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लोन नहीं लिया फिर भी बैंक 14 साल तक बताता रहा डिफाल्टर, उद्योगपति ने किया एक हजार करोड़ का दावा

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इंदौर के उद्योगपति को बिना वजह डिफाल्टर और गारंटर बताने के लिए बैंक को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई। कैनरा बैंक ने 14 वर्षों तक शर्मा का नाम गलत तरीके से विज्ञापनों में प्रकाशित किया और उनकी कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज से डिलिस्ट करवा दिया। अब शर्मा ने बैंक के खिलाफ 1,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया

By Neeraj Pandey

Publish Date: Sat, 12 Oct 2024 05:58:17 PM (IST)

Updated Date: Sat, 12 Oct 2024 05:58:17 PM (IST)

कैनरा बैंक ने उद्योगपति को बिना वजह डिफाल्टर बताया। फाइल फोटो

HighLights

  1. लोन न लेने पर बैंक ने उद्योगपति को बताया डिफाल्टर
  2. इंदौर के उद्योगपति के पक्ष में आया हाईकोर्ट का फैसला
  3. कैनरा बैंक के खिलाफ एक हजार करोड़ रुपये का दावा

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर :उद्योगपति ने बैंक से न तो ऋण लिया न ही किसी मामले में जमानत दी, बावजूद इसके बैंक 14 वर्ष तक विज्ञापनों में उन्हें डिफाल्टर और गारंटर के रूप में बताती रही। इतना ही नहीं बैंक ने सेबी को पत्र लिखकर उद्योगपति की तीन कंपनियों को बाम्बे स्टाक एक्सचेंज में डिलिस्ट भी करवा दिया। नतीजा यह हुआ कि कंपनियों के जो शेयर किसी समय आसमान की बुलंदियों को छू रहे थे वे जमीन पर आ गिरे।

हाई कोर्ट ने उद्योगपति के पक्ष में सुनाया फैसला

आखिर उद्योगपति ने हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने बैंक से पूछा कि किन दस्तावेजों के आधार पर उद्योगपति को डिफाल्टर और गारंटर बताया जा रहा, तो बैंक अधिकारी बगले झांकने लगे। आखिर कोर्ट के आदेश के बाद बैंक ने गारंटर और डिफाल्टर के रूप में नाम हटा दिया। अब उद्योगपति ने जिला न्यायालय में बैंक के खिलाफ एक हजार करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत किया है। 14 अक्टूबर को मामले में सुनवाई होना है। मामला इंदौर के उद्योगपति सुरेश शर्मा का है।

14 साल तक बैंक छपवाता रहा वसूली का नोटिस

जिला न्यायालय में प्रस्तुत केस में उन्होंने कहा कि कैनरा बैंक जो कि पूर्व में सिंडिकेट बैंक थी ने 14 वर्ष तक उन्हें जमानतदार, डायरेक्टर, लोन गारंटर बताकर देशभर के अखबारों में उनके नाम से वसूली नोटिस छपवाकर उनकी औद्योगिक साख को बट्टा लगाया है। शर्मा के मुताबिक उन्होंने वर्टेक्स स्पिनिंग लिमिटेड के नाम से पीथमपुर में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूनिट लगाई थी। बाद में उन्होंने इस कंपनी को अन्य सदस्यों को सौंप दिया और खुद बाहर हो गए।

शर्मा द्वारा स्थापित कंपनी ने लिया था लोन

वर्ष 2006 में बिजनेस मैग्जीन के मुताबिक वे आर्थिक मामलों में देश के 16वें क्रम के उद्योगपति थे और उस समय उनकी व्यक्तिगत संपत्ति का आंकलन 606 करोड़ रुपये किया गया था। वर्ष 2006 में ही शर्मा कंपनी से अलग हो गए थे। उनके कंपनी से अलग होने के बाद कंपनी ने एक्रेलिक स्पिनिंग प्लांट के लिए 40 करोड रुपये का नया प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई और इसके लिए बैंक से 23 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया।

बाद में इस ऋण की अदायगी को लेकर कंपनी और बैंक के बीच विवाद हुआ। इस ऋण की वसूली के नाम पर कैनरा बैंक देश के विभिन्न अखबारों में शर्मा को गारंटर, जमातदार, डायरेक्टर बताकर विज्ञापन जारी करती रही। शर्मा ने बार-बार बैंक से गुहार लगाई कि कंपनी से उनका कुछ लेना देना नहीं है।

एक हजार करोड़ का दावा

प्रस्तुत कियाहाल ही में हाई कोर्ट ने आदेश दिया के बैंक उद्योगपति सुरेश शर्मा का नाम गारंटर, डायरेक्टर, जमानतदार के रूप में हटाया जाए, क्योंकि बैंक के पास ऐसा कोई दस्तावेज ही नहीं है जो बताता हो कि शर्मा गारंटर, डायरेक्टर या जमानतदार हैं।

कोर्ट के इस आदेश के बाद अब शर्मा ने जिला न्यायालय में कैनरा बैंक से एक हजार करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलवाए जाने के लिए दावा लगाया है। इसमें कहा है कि बैंक की लापरवाही की वजह से उनकी औद्योगिक साख को नुकसान हुआ है। बैंक ने उनकी कंपनियों को बाम्बे स्टाक एक्सचेंज में डीलिस्ट करवाया जिसके उन्हें साख खोने के साथ-साथ करोड़ों का नुकसान भी उठाना पड़ा।

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