका की शिकायत पर जीवोदय के मैनेजर के विरुद्ध एफआईआर की गई है, लेकिन यह प्रताड़ना की है जबकि बालिका की गुमशुदगी को छिपाने, मिलने पर मेडिकल नहीं कराकर दुष्कर्म का प्रकरण छिपाने सहित आरोपी के परिवार को ही रेप पीड़िता को सौंप देने वाली संस्था और उसके संचालकों पर कार्रवाई नहीं की गई।
#रप #क #आरप #क #परवर #क #सप #नबलग #लडक #जल #स #छटकर #लड़क #स #फर #दरदग #मतपत #भ #डर #हए #आरपईसई #मशनर #पर #Madhya #Pradesh #News
#रप #क #आरप #क #परवर #क #सप #नबलग #लडक #जल #स #छटकर #लड़क #स #फर #दरदग #मतपत #भ #डर #हए #आरपईसई #मशनर #पर #Madhya #Pradesh #News
Source link