संतों ने हथनी को स्नान कराया और वन विभाग को सौंप दिया।
मंडला में नर्मदा तट बैराज के पास सोमवार सुबह 11 बजे एक 52 वर्षीय हथिनी की मौत हो गई। हथिनी चित्रकूट के साधु-संतों के साथ इलाज के लिए मंडला आई थी।
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कान्हा टाइगर रिजर्व के पशु डॉ. संदीप अग्रवाल के अनुसार, हथिनी के गंभीर घाव का दो दिन पहले सर्जिकल ऑपरेशन किया गया था। हथिनी के मालिक रामखिलावन महाराज हैं और यह छत्तीसगढ़ से इलाज के लिए लाई गई थी। हथिनी के साथ रहने वाले बाबा मुन्ना गिरी ने बताया कि यह हथिनी 1982 से उनके साथ थी।
मौत की सूचना मिलते ही डीएफओ नित्यानंतम एल, डॉ. संदीप अग्रवाल और वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा। साधु-संतों ने हथिनी को स्नान कराया और पूजा-अर्चना के बाद वन विभाग को सौंप दिया। क्रेन की मदद से हथिनी के शव को ट्रक में लादा गया।
हथनी की मौत की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब नियमानुसार पोस्टमॉर्टम किया जाएगा और प्रोटोकॉल के तहत हथिनी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। तीन दिनों से चल रहे इलाज के बावजूद हथिनी को बचाया नहीं जा सका।
1982 से रामखिलावन महाराज के साथ थी हथनी।
अब वन विभाग हथनी का अंतिम संस्कार करेगा।
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