यूका फैक्ट्री के आसपास के इलाके को सील कर दिया गया है। इस काम से जुड़े लोगों को ही अंदर जाने दिया जा रहा है।
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रविवार को कंटेनर में भरकर कचरा 250 किमी दूर पीथमपुर ले जाया गया। हालांकि, वहां कचरे को लाने के विरोध में प्रदर्शन जारी है।
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रविवार को एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में कचरे को 12 कंटेनर में भरने की प्रोसेस शुरू की। देर रात यह कचरा पीथमपुर के लिए रवाना किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में कैंपस के अंदर जाने की मनाही है। 200 मीटर के दायरे को सील कर दिया है।
रास्ते भी बंद किए गए हैं। कैंपस में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। वहीं, कुल 400 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी, एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों की टीम इस काम में जुटी है। गैस कांड के 40 साल बाद पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (रामकी) कंपनी के एक्सपर्ट्स की मॉनिटरिंग में ये कचरा 12 कंटेनर ट्रकों में भरा जा रहा है।
कचरे को कड़ी सुरक्षा के साथ भेजा
जहरीले कचरे को कड़ी सुरक्षा के साथ 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा गया। यहां कचरे को रामकी एनवायरो में जलाया जाएगा। बता दें कि हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करना है। यानी, 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर भेजना ही है। रामकी कंपनी इसका निष्पादन करेगी।
इन कंटेनरों में भरकर भेजा जा रहा है कचरा।
कचरा जलाने में इतना लगेगा समय रामकी एनवायरो में 90 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से कचरे को जलाने में 153 दिन यानी 5 महीने 1 दिन का समय लगेगा। 270 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से नष्ट करते हैं तो इसे खत्म करने में 51 दिन का वक्त लगेगा।
जहरीला कचरा भरे हर कंटेनर का यूनिक नंबर
हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर होगा। ये ट्रक कंटेनर जिस रूट से निकलेंगे उसकी सूचना जिला प्रशासन को दे दी जाएगी। रास्ते पर ट्रैफिक रोकने की जिम्मेदारी भोपाल और इंदौर के संभाग आयुक्तों को सौंपी गई है।
ट्रक करोंद मंडी होते हुए पीपुल्स मॉल, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए इंदौर जा रहे हैं। यह रूट इसलिए चुना गया है, क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है।
कैंपस में डॉक्टरों की टीम, फौरन देगी इलाज जो मजदूर कंटेनर ट्रकों में कचरा भर रहे हैं, उन्हें सेफ्टी के सारे उपकरण और सुविधाएं दी गई हैं। अंदर ही डॉक्टरों की टीम भी तैनात की गई है, जो हर हालात पर नजर रख रही है। कचरा लोडिंग के दौरान अगर किसी की तबीयत बिगड़ती है तो फौरन मौके पर ही उसे दवा और ट्रीटमेंट देने के इंतजाम है।
भोपाल गैस त्रासदी राहत-पुनर्वास के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया-
गाइडलाइन को फॉलो करते हुए कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा। हाईकोर्ट के निर्देश में पूरी प्रोसेस की जा रही है। 3 जनवरी को हाईकोर्ट में शपथ पत्र देना है। इसलिए कचरे को भेजने की प्रक्रिया इससे पहले पूरी कर लेंगे।
रविवार को पीथमपुर में क्षेत्र रक्षा मंच ने रैली निकालकर नारेबाजी की।
जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध
कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर कांग्रेस विरोध जता चुकी है। वहीं, गैस पीड़ित संघ भी आंदोलन कर चुके हैं। पीथमपुर में रविवार सुबह से पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच के नेतृत्व में कचरा जलाने का विरोध किया जा रहा है। इससे पहले 22 दिसंबर को कांग्रेस ने भी विरोध प्रदर्शन किया था।
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