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शोषित होने से बचने के लिए लाइफ मैनेजमेंट कीजिए: लखनऊ में IIM इंदौर के मैनेजर बोले- जंगल में भटकें तो जानवरों जैसा बर्ताव करें – Lucknow News

लाइफ मैनेजमेंट हर उम्र के व्यक्ति के लिए जरूरी है। क्योंकि व्यक्ति अपने आप से झूठ बोलता है। अपनी वास्तविकता को स्वीकार नहीं करता। वो जैसा चाहता है चीजें वैसी नहीं होती तो उसे खराब लगता है। इसलिए वह इग्नोर करता है।

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जब तक वह अपने बीते दिनों को याद करता है तब तक काफी देर हो जाती है। व्यक्ति की समय और ऊर्जा दोनों खत्म हो जाती है। चीजों को ठीक करने के लिए समय नहीं बचता।

ये कहना है IIM इंदौर के मैनेजर नवीन कृष्ण राय का। उन्होंने अपनी किताब लाइफ मैनेजमेंट में इन्हीं बातों का जिक्र करते हुए समाधान बताया है।

दैनिक भास्कर ने नवीन कृष्ण राय से बात की। उनकी लिखी किताब की कहानी को समझा। जीवन के उतार चढ़ाव को जाना। आइए सब कुछ शुरू से जानते हैं… नवीन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के बीरपुर गांव के रहने वाले हैं। जन्म के तीन महीने पहले पिता कृष्णा नंद राय का देहांत हो गया। वह सेना में हवलदार के पद पर थे। मां ऊषा राय को जो पेंशन मिलती उसी से घर चलता। नवीन की शुरुआती पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय प्रयागराज से हुई। इसके बाद वह मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी गोरखपुर से बीटेक किए।

पढ़ाई के साथ गांव को लिया गोद नवीन ने बीटेक की पढ़ाई के दौरान गोरखपुर जनपद के मोतीराम अड्डा गांव को गोद लिया। गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताते। लाभ दिलाने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते। लोगों का कागजात बनवाने में मदद करते।

नक्सली क्षेत्र में शुरू किया अटेंडेंस विथ सेल्फी अभियान नौकरी करने की बजाय सामाजिक मुद्दों पर काम करने का रास्ता चुना। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र नौगढ़ में लगभग एक साल तक प्रवास किया। यहां सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति को रोकने के लिए जिला प्रशासन की मदद से अटेंडेंस विथ सेल्फी अभियान शुरू किया।

लाइफ मैनेजमेंट से जुड़ी वो रोचक बातें जिसे अनुभव कर नवीन किताब में लिखते हैं..।

सवाल- गुमराह और शोषित होने से कैसे बचें…? जवाब- मंजुल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘लाइफ मैनेजमेंट’ उन युवाओं को नई दिशा दिखाती है, जो किसी कारणवश भटक जाते हैं। यह किताब उन्हें भटकने और शोषण होने से बचने का मार्गदर्शन देती है। इसी लिए इसकी भूमिका में हमने लिखा है- ‘हर व्यक्ति हार्वर्ड में पढ़ाई नहीं कर सकता। पेशेवर काम में जितना मैनेजमेंट की जरूरत होती है, उतनी ही जरूरत हर युवा को होती है।

सवाल- आप इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई किए। किताब हिंदी में क्यों? जवाब हिंदी मीडियम में पढ़ने की वजह से जो युवा IIM और हार्वर्ड में पढ़ाई नहीं कर पाए। वह मैनेजमेंट से वंचित नहीं रहेंगे। मैंने यही सोचकर किताब लिखा। किताब में उन सिद्धांतों को आसान भाषा में समझाया, जो हर युवा की लाइफ में जरूरी है। क्योंकि अंग्रेजी की किताबों में रियल जिंदगी के उदाहरण नहीं होते। इस किताब में गांव और युवाओं के आसपास घटित होने वाले उदाहरण हैं।

गाजीपुर, बलिया, कौशांबी, चंदौली और प्रयागराज हिंदी भाषी क्षेत्र है। यहां लोकल भाषा ज्यादा बोली जाती है। यहां के अधिकतर युवा हिंदी मीडियम से पढ़ाई करते हैं। इसलिए मैं सोचा- ऐसी पुस्तक लिखूंगा जिसे पढ़कर युवा लाइफ का मैनेजमेंट कर सकेंगे।

सवाल- किताब पढ़ने से युवाओं के जीवन में क्या बदलाव आएगा? जवाब- मैं दावे के साथ कहता हूं, इसे पढ़ने के बाद जो आचरण में उतारेगा वह कभी गुमराह नहीं होगा। प्रॉफिट कमाना हर व्यक्ति की मंशा होती है। जबकि जीवन में फायदे के अलावा भी कई कारण होते हैं, जिनको ध्यान में रखना होता है। आप भले कंपनी बनाने के बाद हो सकता है सफल न माने जाएं, लेकिन जीवन बना लिए तो सफल माने जाएंगे।

सवाल- आप MBA नहीं किए इसके बाद भी मैनेजमेंट का अनुभव कैसे मिला? जवाब- दरअसल, ईश्वर ने मुझे जन्म से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में रखा। मैं हमेशा लोगों और परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए बिना हार माने लड़ता रहा। उस दौरान बहुत करीब से उन्हें ऑब्जर्व करता। इससे मेरी समझ बढ़ती गई। मेरा मानना है कि पढ़ाई कॉमन सेंस का एडवांस वर्जन है। आप अनुभव के आधार पर दुनिया की सभी विद्या अर्जित कर सकते हैं। किसी कॉलेज में एडमिशन लेना और क्लास रूम में पढ़ाई करके सीखना सफल रास्ता नहीं होता है।

सवाल- किताब के शीर्षक की बानगी किस ओर इशारा करती है? जवाब- जीवन में तेज चलना हो तो अनावश्यक जिम्मेदारियां लेने से बचें। मुरव्वत में किसी की बात न मानें। मुलाकात के अंत में अपना उदेश्य जरूर बताएं। सभी की इज्जत करें पर अंधविश्वास नहीं। अपने गॉडफादर से अनासक्त रहें। स्वयं के साथ अन्याय न करें। कम महत्वपूर्ण कार्यों को स्वयं न करें। किसी के सपने को पूरा करने का टूल न बनें।

सवाल- किसी एक चैप्टर की कहानी, जिसमें कड़ी मेहनत के बाद भी पछतावा हुआ हो? जवाब- तेजू सिंह का अफसोस…। ये कहानी चैप्टर 8 में है। तेजू सिंह का दिमाग तेज था। वह बहुत मेहनती था। अच्छी नौकरी और अच्छा पद डिजर्व करता था। लेकिन जिस समय उन्हें नौकरी और पद हासिल करने के लिए जो पढ़ाई करनी थी, जो डिग्री लेनी थी। जिस परीक्षा में पास होना था, वह उस पर ध्यान नहीं देता है।

बाद में वह न तो डिग्रियां हासिल कर पाए और न ही परीक्षाओं को पास कर पाए। इस कारण वह कभी नौकरियों और पदों को पाने के पात्र नहीं हो सके। इसकी वजह से उन्हें स्वयं से कम काबिल लोगों के अंडर में काम करना पड़ा। इसकी वजह से वह हमेशा दुःखी रहे। स्वयं के गलत निर्णयों पर पछताते रहे।

सवाल- जिसे लिखते समय आप खुद को किस कहानी में महसूस किए? जवाब- जी, चैप्टर 32 जब हम लिख रहे थे तब हमें एहसास हुआ- संघर्ष करने से व्यक्ति जल्दी परिपक्व होता है। रोहन की जगह मैं अपने आप को रखा। लिखते-लिखते सोचता हूं कि रोहन के पिता जीवित होते तो बेहतर होता।

दरअसल, कहानी में रोहन के पिता का देहांत उसके जन्म से पूर्व होता है। इसलिए वह सोचता है अगर पिता जीवित होते तो उसे हिम्मत मिलती। घर की आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत होती।

फिर लगता है रोहन का जो व्यक्तिव है, जितना वह साहसी है, जितना मेहनती है, उसके अंदर जितना संघर्ष करने की क्षमता है, शायद यह सब उसके पिता के न होने से उसके व्यक्तित्व में आई। इसलिए लगने लगता है संघर्ष करने से व्यक्ति जल्दी परिपक्व होता है।

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