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सच्चे सूरमा हैं म्हारे पैरालिंपियन, अखबारों के पन्ने रंगवा इतिश्री न करें कंपनियां, थोड़ा दूर का सोचिए प्लीज़

हाइलाइट्स

पैरालिंपियंस ने पैरिस में 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. कुछ एथलीट्स को ब्रांड्स ने विज्ञापन दिए हैं, मगर उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है.बड़े ब्रांड्स और कंपनियों को लॉन्ग टर्म एसोसिएशन के बारे में सोचना होगा.

नई दिल्ली. इन दिनों पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाले एथलीट्स की खूब चर्चा है. हालांकि तुलना करना ठीक नहीं, मगर लोग कह रहे हैं कि हमारे मेन एथलीट्स के मुकाबले पैरा एथलीट ज्यादा बेहतर हैं. इन गेम्स में ऐसा देखने को भी मिला है. मात्र 17 साल की आर्चर शीतल देवी का एक वीडियो इतना वायरल है कि लोग उनके सम्मान में अपने सिर झुका रहे हैं. कुल मेडल्स की बात करें तो पैरालंपिक गेम्स में भारत 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल के साथ 16वें स्थान पर है, जबकि मेन ओलंपिक गेम्स में भारत का नंबर 71वां हैं. मेन ओलंपिक में भारत के नाम एक भी गोल्ड नहीं है, हालांकि 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल जरूर हैं.

पैरा एथलीट्स ने न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना किया है, बल्कि अपने अदम्य हौसले और मेहनत से वो मुकाम हासिल किया है. मेन ओलंपिक में मेडल जीतने वाले एथलीट्स पर धनवर्षा हो रही है, विज्ञापन मिल रहे हैं. मगर एकाध विज्ञापन को छोड़ दें तो पैरा एथलीट्स की किस्मत में ‘सूखा’ है. कंपनियां खुद को चमकाने के चक्कर में अखबारों के पेज रंगवाकर पैरालिंपियंस को सलाम कर रही हैं. मगर यहीं तक सीमित रहना बहुत छोटी सोच है. जरूरत है उन्हें सही मायनों में सम्मानित किए जाने की, जिसके लिए ज़रा दूर का (लॉन्ग टर्म) सोचना पड़ेगा. तब जाकर न केवल एथलीट्स को सम्मान मिलेगा, बल्कि ब्रांड्स व कंपनियों के लिए भी लोगों के दिल में जगह बनेगी.

पैरालिंपियंस के साथ ब्रांड्स की साझेदारी
इस साल, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, क्राफ्टन इंडिया, श्राची ग्रुप, फॉर्जा मेडि इंडिया जैसे बड़े ब्रांड्स ने पेरिस जाने वाले पैरा एथलीट्स को सपोर्ट किया. हालांकि, इन एथलीट्स की जिंदगी सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं है. निशाद कुमार और सुमित अंतिल जैसे एथलीट्स एडिडास (Adidas) के साथ भी जुड़े हुए हैं. इसके अलावा, निशाद का बिसलेरी के साथ भी एसोसिएशन है, और सुमित कुछ महीने पहले कंट्री डिलाइट के कैम्पेन का हिस्सा थे. लगभग तीन साल पहले अवनि लेखरा को राजस्थान सरकार द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था.

सच्ची कहानियां और ब्रांड्स की जिम्मेदारी
पैरालिंपियंस के साथ जुड़ना सिर्फ स्पॉन्सरशिप तक सीमित नहीं होना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि उनके संघर्ष और उनकी जीत की कहानियां जनता तक पहुंचाई जाएं, ताकि उनकी मेहनत और समर्पण का असली मूल्य सामने आ सके. स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एक्सपर्ट अमोल पाटिल के हवाले से फाइनेंशियल एक्सप्रेस में लिखा गया है, “कैंपेन डेवलपमेंट में पैरालिंपियंस को शामिल करना और उनकी कहानियों को सही तरीके से प्रस्तुत करना जरूरी है. इससे न केवल सही संदेश पहुंचता है, बल्कि स्टीरियोटाइपिंग से भी बचा जा सकता है.”

ब्रांड्स और पैरालिंपियंस
ब्रांड्स का पैरालिंपियंस के साथ असोसिएशन कॉमन वैल्यूज पर होना चाहिए. IOS स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरव तोमर कहते हैं, “ब्रांड्स को पैरालिंपियंस की पर्सनल जर्नी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि केवल उनकी उपलब्धियों पर. इससे लोग उनके संघर्षों से जुड़ पाते हैं और ब्रांड के प्रति विश्वास भी बढ़ता है.” इस प्रकार की लॉन्ग टर्म साझेदारियां न केवल ब्रांड्स की विश्वसनीयता को बढ़ाती हैं, बल्कि देश के बड़े पैरालंपिक मिशन का भी समर्थन करती हैं.

ब्रांड की पहचान भी बनेगी
पैरालिंपियंस के साथ लॉन्ग टर्म के लिए साझेदारी करना ही ब्रांड्स की सच्ची पहचान होगी. इससे यह संदेश जाता है कि ब्रांड केवल बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नहीं, बल्कि एथलीट्स की यात्रा के सपोर्ट में उनके साथ हैं. उदाहरण के लिए, आईकेईए (IKEA) और टोयोटा (Toyota) जैसे ब्रांड्स ने पैरालंपिक एथलीट्स के साथ लॉन्ग टर्म असोसिएशन किया है. आईकेईए ने एक्सेसिबिलिटी को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट बनाए हैं, जबकि टोयोटा ने इवेंट्स के दौरान पैरालिंपियंस की सुविधा के लिए वाहनों का डिजाइन किया.

आनंद महिंद्रा शीतल देवी के कायल
हाल ही में आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट करके आर्चर शीतल देवी को उनका पुराना वादा याद दिलाया. महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन ने आर्चर शीतल देवी से कहा था कि वे उन्हें महिंद्रा की उनकी मनपसंद गाड़ी गिफ्ट करना चाहते हैं. वो जो गाड़ी चुनती हैं, उसे कंपनी की तरफ से रि-डिजाइन करके दिया जाएगा ताकि शीतल खुद उसका इस्तेमाल कर पाएं. यह ऑफर मिलने पर शीतल देवी ने कहा था कि वे गाड़ी लेंगी, लेकिन जब 18 वर्ष की हो जाएंगी, तब. शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को हुआ था. इस हिसाब से अगले साल जनवरी में वे 18 वर्ष की होंगी.

केवल एक मोडिफाइड गाड़ी गिफ्ट करने से आनंद महिंद्रा और कंपनी को वाहावाही मिल जाएगी. जरूरत इससे आगे बढ़ने की है. कंपनी यदि पैरा एथलीट्स के साथ लॉन्ग टर्म साझेदारी करें और अपने कैंपेन का हिस्सा बनाएं तो गेम्स के साथ-साथ कंपनी का भी लॉन्ग टर्म में फायदा हो सकता है.

Tags: Business news, Paralympic Games, Paris olympics, Sports news

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