समाज सेवा प्रकोष्ठ द्वारा नव वर्ष के अवसर पर एक साहित्यिक रचना गोष्ठी का आयोजन किया गया। रचना पाठ गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी और व्यंग्यकार नन्द किशोर बर्वे ने की। इस अवसर पर कवि, चिंतक और व्यंग्यकार सुरेश उपाध्याय, वरिष्ठ साहित्यकार ब्रजेश क
.
अपनी बात रखते एक रचनाकार
गोष्ठी में रचनाकारों ने एक ओर जहां समाजपरक गीत प्रस्तुत किए, वहीं यथार्थवादी समकालीन कविताओं का भी प्रभावी पाठ हुआ। सुरेश उपाध्याय ने सुनाया- घोड़ों की मंडी/ गधों का व्यापार/ हैरत में खच्चर/ तिरस्कृत लाचार। कवि ब्रजेश कानूनगो ने पेड़ पर लटके किसान के शव को देखकर लिखी रचना त्यागपत्र और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को श्रद्धांजलि देती हुई कविता आत्मग्लानि सुनाई। उन्होंने पढ़ा – जितना याद करता हूं अतीत को/वर्तमान शर्मसार होने लगता है/ कल की मौत /घुलती जा रही आज के जीवन में। नंदकिशोर बर्वे ने पट्टेवाले पजामे से थ्री फोर्थ पहनने तक शीर्षक व्यंग्य पढ़ते हुए कहा- थ्री फोर्थ पतलून याने न तो पूरा उर्ध्वगामी और न ही पूरा अधोगामी। न पूरा वाम पंथी न पूरा दक्षिण पंथी। उन्होंने अपनी एक मालवी व्यंग्य कविता जय जगदीश हरे भी सुनाई।
रचना पाठ करती हुए एक कवयित्री
समाज सेवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आलोक खरे ने कहा कि साहित्यिक गोष्ठी जैसे रचनात्मक कार्यक्रम से इस वर्ष के कार्यक्रमों की शुरुआत से बेहतर और क्या हो सकता था। साल भर होने वाले समाजसेवा, तंगबस्ती के बच्चों के व्यक्तित्व विकास शिविरों में भी रचनात्मक गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाती रही है। प्रारम्भ में प्रतिभा बर्वे ने सरस्वती वंदना का गायन किया। स्वागत सुबोध भोरासकर तथा अन्य सदस्यों द्वारा किया गया। इस अवसर पर बलराम जाटव, अशोक सिसोदिया, प्रदीप तिवारी, स्वामी, वर्षा पाठक, पुष्पा महाडिक, अर्चना सेन, लक्ष्मण पवार, वडनेरे आदि भी उपस्थित थे। संचालन श्याम पांडेय ने किया।
#समजसव #परकषठ #क #कवय #गषठ #वयगय #स #लकर #गभर #और #ववध #वषय #पर #गज #कवतए #और #रचनए #Indore #News
#समजसव #परकषठ #क #कवय #गषठ #वयगय #स #लकर #गभर #और #ववध #वषय #पर #गज #कवतए #और #रचनए #Indore #News
Source link