इटारसी-बीना चौथी रेलवे लाइन और 32 करोड़ से बनने वाले सुभाष आरओबी की थर्ड आर्म के लिए मोती नगर बस्ती हटाने की कवायद चल रही है। दो महीने से बस्ती हटाने की तारीख बार-बार बढ़ रही है। पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर वीके अमर कहते हैं कि ऐसी देरी से द
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32 करोड़ रुपए के आरओबी थर्ड आर्म प्रोजेक्ट में यह हर महीने 2 करोड़ तक पहुंच सकती है। मोतीनगर के 400 मकान हटने हैं। रहवासी इसके एवज में आवास मांग रहे हैं। इन्हें टेंपरेरी शेड में शिफ्ट किया जा सकता है। एक शेड 50 हजार रुपए में बन जाता है, यानी 2 करोड़ रुपए टेंपरेरी शेड में खर्च होगा। इससे प्रोजेक्ट की बाधा भी दूर हो जाएगी और समय पर होने से लागत भी नहीं बढ़ेगी। रेलवे के एक्सपर्ट सीएस शर्मा बताते हैं कि जब मेट्रो जैसा छोटा प्रोजेक्ट लेट होने से रोज 3 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। चौथी लाइन में देरी हुई तो इसमें मेट्रो से अधिक नुकसान होगा।
आज हटेंगी दुकानें… सामान समेटना शुरू
दो दिन पहले मोती नगर बस्ती हटाने की घोषणा करके पीछे हटे प्रशासन ने अब शुक्रवार 7 फरवरी को यहां बनी दुकानें हटाने की तैयारी की है। इसके लिए इलाके में मुनादी कराई गई और पुलिस बल भी वहां तैनात कर दिया गया है। असर यह हुआ कि गुरुवार शाम को दुकानदारों ने सामान हटाना शुरू कर दिया।
भास्कर एक्सपर्ट – वीके अमर, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी
आर्बिट्रेटर से लेते हैं राशि, इसलिए सरकार को नुकसान
अब विभाग टेंडर की शर्तें इस तरह से बना देते हैं, जिसमें देरी होने पर बढ़ने वाली लागत का भुगतान नहीं करने की बात लिखी होती है। लेकिन, कांट्रेक्टर आर्बिट्रेशन में चले जाते हैं साबित कर देते हैं कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए वे नहीं सरकार जिम्मेदार हैं। विभाग को यह राशि देनी होती है। एक महीने की देरी से करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। इससे अच्छा यही है कि शिफ्टिंग आदि के खर्चे को भी लागत में जोड़ दिया जाए, ताकि सरकार बढ़ी लागत के खर्च से बच जाए।
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