मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विदिशा को नगर निगम बनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा- विदिशा की जनता अगले नगरीय निकाय चुनाव में महापौर को चुनेगी।
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दरअसल, केंद्रीय कृषि मंत्री और विदिशा के सांसद शिवराज सिंह चौहान ने मंच से विदिशा को नगर निगम बनाए जाने की मांग की थी। उसी के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ये ऐलान किया। मुख्यमंत्री की घोषणा पूरी होती है तो विदिशा मप्र का 17वां नगर निगम होगा। हालांकि, नगर निगम बनाने की इस पूरी प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल का वक्त लगेगा।
इससे पहले पिछली सरकार में 6 नए नगर निगम बनाने की घोषणाएं हुई थीं। इसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना की शिवपुरी और गुना नगर पालिका भी शामिल है, मगर ये घोषणाएं केवल कागजों में सिमटी हैं। इसके अलावा छतरपुर, सिवनी, भिंड और शहडोल को भी नगर निगम बनाने का ऐलान हुआ था।
किसी नगर पालिका को नगर निगम में तब्दील करने की क्या प्रोसेस होती है, जिन नगर पालिकाओं को नगर निगम बनाने की घोषणा हुई, उनका क्या स्टेटस है…पढ़िए, मंडे स्टोरी
7 पॉइंट्स में जानिए, कैसे विदिशा नगर पालिका बनेगी नगर निगम
- मुख्यमंत्री की घोषणा के आधार पर कलेक्टर एक प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजेंगे। इसकी मंजूरी मिलने के बाद नगर निगम का दर्जा देने की प्रक्रिया शुरू होगी।
- सबसे पहले 3 लाख की आबादी के मापदंड को पूरा करने के लिए नगर निगम के क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा।
- इसके लिए शहरी सीमा से लगी ग्राम पंचायतों को शामिल करने का प्रस्ताव तैयार होगा।
- इसके बाद संबंधित ग्राम पंचायतों में संकल्प पारित कराना जाएगा कि वे नगर निगम में शामिल होने के लिए तैयार हैं। इसके बाद जिला प्रशासन दावे-आपत्तियां बुलाएगा।
- कलेक्टर द्वारा नया प्रस्ताव बनाकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेजा जाएगा।
- नगरीय प्रशासन की मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहां से इसे राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाएगा।
- राज्यपाल की अनुमति के बाद विदिशा को नगर निगम घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी होगा।
अगले चुनाव में महापौर-पार्षद चुने जाएंगे निगम के अनुसार, नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अगर प्रशासन चाहेगा तो वह नगर पालिका बोर्ड को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति करेगा। ऐसे में छह महीने के भीतर नगर निगम के लिए चुनाव कराना होगा। इस दौरान सरकार को वार्ड गठन, आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
इस पूरी प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा। ऐसे में संभावना है कि 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में विदिशा में पार्षदों के साथ महापौर का चुनाव होगा।
नगर निगम बनने के बाद ऐसा होगा स्वरूप
- नगर निगम की कमान अध्यक्ष नहीं, महापौर के हाथों में होगी। जिसे सीधे जनता चुनेगी।
- प्रेसिडेंट इन काउंसिल की जगह मेयर इन काउंसलिंग होगी।
- विधानसभा की तर्ज पर ही सभापति का चुनाव होगा। निगम परिषद की बैठक में शहर के विकास को लेकर विधानसभा की तरह बहस होगी।
- सीएमओ की जगह आयुक्त की पदस्थापना होगी। सहायक आयुक्त भी तैनात होंगे।
- पार्षदों की संख्या 39 से बढ़कर वार्डों के हिसाब से 51 या 55 हो जाएगी। हालांकि, न्यूनतम वार्डों की संख्या 40 तय है।
7 साल में 6 नगर निगम बनाने की घोषणाएं, जो अब भी अधूरी शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए 7 साल में विदिशा के अलावा गुना, छतरपुर, सिवनी, भिंड, शिवपुरी और शहडोल नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा देने की घोषणा की थी। ये सभी घोषणाएं जमीन पर नहीं उतर पाई हैं। दरअसल, ये नगर पालिकाएं अपग्रेड होने का पैरामीटर पूरा नहीं कर पा रही हैं। सिलसिलेवार जानिए, क्या है मौजूदा स्टेटस…
2027 तक करना होगा इंतजार भिंड नगर पालिका को नगर निगम बनाने की घोषणा पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने फरवरी 2018 में की थी। लेकिन इसे नगर निगम का दर्जा देने का फैसला 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था। शिवराज कैबिनेट ने चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले 2 अक्टूबर को इसकी स्वीकृति प्रदान की थी।
कमलनाथ की सरकार बनने के बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। 2020 में फिर सत्ता में आई शिवराज सरकार ने अपने ही पुराने फैसले को आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से पहले नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 2 अक्टूबर 2023 को भिंड को नगर निगम घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी किया।
इसके बाद भी भिंड नगर निगम को अस्तित्व में आने के लिए 2 साल का इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, नगर पालिका अधिनियम के मुताबिक ग्राम पंचायतों को शहरी क्षेत्र में तब तक शामिल नहीं किया जा सकता, जब तक कि उनका कार्यकाल पूरा न हो जाए।
भिंड नगर निगम में 25 ग्राम पंचायतों के 38 गांव शामिल किए गए हैं। जिनका कार्यकाल 2027 में पूरा होगा। इसके बाद ही नगर निगम अस्तित्व में आएगी। 2011 की जनगणना के अनुसार, भिंड नगर पालिका क्षेत्र की आबादी 1.97 लाख 585 है। लेकिन अनुमान लगाया गया है कि 38 गांव शामिल होने के बाद आबादी 3 लाख से ज्यादा होगी।
6 ग्राम पंचायतों के 11 गांव नगर पालिका में शामिल हो चुके पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शहडोल में जनदर्शन कार्यक्रम में नगर निगम बनाने की घोषणा की थी। लेकिन डॉ. मोहन सरकार में इस प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि 2018 के चुनाव से पहले फरवरी माह में नगर पालिका का दायरा बढ़ाने के लिए 6 ग्राम पंचायतों के 11 नए गांव को इसमें मर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की गई।
इसके बाद नगर पालिका की आबादी 1 लाख हो गई। सितंबर 2021 में जिले की दो नगर परिषद बुढ़ार व बकहो और एक नगर पालिका धनपुरी की सीमा को जोड़कर नगर निगम बनाने की तैयारी शुरू हुई। तत्कालीन जैतपुर विधायक मनीषा सिंह की मांग पर प्रस्ताव आगे बढ़ा था।
इस पर नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय भोपाल से एक पत्र शहडोल कलेक्टर को जारी किया गया है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि विधायक से प्राप्त पत्र में नगर परिषद बुढ़ार, नगर पालिका परिषद धनपुरी और नगर परिषद बकहो को सम्मिलित कर नगर निगम बनाए जाने प्रतिवेदन अभिमत सहित जानकारी भेजा जाए।
कलेक्टर ने 9 बिन्दुओं की जानकारी के साथ पूर्ण प्रस्ताव तैयार कर अभिलेखों एवं स्पष्ट अनुशंसा सहित संचालनालय भेज दिया गया था, लेकिन इसके बाद से प्रस्ताव लंबित है।
पिछले 6 महीने से फाइल भोपाल में अटकी पूर्व सीएम शिवराज ने 2 जून 2023 को छतरपुर के गौरव दिवस और महिला सम्मेलन में ऐलान किया था कि छतरपुर नगर पालिका को नगर निगम बनाएंगे। इसके बाद नगर निगम का दर्जा देने के लिए एसडीएम ने तय 9 पैरामीटर पूरा करने की कार्रवाई शुरू की।
शहर की सीमा से 12 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 25 गांवों को नगरीय सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया। इसके मुताबिक, इन गांवों को जोड़ने के बाद छतरपुर शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 3 लाख 62 हजार प्रस्तावित की गई थी।
इसके बाद विधानसभा चुनाव आ गए और डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नई सरकार बन गई। लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी कहा था कि छतरपुर को नगर निगम बनाने का वादा पूरा होगा, लेकिन पिछले छह महीने से फाइल नगरीय विकास एवं आवास विभाग में अटकी है।
नगर निगम का दर्जा दिलाने में कम आबादी बनी बाधक सिवनी को नगर निगम बनाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। विधानसभा चुनाव से पहले 19 जुलाई 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी सभा में सिवनी को नगर निगम बनाने का ऐलान किया था। नगर पालिका परिषद ने सम्मेलन आयोजित कर नगर निगम बनाने का प्रस्ताव भी पास किया था।
सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने सिवनी शहरी क्षेत्र से सटे 52 गांवों को शामिल करने के लिए सर्वे किया। इस सर्वे में पाया कि 52 गांवों को शामिल करने के बाद भी आबादी 3 लाख तक नहीं पहुंच पा रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, सिवनी शहरी क्षेत्र के 24 वार्ड की आबादी 1 लाख 2 हजार 343 है। पर्याप्त आबादी न होने की वजह से ये मामला खटाई में पड़ गया है।
पहला प्रस्ताव रिजेक्ट, नया प्रस्ताव सरकार को भेजा गया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आने वाली शिवपुरी नगर पालिका को नगर निगम बनाने की घोषणा पूर्व सीएम शिवराज ने मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान कार्यक्रम के दौरान की थी। इस घोषणा को पूरा करने के लिए आनन-फानन में प्रस्ताव बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा गया।
इस प्रस्ताव में कई प्रकार की त्रुटि और अव्यवहारिकता के चलते इसे रिजेक्ट कर दिया गया। दरअसल, शिवपुरी का शहरी क्षेत्र बढ़ाने के लिए 42 ग्राम पंचायतों के 97 गांव शामिल किए गए थे और इनकी दूरी 20 किमी से अधिक थी। इसके बाद पिछले ही महीने नया प्रस्ताव तैयार कर भोपाल भेजा गया।
इस प्रस्ताव में जिन 18 ग्राम पंचायतों को शामिल किया है। उनमें चिटोरा, चंदनपुरा, नोहरीकलां, मुढेरी, सिंहनिवास, ठर्रा, दरौनी, ईटमा, पिपरसमां, तानपुर, टोंगरा, रातौर, रायश्री, सतेरिया, बांसखेड़ी, बड़ागांव, सुहारा और कोडावदा शामिल हैं। शिवपुरी ग्रामीण का वह क्षेत्र शामिल नहीं किया गया, जिसमें वन विभाग से सीमाएं जुड़ी हैं या गुजरी हैं।
शिवपुरी की वर्तमान शहरी आबादी 2 लाख 36 हजार 26 अनुमानित है। जिन ग्राम पंचायतों को शहरी क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव है, उनकी आबादी 39 हजार 18 है।
28 गांव शामिल करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई गुना को नगर निगम बनाने की घोषणा 16 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। वे जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल होने गुना पहुंचे थे। यहां लक्ष्मीगंज में आयोजित सभा में उन्होंने निगम बनाने की घोषणा की थी। इससे पहले 8 सितंबर को गुना नगर पालिका ने प्रस्ताव भी पारित किया था।
सीएमओ तेज सिंह यादव ने बताया कि नगर पालिका की तरफ से प्रक्रिया पूरी कर फाइल कलेक्टर को भेज दी गई है। अब वहां से प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाना है। जानकारी के अनुसार, नगर निगम बनाने के लिए 28 गांवों को इसमें शामिल किया जाएगा। वर्तमान में शहर की जनसंख्या 2.50 लाख है। नगर निगम बनाने के लिए कम से कम 3 लाख की जनसंख्या जरूरी है।
एक्सपर्ट बोले- पॉलिटिकल माइलेज के अलावा कोई और फायदा नहीं नगर पालिका को नगर निगम बनाने की सारी घोषणा चुनावों के इर्द गिर्द की गई हैं। नगरीय प्रशासन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर केके श्रीवास्तव कहते हैं कि नगर पालिका के कामों में एक निश्चित सीमा के बाद राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत होती है। नगर निगम में राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता। सारी शक्तियां महापौर और नगर निगम परिषद के पास होती हैं।
मेरे ख्याल से राज्य सरकार का नियंत्रण जरूरी है। बाद में किसी मामले को लेकर शिकायत होती है तो इसकी जांच लंबी चलती रहती है। जांच का क्या नतीजा होता है, ये सब जानते हैं। वहीं, राजनीतिक रूप से देखें तो पार्टी के कार्यकर्ता और सीनियर लीडर्स को लगता है कि ज्यादा से ज्यादा मेयर बना दिए।
जहां तक आर्थिक स्थिति का सवाल है तो जीएसटी लागू होने के बाद फाइनेंस कमीशन स्टेट की शहरी जनसंख्या के आधार पर पैसों का अलॉटमेंट करता है। मप्र के शहरी क्षेत्र के लिए मान लीजिए कि 700 करोड़ रुपए दिए गए तो मौजूदा स्थिति में ये 16 नगर निगम के बीच बंटेंगे। यदि नगर निगम की संख्या ज्यादा होगी तो एक शहर के हिस्से में कम पैसा आएगा।
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