दिलचस्प यह है कि एक्सोप्लैनेट जितना नया है, उतना ही नया है इसका तारा। इसीलिए उसे प्रोटोस्टार कहा गया है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रोटोस्टार की उम्र के आधार पर वैज्ञानिकों ने TIDYE-1b की उम्र 30 लाख साल आंकी है। रिसर्चर्स ने कहा है कि अगर इस एक्सोप्लैनेट की उम्र का कंपेरिजन इंसान के जीवनकाल से करें तो एक्सोप्लैनेट अभी 2 हफ्ते के ‘बेबी’ जितना है इसीलिए इसे बेबी एक्सोप्लैनेट भी कहा गया है।
नेचर जर्नल में पब्ल्शि स्टडी में रिसर्चर्स ने बेबी एक्सोप्लैनेट के बारे में बताया है। इसका पता नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) से मिले डेटा से चला। रिसर्चर्स का कहना है कि यह खोज हमें ग्रहों के निर्माण के बारे में बताती है। हम ब्रह्मांड में अपनी जगह भी तलाश सकते हैं कि पृथ्वी कितनी पुरानी है। कहां से बनी होगी और कहां जा रही है।
खास बात है कि एक्सोप्लैनेट बहुत जल्दी नजर नहीं आते। शुरुआती वर्षों में उन्हें नहीं देखा जा सकता, क्योंकि वो धूल, गैस व अन्य चीजों से ढके होते हैं। धीरे-धीरे जब धूल और गैस छंटती है तो वह दिखाई देने लग जाते हैं।
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2024-11-29 11:35:32
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