तिली चौराहा से गिरधारीपुरम सड़क कब बनेगी? इसका सच्चा जवाब जिले के प्रभारी मंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री के निर्देश के बाद भी अफसर नहीं दे पाए हैं। न ही सड़क बनवा सके हैं। इस सड़क को बनाने का एक ही रास्ता है, जिसे अपनाने से स्मार्ट सिटी प्रबंधन बीते 15 म
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वह है निर्माण एजेंसी लैंडमार्क विक्ट्रीवन प्राइवेट लिमिटेड को हटाने के निर्णय का, जो अब तक नहीं लिया जा सका है। यही वजह है कि सड़क निर्माण का जो काम 18 माह में हो जाना था, वह 33 माह बाद भी नहीं हो सका है। स्थिति यह है कि अब तक यहां 45 लोग गिरकर चोटिल हो चुके हैं। लोगों के हाथ, पैर, सिर फूट चुके हैं। बावजूद इसके अफसरों को फिक्र नहीं हो रही है कि इस सड़क को बनवाने का काम किया जाए।
नए टेंडर से डरते रहे, यही कंपनी की ताकत बन गया : स्मार्ट सिटी से जो टेंडर निकाले गए वह सीधे फेस में निकाले गए। एक-एक फेस में पांच से सात सड़कें शामिल कर दी गईं। लैंडमार्क कंपनी ने फेस-2 की जो सड़कें लीं, उन्हें पूरा करने में कंपनी खरी नहीं उतरी। एक भी सड़क ऐसी नहीं रही जो समय से बन सकी हो।
कंपनी को चार बार नोटिस दिए गए। 10 दिन के अल्टीमेटम का अंतिम नोटिस जुलाई में दिया गया था, पर कंपनी उसके भी 6 माह बाद काम नहीं कर सकी। अफसर हर बार यही तर्क देते रहे कि लैंडमार्क को बीच काम से हटा देंगे तो नया टेंडर निकालने की प्रकिया में डेढ़ से दो माह लग जाएंगे।
इतने में शायद कंपनी ही सड़क बना दे। यही डर कंपनी ने ताकत बना लिया और सड़कों को तेजी से बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया। अभी भी स्थिति वही है कि कंपनी को हटाकर नए को लाते हैं तो बचे हुए काम शुरू होने और तेजी से पूर्ण होने की उम्मीद बनेगी, नहीं तो झूठे आश्वासनों के बीच 6 माह बाद फिर से बारिश का सीजन आ जाएगा।
समय से बन सकी हो। कंपनी को चार बार नोटिस दिए गए। 10 दिन के अल्टीमेटम का अंतिम नोटिस जुलाई में दिया गया था, पर कंपनी उसके भी 6 माह बाद काम नहीं कर सकी। अफसर हर बार यही तर्क देते रहे कि लैंडमार्क को बीच काम से हटा देंगे तो नया टेंडर निकालने की प्रकिया में डेढ़ से दो माह लग जाएंगे।
इतने में शायद कंपनी ही सड़क बना दे। यही डर कंपनी ने ताकत बना लिया और सड़कों को तेजी से बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया। अभी भी स्थिति वही है कि कंपनी को हटाकर नए को लाते हैं तो बचे हुए काम शुरू होने और तेजी से पूर्ण होने की उम्मीद बनेगी, नहीं तो झूठे आश्वासनों के बीच 6 माह बाद फिर से बारिश का सीजन आ जाएगा।
मंत्रियों के यह निर्देश नहीं माने गए
प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ल : 4 नवंबर को जिला योजना समिति की बैठक में मंत्री ने कहा- मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या अन्य किसी महत्वपूर्ण के आने पर जिस तरह रातोंरात सड़कें बनवाई जाती हैं, उसी तरह इस सड़क को बनवाया जाए। यदि कंपनी काम नहीं कर पा रही है तो उसे हटाकर तुरंत इसे पीडब्ल्यूडी या एमपीआरडीसी को दिया जाए। उनसे सड़क बनवाई जाए।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय: 5 दिसंबर को नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था आखिर यह सड़क कब से बनना शुरू होगी? एजेंसी यही बनाए तो अच्छा, न बनाए तो हटा दें। नया टेंडर लगाना पड़े या जो भी करना पड़े, काम लगना चाहिए। सड़क को लेकर अब लोगों को परेशान नहीं आना चाहिए।
लैंडमार्क कंपनी यानी हर काम अधूरा, घटिया भी
इस सड़क का काम स्मार्ट सिटी की फेस-2 की सड़कों के तहत निर्माण एजेंसी लैंडमार्क विक्ट्री वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मुंबई के पास है। जिसकी पहचान ही हर काम को अधूरा छोड़ने की बनी हुई है। भगवानगंज सड़क को ले लें या फिर कगदयाऊ घाटी सड़क।
इनके काम अब तक पूरे नहीं हो सके हैं। यही हाल तीन मड़िया-परकोटा रोड का भी है। कगदयाऊ घाटी पर जो रोड बनाई गई है, वह इतनी घटिया है कि कई जगह से सड़क सीमेंट छोड़ चुकी है। कई जगह सड़क ऊबड़-खाबड़ स्थिति में पहुंच गई है।
दूसरी एजेंसी से काम कराने वाले हैं
जहां तक आवासीय कॉलोनी हैं वहां लोगों का आना-जाना रहता है, वहां तक की सड़क का काम जनवरी माह में लग जाएगा। 800 मीटर सड़क का यह हिस्सा दूसरी एजेंसी से बनवाने का निर्णय लिया गया है। मॉनीटरिंग कराते हुए यह काम जल्द पूरा कराया जाएगा। – राजकुमार खत्री, निगमायुक्त सागर
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