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लागोरी को मिली राष्ट्रीय पहचान, 30 देशों में होता है महाभारत का यह खेल, बेगूसराय में पहला आयोजन

बेगूसराय: लागोरी महाभारत काल के दौरान सबसे ज्यादा खेला जाता था. यह समूह में खेला जाने वाला खेल है. इसकी शुरुआत दक्षिण भारत के में हुई थी. लेकिन धीरे धीरे यह खेल समाप्त हो चुका था. मनोरंजन के लिए गांव घर में यह लगातार खेला जाता रहा है. यह लोकप्रिय खेल पिट्टू गरम, पत्थर तोड़, सितोलिया (7 पत्थर) जैसे नामों से जाना जाता है.

खास बात यह है कि अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी शुरू हो गई है. देश में नई पीढ़ी के लिए इसकी शुरुआत बिहार के बेगूसराय जिले से पिछले साल हुई थी. भारत सरकार के खेल मंत्रालय और स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इसे राष्ट्रीय खेल में शामिल कर दिया है. 19 अक्टूबर की सुबह 10 बजे से बिहार के बेगूसराय में प्रथम राज्य स्तरीय लागोरी प्रतियोगिता हो रही है.

30 देशों में होता है ये खेल
लागोरी के बिहार कोच रणधीर कुमार ने बताया कि दुनिया के 30 देश में यह खेला जाता है. लगोरी दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिसमें प्रत्येक टीम में कम से कम 3 और अधिकतम 9 खिलाड़ी होते हैं. इसे सात पत्थर और एक रबर की गेंद के मदद से खेला जाता है. आयोजन टीम के अनुसार लगभग हर टीम को नौ मौके मिलते हैं. लगभग 10 से 15 फीट की दूरी से खड़ी खड़ी पत्थरों को गिराने के लिए 3 खिलाड़ी 3 मौके लेते हैं. यदि एक टीम पत्थरों को गिराने में असमर्थ है, तो अगली टीम को फेंकने का मौका मिलता है. यदि आक्रामक टीम पहले पत्थरों को सफलतापूर्वक ढेर कर देती है, तो टीम को एक अंक मिलता है.खेल में डिफेंडिंग टीम किसी खिलाड़ी को घुटने के नीचे पहले मारने में सक्षम है, तो कब्जे में बदलाव होता है.

प्रतियोगिता में शामिल होंगे 750 खिलाड़ी
आयोजन समिति के अनुसार बिहार के 38 जिलों में से 34 जिले के खिलाड़ी इसमें शामिल हो रहे हैं. इस खेल में लड़के की 32 टीम और लड़की की 24 टीम हिस्सा लेगी. प्रत्येक जिले से एक टीम शामिल हो रही है. पहली बार आयोजित राज्य स्तरीय लागोरी प्रतियोगिता में 750 खिलाड़ी शामिल होंगे. आयोजन समिति के द्वारा तैयारी पिछले एक महीने से की जा रही है.

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