वन्यप्राणी के मांस के साथ तीन आरोपितयों को पकड़ा गया था। इसमें से दो के मोबाइल एसटीएसएफ अभी तक नहीं खोल पाई है। दोनों अलग-अलग बहाने बनाकर गुमराह कर रहे हैं। कभी कहते हैं फेस से अनलॉक होगा तो कभी दूसरे तरीके से। जबकि फोन में पिन पासवर्ड लगा है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 08 Dec 2024 08:23:21 AM (IST)
Updated Date: Sun, 08 Dec 2024 08:37:07 AM (IST)
HighLights
- आरोपितों पर अवैध हथियार रखने का प्रकरण दर्ज होगा।
- इस मामले में किशनगंज थाने को लिखा गया है लेटर।
- तीनों आरोपित मुंबई के अंधेरी इलाके के रहने वाले हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। वन्यप्राणी का मांस मुंबई लेकर जाने वाले तीनों आरोपितों इम्तियाज खान, जौहर हुसैन और सलमान पियारजी को जेल भेज दिया है। इनमें इम्तियाज खान के पास संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का पहचान पत्र भी मिला है। इस रेसीडेंट आइडेंटी कार्ड को जब्त कर लिया है।
पूछताछ में इम्तियाज ने वहां काम करना बताया है। जबकि जौहर हुसैन भी कई बार खाड़ी देश घूमकर आ चुका है। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स व वन विभाग अब तीसरे आरोपित सलमान के बारे में जानकारी जुटा रहा है। तीनों आरोपितों के पासपोर्ट का पता लगा रहे हैं।
अवैध हथियार रखने पर आर्म्स एक्ट का केस दर्ज होगा
अधिकारियों के मुताबिक इनोवा से मिली रिवाल्वर सहित अवैध हथियार रखने को लेकर आर्म्स एक्ट की धाराओं में अलग से प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में किशनगंज थाने को पत्र लिखा है। वन्यप्राणी के 60 किलो मांस के साथ तीन आरोपितों को पीथमपुर चौपाटी से पकड़ा था।
ये तीनों मूलत: मुंबई में अंधेरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। जौहर हुसैन के मोबाइल से जांच एजेंसी को सऊदी अरब में रहने वालों के नंबर मिले हैं। इन नंबर पर हुसैन की नियमित बातचीत होती है। इनके बारे में इम्तियाज और सलमान ने कुछ नहीं बताया है।
हुसैन के फोन में कुछ वीडियो भी मिले हैं, जिसमें मुंबई के कई बड़े लोग नजर आ रहे हैं। वैसे हुसैन की अय्याशी को लेकर भी कुछ वीडियो हैं। वन अधिकारियों के मुताबिक आरोपितों से जुड़े दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए हैं।
दो घंटे रोक रखा था एजेंसी ने
आरोपितों के पकड़े जाने के बारे में किशनगंज पुलिस और वन विभाग मुखबिरों की सूचना बता रहे हैं।
अधिकारी नहीं दे रहे निर्देश
बाकी दोनों आरोपितों के फोन का स्क्रीन लॉक नहीं खुलने से जांच अधिकारियों के हाथ खाली हैं। तीन दिन तक आरोपितों से पासवर्ड पूछते रहे, लेकिन ये अधिकारियों को गुमराह करते रहे। कभी फेस तो कभी फिंगर लाक होने की बात करते रहे। जबकि इन्होंने पिन से मोबाइल लॉक लगा रखा है।
पूरे मामले में एसटीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि मोबाइल को अनलॉक करने के लिए फारेंसिंग लैब भेजने और कंपनी से लॉक खुलवाने को लेकर उन्होंने अभी तक कोई निर्देश नहीं दिए हैं। यहां तक कि सीडीआर जांच नहीं भेजी है।
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