ढाका4 घंटे पहले
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शेख हसीना पर आरोप है कि उन्होंने रूस द्वारा बनाए गए रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट में गबन किया था।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की परेशानियां खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं। मोहम्मद यूनुस की सरकार लगातार उनके खिलाफ नए आरोप लगा रही है। अब बांग्लादेश में एंटी करप्शन कमीशन (ACC) ने हसीना और उनके परिवार के खिलाफ करीब 42,600 करोड़ रुपए (5 बिलियन डॉलर) गबन की जांच शुरू की है।
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक हसीना पर आरोप है कि उन्होंने राजधानी ढाका से 160 किमी दूर रूपपुर में रूस द्वारा डिजाइन किए गए न्यूक्लियर पावर प्लांट में यह गबन किया था।
रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम द्वारा बनाए जा रहे इस प्लांट में भारतीय कंपनियों की भी हिस्सेदारी है।
रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण कार्य 2017 में शुरू किया गया था। इसके 2025 तक पूरे होने की उम्मीद है।
गबन की रकम को मलेशिया ट्रांसफर करने का आरोप हसीना के खिलाफ जांच शुरू करने का फैसला तब किया गया जब बांग्लादेशी हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले ACC से पूछा था कि इस मामले में आपकी निष्क्रियता को क्यों अवैध घोषित न किया जाए?
इस मामले में शेख हसीना, उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय, बहन रेहाना और भतीजी ट्यूलिप सिद्दीक को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इन्होंने गबन की रकम को मलेशियाई बैंक में ट्रांसफर किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्यूलिप सिद्दीक, शेख रेहाना और अन्य लोगों को कमीशन के तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की रकम का 30% मिला था।
शेख हसीना फिलहाल भारत में रहती हैं, जबकि उनका बेटा अमेरिका में है और उनकी भतीजी ब्रिटेन में हैं। हालांकि शेख रेहना के बारे में अभी कोई कंफर्म जानकारी नहीं है।
शेख हसीना की भतीजी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी की मेंबर हैं और हैम्पस्टेड एंड हाईगेट से सांसद हैं।
सजीब वाजेद बोले- बांग्लादेश में राजनीतिक उत्पीड़न हो रहा
इससे पहले बांग्लादेश ने सोमवार को भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने इसे लेकर एक चिट्ठी भी भेजी है। तौहीद हुसैन का कहना है कि बांग्लादेश सरकार कानून का सामना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को वापस चाहती है।
इस मांग पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने यूनुस सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने X पर लिखा- यूनुस सरकार की तरफ से नियुक्त जजों और प्रॉसिक्यूटर ने इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल के जरिए एक मजाकिया ट्रायल शुरू किया है, जो एक राजनीतिक उत्पीड़न है। यह न्याय को दरकिनार करता है और आवामी लीग के नेताओं पर हमले को प्रमोट करता है।
पहले बांग्लादेश का कंगारू कोर्ट और अब डिपोर्ट करने की यह मांग, वो भी ऐसे समय पर जब सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं की गैर कानूनी तरीके से हत्या की जा रही है। उन पर हत्या के आरोप लगाए जा रहे हैं, हजारों लोगों को गैर कानूनी तरीके से कैद किया जा रहा है।
हम फिर दोहराते हैं कि जुलाई और अगस्त के बीच मानवाधिकार उल्लंघन की हर घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, लेकिन इस सरकार ने कोर्ट को हथियार बना लिया। हमे इस जस्टिस सिस्टम पर बिल्कुल भरोसा नहीं है।
शेख हसीना पर अब तक 225 से ज्यादा मामले
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।
आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट
बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इसके बाद से ही ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। यह आरक्षण खत्म कर दिया गया तो छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए।
इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली।
शेख हसीना की यह फुटेज 5 अगस्त की है। वे हेलिकॉप्टर में बैठ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें देश छोड़ने के लिए 1 घंटे से भी कम समय मिला था।
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