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शहर से लेकर ब्लाक तक चाइल्ड डेथ रिव्यू की अनदेखी, 65 प्रतिशत केस का ही हो सका रिव्यू

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जिले के चार ब्लाक डबरा, भितरवार, बरई और हस्तिनापुर में अप्रेल से लेकर अब तक 247 बच्चों की मौत हुई है। वहीं जिले की बात करें तो जिले में अब तक 340 नवजातों ने दम तोड़ा है।लगातार हो रही नवजात की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग हरकत में नहीं आया है।

By Anoop Bhargav

Publish Date: Tue, 08 Oct 2024 01:32:30 PM (IST)

Updated Date: Tue, 08 Oct 2024 01:32:30 PM (IST)

शहर से लेकर ब्लाक तक चाइल्ड डेथ रिव्यू की अनदेखी। सांकेतिक फोटो

HighLights

  1. स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, समुदाय आधारित बाल मृत्यु की समीक्षा में पिछड़ा विभाग
  2. डबरा, भितरवार, बरई और हस्तिनापुर में अप्रेल से लेकर अब तक 247 बच्चों की मौत हुई
  3. जिले में अब तक 340 नवजातों ने दम तोड़ा है, अब तक 65 प्रतिशत रिव्यू ही हो पाया है

नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। जिले में शिशु मृत्युदर में कमी लाने के प्रयास फेल साबित हो रहे हैं। नवजात की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए किए जाने वाले चाइल्ड डेथ रिव्यू की शहर से लेकर ब्लाक तक अनदेखी की जा रही है। यही वजह है कि अब तक 65 प्रतिशत रिव्यू ही हो पाया है।

यदि नवजात की मौत के मामलों को देखा जाए तो चौकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं। जिले के चार ब्लाक डबरा, भितरवार, बरई और हस्तिनापुर में अप्रेल से लेकर अब तक 247 बच्चों की मौत हुई है। वहीं जिले की बात करें तो जिले में अब तक 340 नवजातों ने दम तोड़ा है।

हर महीने ब्लाक से छह केस ब्लाक मेडिकल आफिसर को करना थे, लेकिन ब्लाक स्तर पर समुदाय आधारित बाल मृत्यु समीक्षा में लापरवाही बरती जा रही है। लगातार हो रही नवजात की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग हरकत में नहीं आया है।

नवजात की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए विभाग को हर महीने ब्लाक और शहरी क्षेत्र से 6 केस चुनने थे। इस प्रकार रिव्यू कमेटी के पास हर महीने 48 केस होते, जिनकी जांच चिकित्सक करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिससे चाइल्ड डेथ रिव्यू में जिला लगातार पिछड़ रहा है।

बाल मृत्युदर को कम करना है रिव्यू का उद्देश्य

बाल मृत्युदर को कम करने के लिए सरकार ने चाइल्ड डेथ रिव्यू की रिर्पोटिंग और समीक्षा शुरू की। इसके पीछे का कारण चिकित्सकीय कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करना, साथ ही स्वास्थ्य सेवा की कमियों और बाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार सामाजिक कारणों की पहचान करना है। प्राप्त जानकारी का उपयोग समुदाय और संस्थागत स्तर पर दी जाने वाली सेवाओं की कमियों को पहचानने तथा सुधारात्मक कार्यवाही करना है।

हर महीने ब्लाक व शहरी क्षेत्र में रिव्यू करने का नियम है। लेकिन रिव्यू को लेकर जहां दिक्कत आ रही हैं, वहां इसे करने की हिदायत दी जाएगी। शहरी क्षेत्र में भी रिव्यू को लेकर दिक्कत है।

डा.आरके गुप्ता, नोडल अधिकारी, शिशु स्वास्थ्य

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