मप्र की ई व्हीकल पॉलिसी को वित्त विभाग ने सहमति नहीं दी है। नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने पॉलिसी का जो ड्रॉफ्ट तैयार किया है, उसमें इलेक्ट्रिकल व्हीकल खरीदने वालों को भारी भरकम छूट देने की सिफारिश की है। इस छूट पर वित्त विभाग को आपत्ति है।
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8 फरवरी को मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने पॉलिसी में की गई सिफारिशों का प्रेजेंटेशन हुआ। इस दौरान वित्त विभाग ने पॉलिसी में प्रस्तावित कैपिटल सब्सिडी को लेकर आपत्ति दर्ज की। सूत्रों का कहना है कि ये तमाम छूट देने के बाद सरकार पर 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा। वित्त विभाग इसे लेकर तैयार नहीं है।
पॉलिसी को लेकर वित्त विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसर 12 फरवरी को एकबार फिर बैठक करेंगे। इसके बाद इसे आखिरी रूप देकर कैबिनेट में भेजा जाएगा। प्रस्तावित पॉलिसी में नई गाड़ी खरीदने, पुरानी पेट्रोल गाड़ी को स्क्रैप पॉलिसी में बेचने के साथ चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर छूट देना शामिल है। नई पॉलिसी 5 साल के लिए प्रभावी रहेगी।
नई ईवी पॉलिसी में आम लोगों को कितनी छूट प्रस्तावित है, चार्जिंग स्टेशन का इन्फ्रास्ट्रक्चर किस तरह से डेवलप होगा और वित्त विभाग की क्या आपत्ति है? पढ़िए मंडे स्टोरी
नई पॉलिसी की 4 प्रमुख बातें
- भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन को ईवी सिटी बनाया जाएगा।इन सभी शहरों में अगले 5 साल में यात्री बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदला जाएगा।
- पॉलिसी पीरियड( 5 साल तक) खत्म होने तक टू-व्हीलर का 40 फीसदी, थ्री व्हीलर का 70 फीसदी फोर व्हीलर का 15 फीसदी और ई बस का 40 फीसदी रजिस्ट्रेशन का टारगेट।
- सरकारी बेड़े में शामिल सभी वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिकल व्हीकल में बदला जाएगा। सरकार भविष्य में जो भी नए वाहन खरीदेगी वो ई-व्हीकल होंगे न कि पेट्रोल-डीजल वाहन।
- नगर निगम और नगरपालिका की कचरा गाड़ियों को भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जाएगा। इसके लिए कैटेगरी के हिसाब से टू व्हीलर, थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर ईवी का सिलेक्शन किया जाएगा।
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2 पॉइंट्स में जानिए प्रस्तावित पॉलिसी में आम लोगों को कैसे मिलेगा फायदा…
1.पहले आओ पहले पाओ प्रस्तावित पॉलिसी में आम लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदी पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसमें ई-साइकिल, टू- व्हीलर, थ्री-व्हीलर(कॉमर्शियल और पैसेंजर), फोर व्हीलर, यात्री और स्कूल बसें और एम्बुलेंस को शामिल किया गया है। कितनी गाड़ियों की खरीदी पर सब्सिडी मिलेगी इसकी लिमिट भी इसमें तय की गई है। यानी सब्सिडी का फायदा पहले आओ, पहले पाओ वालों को मिलेगा।
2. कैपिटल सब्सिडी के अलावा इन्सेंटिव की 4 कैटेगरी
- बैटरी कैपेसिटी इन्सेंटिव: इसका फायदा टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और फोर-व्हीलर और एम्बुलेंस खरीदने पर मिलेगा। ई-कार के लिए ढाई हजार किलोवॉट की बैटरी पर, तो बाकी वाहनों के लिए 5 हजार किलोवॉट की बैटरी पर छूट मिलेगी।
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: इसमें टू-व्हीलर, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर, लाइट कॉमर्शियल व्हीकल, ई-बस, ई-एम्बुलेंस को टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट का प्रावधान है। ये पांच साल तक मिलेगा।
- स्क्रैप इन्सेंटिव: इसका फायदा टू-व्हीलर, थ्री व्हीलर और एम्बुलेंस खरीदने पर मिलेगा। 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप पॉलिसी में देकर नया ई व्हीकल खरीदा जा सकता है।
- रिट्रोफिटिंग इन्सेंटिव: इसका मतलब होता है पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों को ई-व्हीकल में मोडिफाइड करना। इसका फायदा टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और फोर व्हीलर खरीदने पर मिलेगा।
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जानिए किस वाहन पर कितनी सब्सिडी और क्या इन्सेंटिव
ई-थ्री व्हीलर: 5 साल में 15 हजार गाड़ियों पर 20 हजार की सब्सिडी
- बैटरी कैपेसिटी इन्सेंटिव: 5 हजार किलोवॉट की बैटरी पर छूट
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: व्हीकल टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर 5 साल के लिए 100 फीसदी छूट
- स्क्रैप इन्सेंटिव: 5 साल में 15 हजार गाड़ियों पर साढ़े सात हजार की छूट
- रिट्रोफिटिंग इन्सेंटिव: 5 साल में 3 हजार गाड़ियों पर 10 हजार की छूट।
ई-लाइट कैरिज व्हीकल: 5 साल में 5 हजार गाड़ियों पर 50 हजार की सब्सिडी
- बैटरी कैपेसिटी इन्सेंटिव: 5 हजार किलोवॉट की बैटरी पर छूट
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: व्हीकल टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर 5 साल के लिए 100 फीसदी छूट
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ई-बस(गैर सरकारी): 5 साल में 300 गाड़ियों पर 10 लाख की सब्सिडी
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: व्हीकल टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर 5 साल के लिए 100 फीसदी छूट
ई-बस(सरकारी): 5 साल में 500 गाड़ियों पर 10 लाख की सब्सिडी
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: व्हीकल टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर 5 साल के लिए 100 फीसदी छूट
ई-एम्बुलेंस: 5 साल में 150 गाड़ियों पर 3 लाख की सब्सिडी
- बैटरी कैपेसिटी इन्सेंटिव: 5 हजार किलोवॉट की बैटरी पर छूट
- रेगुलेटरी इन्सेंटिव: व्हीकल टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर 5 साल के लिए 100 फीसदी छूट
- स्क्रैप इन्सेंटिव: 5 साल में 150 गाड़ियों पर 10 हजार की छूट
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बैटरी चार्ज के लिए बनेंगे चार्जिंग स्टेशन, मिलेगी सब्सिडी
इलेक्ट्रिक व्हीकल का सबसे अहम कंपोनेंट बैटरी है। एक डेडिकेटेड चार्जिंग स्टेशन से ईवी की बैटरी चार्ज होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसी में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने पर खासा जोर दिया गया है। दो तरह से इसका फायदा मिलेगा..
1.सरकार जमीन देगी
- नोडल एजेंसी चार्जिंग स्टेशन के लिए लैंड बैंक का डेटा बेस तैयार करेगी।
- जिन्हें चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना है उन्हें MPEV पोर्टल से अप्लाय करना होगा।
- प्राइवेट प्लेयर्स का सिलेक्शन टेंडर से किया जाएगा।
- नोडल एजेंसी टेंडर की शर्तों के मुताबिक चार्जिंग स्टेशनों को जमीन देगी।
- सरकारी एजेंसियों को 10 साल के पट्टे पर जमीन मिलेगी।
2.बिजली की आपूर्ति
- चार्जिंग स्टेशन को पूरे 5 साल तक एक रेट पर बिजली मिलेगी। ये बिजली की औसत लागत से ज्यादा नहीं होगी।
- सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली की लागत औसत लागत का 0.8 गुना होगी। शाम को ये औसत लागत का 1.2 गुना होगी।
- जो चार्जिंग स्टेशन खुद बिजली बनाएंगे उन्हें पॉलिसी पीरियड तक 100 फीसदी की छूट मिलेगी।
- एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी तय करेगी चार्जिंग स्टेशन ग्राहकों से कितना सर्विस चार्ज वसूल करेंगे। ये टैरिफ का 1 फीसदी तक हो सकता है।
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ईवी पॉलिसी लागू करने बनेगा प्रमोशनल बोर्ड ईवी पॉलिसी को लागू करने और इसके क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एमपी ईवी प्रमोशनल बोर्ड का गठन होगा। बोर्ड में तीन विभागों के मंत्री और 6 विभागों के प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी सदस्य होंगे। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग पॉलिसी लागू करने वाली नोडल एजेंसी रहेगी।
मैन्युफेक्चरिंग यूनिट्स और मैकेनिक भी होंगे तैयार
मैन्युफेक्चरिंग यूनिट्स लगाने के लिए निवेशकों को रियायती दर पर जमीन, एफएआर में छूट मिलेगी। साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए अनुदान, रिसर्चर के लिए सब्सिडी, पेटेंट की सुविधा भी दी जाएगी। रिसर्च के लिए एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना के लिए 2 करोड़ का अनुदान मिलेगा।
इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक और आईटीआई में ईवी से जुड़े पाठ्यक्रम शामिल करने की योजना है। साथ ही ईवी मैकेनिक तैयार करने के लिए आईटीआई में कोर्स शुरू किया जाएगा। फ्री ट्रेनिंग मिलेगी।
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जानिए वित्त विभाग की पॉलिसी को लेकर आपत्ति पॉलिसी में सब्सिडी और इन्सेंटिव की छूट देने का प्रावधान किया गया है उससे सरकार पर 3021.37 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। वित्त विभाग को इस पर आपत्ति है। हालांकि, पॉलिसी में डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर 10 पैसे प्रति लीटर का प्रदूषण टैक्स लगाने और 25 लाख से ज्यादा कीमत वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोड टैक्स बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
वित्त विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जितनी छूट दी जा रही है उसकी तुलना में टैक्स से आय नहीं होगी। इसके अलावा केंद्र के 15वें वित्त आयोग ने सलेक्टेड शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधारने के लिए जो फंड दिया है उसका भी इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है।
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