रिश्वतखोरी के मामले में कोर्ट ने एक अधिकारी को 4 साल की सजा सुनाई है। आरटीई के तहत निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के प्रमाणीकरण के संबंध में रिश्वत मांगी गई थी। मामले में 8 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। दरअसल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्या
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निजी स्कूल प्राचार्य से मांगी थी रिश्वत जानकारी के अनुसार आरोपी नोडल अधिकारी होने के नाते उसके पास निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ने वाले बच्चों का निरीक्षण कर इसका प्रमाणीकरण करने का अधिकार भी था। उसने गांधी नगर स्थित ब्लासम एकेडमी स्कूल का नवंबर 2016 में निरीक्षण किया था। उसे प्रमाणीकरण फार्म पर हस्ताक्षर करना था लेकिन वह प्राचार्य विनीता वर्मा से रिश्वत की मांग करते हुए लगातार टाल रहा था, जिस पर प्राचार्य ने
देशमुख से बातचीत के ऑडियो की 3 मेमोरी कार्ड के साथ लोकायुक्त को इस मामले में शिकायत की थी।
अलमारी में रिश्वत के रुपए रखते ही पहुंच गई थी टीम
लोकायुक्त में शिकायत के बाद योजना अनुसार दोपहर में फरियादी प्राचार्य हायर सेकंडरी स्कूल गांधी नगर पहुंचीं तब आरोपी गजेंद्र स्कूल में नोडल अधिकारी कक्ष में बैठा था। फरियादी ने उसे 5 हजार रुपए दिए जो उसने अलमारी में रखे ही थे कि वहां तैनात लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस के निरीक्षक महेश सुनैया और निरीक्षक आशा शेजकर ने आरोपी से 5 हजार रुपए जब्त कर उसे भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। जिस पर 8 साल बाद कोर्ट ने गजेंद्र देशमुख को 4 साल की सश्रम सजा और 10 हजार रुपए के अर्थदण्ड का फैसला सुनाया है।
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