राजधानी में अफसर इन दिनों सरकार के करीबियों से परेशान हैं। अफसरों की स्थिति ऐसी है कि इधर कुंआ, उधर खाई। चूंकि, मामला सरकार के खास का है। इसलिए अफसर चुपचाप आदेश का पालन करने में भलाई समझते हैं।
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हाल ही में एक पूर्व सीएम की राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें इस बात पर अफसरों के बीच कानाफूसी होती दिखी कि “फलां” के कारण बहुत दिक्कत होती है। कभी कुछ कहते हैं, कभी कुछ करने को कहते हैं। क्या करें क्या न करें, समझ नहीं आता।
नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन तो क्यों भरा करोड़ों का टैक्स एमपी में पिछले कई सालों से अक्सर विवादों में रहने वाली गैर सरकारी संस्था एक बार फिर सवालों में हैं। हेल्थ और इमरजेंसी के दौरान राहत मुहैया कराने वाली संस्था ने दो करोड़ रुपए से ज्यादा जीएसटी चुकाया है।
तर्क ये दिया गया कि कई सालों से ये राशि बकाया थी। लेकिन, उसी संस्था के पुराने कर्ताधर्ताओं की यह आपत्ति है कि संस्था तो नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है और करों से मुक्त है तो यह कर अदायगी किस आधार पर की गई? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस जीएसटी अदायगी के बहाने कुछ और किया गया हो?
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विवादित स्कूल में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी शिक्षक प्राइवेट स्कूलों को सरकारी किए जाने का जिन्न दो दशक बाद फिर से बाहर आया है। स्कूल में फर्जीवाड़े को लेकर हाल ही में ये विवाद फिर से उठा है। इस प्राइवेट स्कूल के सरकारी होने से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति, भर्ती को लेकर गंभीर शिकायतें हुई हैं।
हाल ही में भोपाल तक यह खबर पहुंची है कि उसी स्कूल में बीजेपी के निवर्तमान जिला अध्यक्ष की पत्नी भी शिक्षक है। स्कूल के कर्ताधर्ता सेटिंग जमाने में एक्सपर्ट हैं। सरकार किसी की भी हो वे हर सरकार में सत्ता के करीब हो जाते हैं। इस बार मामला तूल पकड़ रहा है अब देखते हैं कि कार्रवाई होती है या मामला ठंडे बस्ते में पहुंचता है।
चैलेंज- हाथी के नीचे से निकलकर दिखाएं ‘सरकार’ विरोधी दल के स्टेट चीफ हाल ही नर्मदा के उद्गम स्थल पहुंचे थे। यहां वे मंदिर में बनी हाथी प्रतिमा के नीचे से निकले। हाथी प्रतिमा के नीचे बेहद संकरी जगह है। यहां से निकलने के बाद उन्होंने ‘सरकार’ को चेतावनी दे डाली।
विपक्षी लीडर ने कहा कि ‘सरकार’ इस हाथी के नीचे से निकलकर दिखाएं। इस चैलेंज के बाद लोग कह रहे हैं कि ‘सरकार’ अखाडे़ के पहलवान हैं। तलवारबाजी, कुश्ती, योगा में वे पारंगत हैं तो उनके लिए हाथी प्रतिमा के नीचे से निकलना कोई बड़ी बात नहीं है।
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साउथ लॉबी की सक्रियता से आईएएस अफसरों में खुसर-फुसर सूबे में हाल ही में हुए आईएएस अफसरों के तबादलों में जिस तरह से ‘साउथ लॉबी’ के अफसरों की जिम्मेदारी बढ़ी और आदेश में कई जिलों में इस रीजन के आईएएस अफसरों ने कलेक्टरी में कब्जा किया है, उसके बाद एमपी और दूसरे राज्यों के एमपी कैडर के आईएएस अधिकारी अब यही मना रहे हैं कि भगवान करे दोबारा साउथ लॉबी की ऐसी लहर न आए तो ही ठीक रहेगा।
दरअसल, अफसरों की प्रोफाइल तैयार कर जिस तरह से करप्ट, नॉन परफॉर्मर और परफॉर्मर बेस पर पोस्टिंग की गई है, उसके बाद आईएएस लॉबी में चर्चा है कि 10 साल पहले जिस तरह से साउथ लॉबी एक्टिव थी, उसी तरह की सक्रियता सरकार में एक बार फिर बन गई है। अब सीएम के सचिवालय से लेकर महत्वपूर्ण विभागों और कई जिलों में साउथ के अफसर पदस्थ हैं।
और अंत में..
विन्ध्य के नेता के धार्मिक प्रेम के मायने तलाश रहे लोग विन्ध्य की धरा से मौजूदा सरकार में महत्वपूर्ण ओहदा रखने वाले एक मंत्री जी का धार्मिक प्रेम इस समय विन्ध्य रीजन में चर्चा का विषय बना हुआ है। ये पहले भी मंत्री रहे हैं, लेकिन इतनी धार्मिक यात्राएं और संतों से समागम पहले नहीं करते थे, जितनी इन्होंने इस सरकार के एक साल के अंतराल में की है।
विरोधी कह रहे हैं कि विन्ध्य की सरकारी संपत्ति को एक कारोबारी पर लुटा चुके मंत्री जी अब अपने पाप कम करने के लिए इस तरह के समागम में सक्रिय हैं, वहीं दूसरी ओर मंत्रीजी के करीबियों का कहना है कि मंत्रीजी अपनी लाइन बड़ी करने में लगे हैं, इसीलिए समय-समय पर दिल्ली दरबार के साथ संतों के साथ समागम भी कर रहे हैं।
हाल में मंत्री जी प्रयागराज में भी कई संतों से मिलने पहुंचे थे।
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विरोधी दल में बदलाव का दौर चल रहा है। कई पुराने दिग्गजों को किनारे लगाकर नए लोगों को जिम्मेदारियां दी जा रहीं हैं। इन बदलावों से नए लोग खुश हैं, तो पुराने लोग खफा हैं। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर चर्चा है। कि कई ऐसे लोग पार्टी में पदाधिकारी बना दिए गए जिनके खिलाफ शिकायतें हुई थीं। डिसिप्लिन को लेकर उन पर एक्शन होना था। कार्रवाई की तलवार अब कैसे चलेगी ये बड़ा सवाल है। पढ़ें पूरी खबर…
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