भोपाल में दुबई के बिजनेसमैन को साइबर क्रिमिनल्स खुद को पुलिस बताकर 7 घंटे तक डिजिटल हाउस अरेस्ट किए रहे। दोनों पैसे ऐंठ पाते, इतने में कारोबारी के कमरे में सीधा साइबर पुलिस जा पहुंची।
.
स्काइप पर वीडियो कॉल के जरिए कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट किए दोनों फ्रॉड असल पुलिस को देखकर पहले तो सक-पका गए, फिर कहने लगे, ‘यह सीबीआई की कार्रवाई है, आप हमें जानते नहीं हैं, बीच में नहीं आइए।’
पुलिस ने बिजनेसमैन को बताया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता। घटना 9 नवंबर को भोपाल की अरेरा कॉलोनी में रहने वाले विवेक ओबेरॉय (50) के साथ हुई। साइबर पुलिस शाम 7 बजे उनके घर पहुंची थी। विवेक दुबई में कॉर्पोरेट सेक्टर में बिजनेसमैन हैं।
खबर में आगे बढ़ने से पहले जान लीजिए, डिजिटल अरेस्ट होता क्या है?
स्कैम के इस नए तरीके में साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जनरेटेड वॉइस या वीडियो कॉल के जरिए फंसाते हैं और खुद को पुलिस अधिकारी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का अधिकारी या कस्टम अधिकारी होने का दावा करते हैं।
लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए कई हथकंडे आजमाते हैं। उदाहरण के तौर पर साइबर ठग पीड़ित से कहते हैं कि आपने चाइल्ड पोर्न देखा है या किसी ड्रग्स बुकिंग के मामले में आपके आधार कार्ड नंबर, पैन नंबर का इस्तेमाल हुआ है।
इसके बाद लोगों से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर पूछताछ करने के लिए वीडियो कॉल पर बात करने को कहते हैं। अधिकांश मामलों में साइबर ठग अपना एक पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप बनाकर पुलिस की वर्दी पहने बैठे होते हैं, जिससे लोगों को सब कुछ असली लगता है।
साइबर ठग लोगों को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने पूरी जांच के दौरान अपने परिवार या दोस्तों को इसके बारे में बताया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस तरह साइबर अपराधी डिजिटल स्पेस में लोगों को घंटों तक हिरासत में रखते हैं।
दुबई के बिजनेसमैन को इस तरह जाल में फंसाया
पुलिस के मुताबिक, जब टीम विवेक के घर पहुंची, तो साइबर क्रिमिनल्स उन्हें डिजिटल हाउस अरेस्ट किए हुए थे। एक ने विवेक को अपना नाम विक्रम सिंह बताते हुए मुंगई साइबर क्राइम सेल में सब इंस्पेक्टर बताया। दूसरे ने सीबीआई का डीसीपी मनीष कलवानिया बताया।
उन्होंने विवेक से फोन पर कहा कि आपके आधारकार्ड से इश्यू सिमों से गलत काम किए जा रहे हैं। कई राज्यों में फर्जी बैंक खाते भी खुले हैं।
उन्होंने विवेक को स्काइप ऐप इंस्टॉल कराया। मोबाइल और लैपटॉप पर वीडियो कॉल कर दोपहर 1 बजे से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर लिया। गिरफ्तारी का डर दिखाकर फ्रॉड उनसे पर्सनल जानकारियां पूछते रहे।
शाम 7 बजे बिजनेसमैन के घर पहुंची साइबर पुलिस की टीम ने जब दोनों से आईडी मांगी तो उन्होंने स्काइप के वीडियो कॉल को डिसक्नेक्ट कर दिया। इसके बाद पुलिस टीम ने बिजनेसमैन को बताया कि TRAI लीगल सेल ऑफिसर, CBI, मुंबई साइबर क्राइम सेल के नाम से उन्हें जो मनी लॉनड्रिंग केस में नोटिस भेजे गए, सभी फर्जी हैं।
शक होने पर रिश्तेदारों ने दी थी पुलिस को सूचना
साइबर पुलिस के अनुसार, विवेक दोपहर 1 बजे से कमरे में थे और शाम 6 बजे तक बाहर नहीं आए। परिजन ने अपने रिश्तेदारों से इस बारे में बात की, तो उन्हें डिजिटल हाउस अरेस्ट का शक हुआ। इसके बाद सूचना पुलिस को दी गई।
उप पुलिस महानिरीक्षक मो. यूसुफ कुरैशी ने बताया-
हमें विवेक ओबेरॉय के रिश्तेदारों से सूचना मिली थी। दोनों ठगों ने उन्हें इतना डरा दिया था कि वे अपनी जगह से हिल भी नहीं रहे थे। हमारी टीम उनके रूम के अंदर पहुंची, तो ठगों ने खुद को सीबीआई से बताया। आईडी दिखाने का कहा तो उन्होंने सबकुछ डिस्कनेक्ट कर दिया।
#सइबर #पलस #न #छड़वय #डजटल #अरसट #क #बधक #नकल #और #असल #पलस #क #हआ #आमनसमन #फर #ठग #बल #यह #CBI #क #कररवई #Bhopal #News
#सइबर #पलस #न #छड़वय #डजटल #अरसट #क #बधक #नकल #और #असल #पलस #क #हआ #आमनसमन #फर #ठग #बल #यह #CBI #क #कररवई #Bhopal #News
Source link