व्यापमं द्वारा आयोजित प्री-पीजी परीक्षा में फर्जीवाड़े के आरोपीगण ने हाई कोर्ट में दायर क्रिमिनल रिवीजन वापस ले ली। 2020 में सीबीआई ने इस मामले में चालान पेश किया था। आरोप तय होने के बाद डॉ. मुकेश स्वरूप जौहरी, डॉ. ऋचा जौहरी व डॉ. आकांक्षा चौहान ने हा
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हाई कोर्ट का सख्त रुख देखते हुए रिवीजन वापस लेने की अनुमति चाही गई, जिसे स्वीकार कर लिया गया। दरअसल, अभियोजन के अनुसार प्री-पीजी परीक्षा में डॉ. ऋचा जौहरी ने भाग लिया था। इस परीक्षा को उन्होंने अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण किया था। बाद में खुलासा हुआ कि परीक्षा के दौरान डॉ. आकांक्षा ने केवल उन्हीं प्रश्नों के जवाब भरे, जिनके उन्हें सही जवाब मालूम थे।
शेष प्रश्न उन्होंने छोड़ दिए। पूछताछ में खुलासा हुआ कि रामगोपाल और बृजमोहन ने ओएमआर शीट में उन प्रश्नों के जवाब भरे थे। इस तथ्य का खुलासा आरोपियों ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत दिए गए कथन में किया है। इस पूरे घटनाक्रम में डॉ. ऋचा के पिता डॉ. मुकेश स्वरूप की भी भूमिका बताई गई। इसी तरह डॉ. चौहान पर भी फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया है।
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