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विधायक राय ने क्रांति के शहीदों को दी श्रद्धांजलि:सीहोर में हुआ था जलियांवाला बाग जैसा नरसंहार, 356 क्रांतिकारियों को मारी थी गोलियां


सीहोर के सैकड़ाखेड़ी स्थित शहीद स्थल पर मंगलवार को विधायक सुदेश राय सहित अन्य नागरिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राजधानी से 40 किमी दूर सीहोर के चांदमारी के मैदान में 14 जनवरी 1858 को 356 क्रांतिकारियों को एकसाथ गोलियां मारी गई थी। इस बर्बरतापूर्ण घटना को जलियांवालाबाग हत्याकांड की तरह ही देखा जाता है। इस जगह पर शहीद स्मारक बनाया गया है। 1857 को पूरे देश में अंग्रेजी हूकुमत के खिलाफ बगावत शुरू हो गई थी। इस विद्रोह को कुचलने कि लिए ह्यूरोज को इंग्लैंड से बुलाया गया था। एक बड़ी सेना के साथ सेंट्रल इंडिया फील्ड फोर्स को लीड करते हुए मऊ (इंदौर) के रास्ते सीहोर पहुंचा था। वे मुंबई के रास्ते होते हुए झांसी के लिए निकला था लेकिन रास्ते में पता चला कि सीहोर में सैनिक विद्रोह कर एक स्वतंत्र सरकार बना ली है। इसके बाद ह्यूरोज ने सभी को फांसी पर लटकाने के आदेश दिया। 356 क्रांतिकारियों को एक साथ मारी थी गोलियां
14 जनवरी 1858 तो सभी कैदियों को जेल से निकालकर सीवन नदी किनारे सैकड़ाखेड़ी चांदमारी मैदान में लाया गया। 356 क्रांतिकारियों के हाथ और पैरों को जंजीरों से बांधा गया था। ह्यूरोज के आदेश पर एक साथ 356 क्रांतिकारियों को बंदूकों से उड़ा दिया गया। इन क्रांतिकारियों के शवों को पेड़ों पर लटकाकर छोड़ दिया गया। जिसके दो से तीन दिन बाद ग्रामीणों ने पेड़ से उतारकर इसी मैदान में दफनाया था। कैसे शुरू हुआ था विद्रोह
दिल्ली मेवाड़ यूपी से होती हुई बगावती चपातियां सीहोर आई। 13 जून 1857 में सीहोर के ग्रामीण इलाकों में पहुंच चुकी थी। मेरठ की क्रांति से पहले ही सीहोर में क्रांति की चिंगारी सुलग गईं।

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https%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Flocal%2Fmp%2Fsehore%2Fnews%2Fmla-rai-paid-tribute-to-the-martyrs-of-the-revolution-134292463.html
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