हम सब संस्कारी आज्ञाकारी संतान की कल्पना करते हैं लेकिन घर परिवार में सास – ससुर,पति- पत्नी को यह सीखना होगा हमें अपने माता-पिता, सास-ससुर के चरण छूकर उनसे प्रतिदिन आशीर्वाद लें और उनका अनुसरण करें। हमारे बच्चे इस संस्कार को देखें और वह इसे आत्मसात क
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यह विचार हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेल लालबाग में चौथे दिन दिव्य संतान प्रकल्प आयोजन में मुख्य अतिथि प्रज्ञा पीठाधीश्वर मां स्वामी विभानंद गिरि जी अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रज्ञा मिशन दिल्ली ने व्यक्त किया। दिव्य संतान प्रकल्प मातृत्व सम्मान समारोह के संयोजक पं योगेंद्र महंत ने बताया कि इस अनुपम कार्यक्रम में मातृ शक्तियों में खासा उत्साह देखा गया। 100 बाय 500 का भव्य पंडाल देखते ही देखते मातृ शक्तियों से भर गया। महू , देपालपुर सांवेर और इंदौर शहर से हजारों की संख्या में मातृशक्तियों इस आयोजन में शामिल हुईं।
संबोधित करतीं प्रज्ञा पीठाधीश्वर मां स्वामी विभानंद गिरि जी
वैदिक मंत्रोचार से माहौल बना आध्यात्मिक
संस्कृत पाठशाला के बटुकों ने वैदिक मंत्रोचार के साथ माहौल को गुंजायमान बनाए रखा। समापन अवसर पर संत महात्माओं ने गर्भवती एवं मातृ शक्तियों पर पुष्प वर्षा की। 25000 से ज्यादा पंचमेवा फल आदि का वितरण किया गए। दिव्य संतान प्रकल्प के राष्ट्रीय संयोजक गुलवंत सिंह कोठारी, चेयरमैन विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा , सचिव विनोद बिरला आदि के मार्गदर्शन में यह आयोजन हुआ।
रविवार को कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय प्रज्ञा मिशन दिल्ली के अध्यक्ष प्रज्ञा पीठाधीश्वर मां स्वामी विभानन्द गिरि जी, हंस पीठाधीश्वर महंत रामचरण दास जी महाराज, महामंडलेश्वर डॉ. चैतन्य स्वरूप जी महाराज, अण्णा जी महाराज, महामंडलेश्वर पवनदास जी महाराज, योगेश्वर दास जी महाराज, यजत्रदास जी महाराज, हुकुमचंद सांवला आदि 40 से ज्यादा देश प्रदेश के ख्यात संत-विद्वानों की उपस्थिति रही। अतिथियों का स्वागत चंद्रमोहन दुबे, विनीता धर्म, मंजूषा, प्रज्ञा चौहान, आदि ने शॉल-श्रीफल से किया किया।कार्यक्रम में अभिषेक पांडे , अशोक चतुर्वेदी, जवाहर मंगवानी, बीके शर्मा, सुरेश पाठक, प्रशांत त्रिवेदी, विनीत त्रिवेदी आदि के साथ सैकड़ों सेवाभावी कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राधा माहेश्वरी, अर्पणा जोशी ने किया।
शुभारंभ पर दीप प्रज्ज्वलित करते अतिथि और आयोजक
नियम, संयम, आचार, विचार पूरे परिवार को रखना होगा
दिव्या संतान प्रकल्प के लालबाग में रविवार को हुए आयोजन में जामनगर से डॉक्टर करिश्मा नरवानी, सूरत हिना बहन, डॉ. अनिल गर्ग, डॉ. जगदीश जोशी, डॉ. राधा माहेश्वरी आदि ने गर्भ संस्कार के बारे में नियम संयम और आचार्य विचार के साथ वैज्ञानिक महत्व को सबके बीच रखा, डॉ. अनिल गर्ग ने बताया कि गर्भधारण करने से 3 महीने पूर्व से ही हमारे अाचार, विचार और व्यवहार के साथ दैनिक क्रियाकलापों में भी नियम- संयम का पाठ रखना होगा। इसके साथ ही पहले महीने से लगाकर नवे महीने तक गर्भावस्था के दौरान माता के साथ पति, सास, ससुर और परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपने को मर्यादा और कुशल व्यवहार के बीच रखेंगे, तभी संस्कारी संतान की कल्पना की जा सकती है क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे का असर बाहरी वातावरण के साथ होता है।
समारोह में बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाएं
रुक्मिणी और कृष्ण का दिया उदाहरण
डॉ अनिल गर्ग ने बताया कि भगवान कृष्ण अपने रुक्मिणी से पूछा कि आपको कैसी संतान चाहिए तो रुक्मिणी ने कहा की प्रभु आपके जैसी संतान उत्तम रहेगी। तब भगवान श्री कृष्ण जो कि साक्षात् नारायण का अवतार थे, उनको भी उत्तम संतान के लिए 12 वर्ष की तपस्या करनी पड़ी। डॉक्टर गर्ग के कहने का मतलब यह रहा की उत्तम संतान चाहिए तो इसके लिए कठोर तप करना होगा। आज भी दिव्य संतान की प्राप्ति की जा सकती है इसके लिए हमारे पुरातन विज्ञान को जानना होगा जिसे आज विदेश में भी माना जा रहा है।
साधु-संत भी थे उपस्थित
मां में ब्रह्मांड समाया
विभानंद गिरि जी ने बताया कि मां शब्द में ही ब्रह्मांड समाया हुआ है। माताएं ही ब्रह्मांड में जीव की उत्पत्ति करती हैं। पुरुष की जननी मां है और माताओं में ब्रह्मांड समया हुआ है। संसार के प्रत्येक जीव एवं गर्भवती महिलाओं को खासकर राग, द्वेष, ईर्ष्या से दूर रहना चाहिए ताकि आने वाली संतान उत्तम फल देने वाली हो, जिससे बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। टीवी, मोबाइल, व्हाट्सएप से विकृति
डॉ अनिल गर्ग ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान माता को वर्तमान समय में टीवी, सीरियल, व्हाट्सएप और मोबाइल का कमतर उपयोग करना चाहिए, यह विकृति है। आज के समय में जो इन सब में हमको दिखाई जा रहा है इससे हमारी संस्कृति और संस्कार का हनन हो रहा है।
एकाग्रता के लिए योग करें
डॉ. जगदीश जोशी ने कहा कि आज तनाव और वैमनस्य का भाव समाज में बढ़ रहा है। एकाग्रता की आवश्यकता सर्वाधिक है गर्भावस्था के पहले और उसके बाद भी योग हमारी चर्चा में शामिल होना चाहिए।
तीन घंटे में हजारों मातृ शक्तियों का आगमन और प्रस्थान
दिव्य संतान प्रकल्प और मातृत्व सम्मान समारोह के संयोजक पं. योगेंद्र महंत ने बताया कि लालबाग में अद्भुत व्यवस्था 500 से ज्यादा स्वयं सेवी कार्यकर्ताओं ने संभाल रखी थी। दोपहर 2.30 बजे से मातृ शक्तियों का आगमन शुरू हो गया था और 5.30 बजे तक कार्यक्रम के समापन के साथ प्रस्थान होना शुरू हुआ था। इस व्यवस्था को देख सभी आत्ममुग्ध रहे।
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