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शिवपुरी में मकान से 100 मीटर दूर गिरा था मिराज: खेत में 10 फीट चौड़ा गड्ढा हुआ; महिला बोली- लगा कि घर नहीं बचेगा – Shivpuri News

शिवपुरी के करैरा स्थित एक गांव के खेत में गुरुवार दोपहर करीब 2:40 बजे मिराज 2000 क्रैश हो गया। क्रैश होने के चंद मिनट पहले दोनों पायलट ने खुद को इजेक्ट कर लिया। घायल होने पर उन्हें तत्काल हेलिकॉप्टर की मदद से ग्वालियर ले जाया गया।

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हादसा ग्राम पंचायत भैंसा के सुनेरा गांव में हुआ, जिसकी आबादी एक हजार है। मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरी थी। एयरफोर्स ने हादसे की शुरुआती वजह सिस्टम में खराबी बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए मौके पर पहुंची। ग्राफिक्स की मदद से समझिए कैसे हुआ हादसा…

10 फीट चौड़ा और एक मीटर गहरा गड्ढा हो गया भास्कर की टीम शिवपुरी के नरवर से लगभग 37 किलोमीटर दूर देर हटा सानी गांव पहुंची। यहां गांव के पहले से ही एक खेत में आग जलती हुई दिखाई दे रही थी। गांव में से होती हुई टीम खेतों की मेड से चलते हुए मुख्य सड़क से लगभग 200 मीटर अंदर उस खेत पर पहुंची, जहां मिराज गिरा था। टीम जब पहुंची तो और फोर्स के जवान मिराज को घेरे हुए खड़े थे। जहां मिराज गिरा, वहां से 30 फीट दूर से ही चारों तरफ कड़न (बैरिकेडिंग) की गई थी। उसके अंदर किसी को भी नहीं जाने दिया जा रहा था।

मिराज में से आग की लपटें लगातार उठ रही थीं। लगभग 10 फीट चौड़ा और एक मीटर गहरा गड्ढा हो गया था। बैरिकेडिंग के बाहर ग्रामीण रात में भी बैठे हुए थे और वे घटना के बारे में ही बात कर रहे थे। दैनिक भास्कर की टीम ने सबसे पहले खेत मालिक रणवीर बघेल से बात की। घटना के समय वह अपने खेत से 100 मीटर दूर नीम के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे।

एयरफोर्स ने दिए हादसे की जांच के आदेश भारतीय वायु सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- ​​​​​​​भारतीय वायुसेना का एक मिराज 2000 विमान एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान सिस्टम में खराबी के कारण शिवपुरी (ग्वालियर) के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकल गए। दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं।

देखिए, हादसे की चार तस्वीरें…

मिराज के गिरते ही आसपास लोगों की भीड़ लग गई।

मिराज के गिरते ही आसपास लोगों की भीड़ लग गई।

पायलट ने ग्रामीण के मोबाइल से अधिकारियों को हादसे की जानकारी दी।

पायलट ने ग्रामीण के मोबाइल से अधिकारियों को हादसे की जानकारी दी।

ग्वालियर एयरबेस से स्पेशल हेलिकॉप्टर आया और दोनों घायल पायलट्स को अपने साथ ले गया।

ग्वालियर एयरबेस से स्पेशल हेलिकॉप्टर आया और दोनों घायल पायलट्स को अपने साथ ले गया।

देर रात तक प्लेन की आग नहीं बुझी। मौके पर रोशनी के लिए ट्रैक्टर की मदद ली गई।

देर रात तक प्लेन की आग नहीं बुझी। मौके पर रोशनी के लिए ट्रैक्टर की मदद ली गई।

सबूत मिट न जाए, इसलिए नहीं बुझाई गई आग एयरफोर्स सूत्रों के अनुसार, आग पर पानी इसलिए नहीं डाला गया, ताकि कोई सबूत न मिट जाए। कुछ डालेंगे तो आग और भड़केगी और तकनीकी टीम को जांच में परेशानी आ सकती है। इसलिए उसे अभी ऐसा ही छोड़ दिया गया है। अभी उसमें फ्ल्यूड है जो जल रहा है। जब यह पूरी तरह जल जाएगा, उसके बाद फॉग से आग बुझाई जाएगी।

अभी केवल एक ही सीट मिल पाई है। मिराज की दूसरी सीट अभी तक नहीं मिली है। रात होने के कारण उस खोज नहीं पा रहे हैं। अब सुबह उसे फिर से खोजा जाएगा।

प्रत्यक्षदर्शी बोले- पहले लगा कि आतंकवादी आ गए प्रत्यक्षदर्शी ऋषिकेश रावत ने बताया कि हेलिकॉप्टर जलता हुआ गांव की तरफ आ रहा था। दो लोग पैराशूट के जरिए कूदे। एक व्यक्ति हमारे पास में ही गिरा। हम उसके नजदीक पहुंचे। पहले हम थोड़ा डरे भी, लगा कि कहीं कोई आतंकवादी तो नहीं है। हमने एक अधिकारी से कॉल कर पूछा, तो उन्होंने कहा कि नहीं, कोई दिक्कत नहीं, आप चले जाइए उनकी मदद करिए। इसके बाद हम 3-4 लोग उनके पास पहुंचे। बैठकर उससे बातचीत की।

पूछा- भैया कहीं लगी तो नहीं? उन्होंने हमसे कहा कि नहीं, लगी नहीं है। फिर उन्होंने हमारा फोन लेकर अपने साथी को कॉल किया, उन्हें घटना के बारे में जानकारी दी। उनके साथी ने पायलट से कहा कि कोई दिक्कत नहीं है। थोड़ी देर में उनके साथी मौके पर आए और उन्हें ले गए। बहुत अच्छी कृपा हुई कि प्लेन गांव में नहीं गिरा, कोई दुर्घटना नहीं हुई।

मकान के दो फेरे लगाए और खेत में जाकर गिरा एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी सतेंद्र रावत ने बताया कि मैं अपने साथियों के साथ खड़ा था। तभी जलता और घूमता हुआ प्लेन पास के मकान की तरफ आ रहा था। हम भी वहीं पास में ही खड़े थे, फिर हमें लगा कि कहीं हम पर ही न गिर पड़े, इसलिए हम भागे। कुछ देर बाद वह खेत में गिर गया।

धर्मेंद्र बघेल ने बताया कि मैं अपनी छत पर खाना खा रहा था। तभी प्लेन आया, उसने मेरे मकान का दो फेरा लगाया, फिर उसकी दिशा बदल गई। वह दोबारा ऊपर गया और फिर खेत की तरफ जाकर ब्लास्ट हो गया। मैं खेत पर पहुंच गया। देखा तो गड्‌ढा हो चुका था। खेत के गेहूं जल गए। इसी दौरान लोग जमा हो गए, करीब आधे घंटे में पुलिस-प्रशासन भी पहुंचा।

घटना को याद करते हुए धर्मेंद्र की मां सरोज की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि हम तो घबरा गए थे, जब प्लेन हमारे घर के आसपास घूम रहा था तो हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, हमें लगा था कि हमारा मकान तो गया। प्लेन हमारे ही खेत में गिरा है, हमारा बहुत नुकसान हुआ। खेत मालिक रणबीर बघेल ने बताया कि मेरे ही खेत में प्लेन गिरा है। मैं नीम के पेड़ की नीचे बैठा था। हमने देखा तो वो हमारे पास ही आ रहा था। थोड़ी देर बार वह गिरा और उसमें ब्लास्ट हो गया।

ग्रामीण ने पायलट को पानी पिलाया, तौलिया से मुंह पौंछा प्लेन से कूदे दोनों पायलट में से एक को बल्ली परिहार ने गोद में लिटाया था। उन्होंने बताया कि प्लेन आया उसके पहले हम नदी पर बैठे थे। इस दौरान धमाके जैसी आवाज आई, कुछ देर में धुआं उठने लगा। फिर दो लोग पैराशूट से नीचे आते दिखाई दिए। मेरे पास पुलिस वालों का नंबर नहीं था। लेकिन मैंने ग्वालियर के रहने वाले अपने जान पहचान के एक पंडित जी और अपने छोटे भाई को कॉल कर घटना के बारे में बताया।

उन्होंने करैरा और ग्वालियर पुलिस को सूचना दी। इस दौरान मैं पायलट को गोदी में बैठाए रखा। पानी भी पिलाया तौलिया से मुंह भी पौंछा। मैंने अपना मोबाइल उन्हें दिया, उन्होंने मुझसे अपना फोटो क्लिक करवाया। मेरे ही नंबर से फोटो किसी को वॉट्सऐप भी किया। मैं उनके साथ में ही बैठा रहा, बार बार मुंह पोंछा और हाथ पैर भी दाबे।

वो मुझसे अपने दूसरे साथी के बारे में पूछ रहे थे। मैंने उनसे कहा कि मैं आपको पीठ पर बैठा कर गांव ले चलता हूं लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वे बार-बार मुझसे थैंक्यू-थैंक्यू बोल रहे थे।

बल्ली परिहार के मोबाइल से पायलट ने अपने अधिकारी को कॉल कर घटना की जानकारी दी।

बल्ली परिहार के मोबाइल से पायलट ने अपने अधिकारी को कॉल कर घटना की जानकारी दी।

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