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साउथ कोरिया प्लेन क्रैश, 4 दिन बाद भी सुराग नहीं: पायलट ने पक्षी टकराने का अलर्ट भेजा, फिर 6 साल का सबसे बड़ा विमान हादसा

35 मिनट पहले

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साउथ कोरिया के मुआन एयरपोर्ट पर जेजू एयरलाइंस की फ्लाइट 7C2216 क्रैश हो गई। - Dainik Bhaskar

साउथ कोरिया के मुआन एयरपोर्ट पर जेजू एयरलाइंस की फ्लाइट 7C2216 क्रैश हो गई।

साउथ कोरिया में 29 दिसंबर की सुबह मुआन एयरपोर्ट पर जेजू एयर का विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में 179 लोगों की मौत हो गई। विमान में सवार सिर्फ 2 क्रू मेंबर बच पाए। इन दोनों को प्लेन के पीछे की ओर इमरजेंसी एग्जिट से रेस्क्यू किया गया।

हाल के समय में हुआ ये हादसा सबसे घातक प्लेन क्रैश में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यह हादसा 2018 के बाद का सबसे बड़ा हादसा है, तब लायन एयर फ्लाइट 610 इंडोनेशिया में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इसमें सवार सभी 189 लोग मारे गए थे।

जेजू एयर हादसे के 4 दिन बीत जाने के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि यह प्लेन क्रैश कैसे हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंजन से पक्षी का टकराना ही हादसे की वजह नहीं हो सकती है। उनका मानना है कि एक इंजन पर पक्षी के टकराने से सभी सिस्टम पूरी तरह से फेल नहीं हो जाते, एक इंजन पर भी प्लेन को उड़ाया जा सकता है।

ऐसे में जांच में जुटी टीम यह पता करने में जुटी है कि आखिर हुआ क्या था…

लैंडिग गियर नहीं खुलने की वजह से प्लेन लैंड नहीं कर सका सबसे पहले पायलट ने सुबह 8:59 बजे मुआन एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को मेडे अलर्ट भेजा। पायलट मेडे शब्द का इस्तेमाल इमरजेंसी की स्थिति में करते हैं। पायलट ने सूचना दी कि प्लेन से एक पक्षी टकरा गया है। इसके बाद पायलट को रास्ता बदलने और उल्टी दिशा में उतरने का निर्देश दिया गया था।

प्लेन ने एयरपोर्ट पर लैंडिंग के लिए दो बार कोशिश की। पहली बार में लैंडिंग गियर नहीं खुलने की वजह से प्लेन लैंड नहीं हो पाया था। इसके बाद पायलट ने हवा में एक और चक्कर लगाने की बात कही। हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि लैंडिंग गियर के न खुलने की वजह क्या थी।

प्लेन हवा में पूरी तरह बिना चक्कर लगाए दक्षिण की तरफ रनवे पर तेजी से बढ़ा।

प्लेन हवा में पूरी तरह बिना चक्कर लगाए दक्षिण की तरफ रनवे पर तेजी से बढ़ा।

प्लेन नॉर्मल लैंडिंग से चूक गया और रनवे पर छिटक कर दूर जा गिरा। इसके बाद प्लेन से धुआं निकलने लगा।

प्लेन नॉर्मल लैंडिंग से चूक गया और रनवे पर छिटक कर दूर जा गिरा। इसके बाद प्लेन से धुआं निकलने लगा।

बेली लैंडिंग के दौरान विमान धीमा हो जाती है। प्लेन जब रनवे पर उतरा तो उसका लैंडिंग गियर दिखाई नहीं दिया। लैंडिंग गियर विमान को जमीन पर खड़े रहने में मदद करता है। इसके साथ ही प्लेन का विंग फ्लैप भी एक्टिव नहीं था। विंग फ्लैप को एक्टिव करने पर प्लेन की स्पीड धीमी हो जाती है, लेकिन प्लेन रनवे पर बहुत तेजी से आगे बढ़ता रहा, पायलट विमान को कंट्रोल करने में फेल हो गया।

बेली लैंडिंग के दौरान विमान धीमा हो जाती है। प्लेन जब रनवे पर उतरा तो उसका लैंडिंग गियर दिखाई नहीं दिया। लैंडिंग गियर विमान को जमीन पर खड़े रहने में मदद करता है। इसके साथ ही प्लेन का विंग फ्लैप भी एक्टिव नहीं था। विंग फ्लैप को एक्टिव करने पर प्लेन की स्पीड धीमी हो जाती है, लेकिन प्लेन रनवे पर बहुत तेजी से आगे बढ़ता रहा, पायलट विमान को कंट्रोल करने में फेल हो गया।

प्लेन कॉन्क्रीट की दीवार से टकरा गया। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर रनवे पर यह दीवार न होती तो हादसा इतना बुरा नहीं होता।

प्लेन कॉन्क्रीट की दीवार से टकरा गया। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर रनवे पर यह दीवार न होती तो हादसा इतना बुरा नहीं होता।

जब तक आग पर काबू पाया गया, प्लेन की पूरी बॉडी जल चुकी थी। तब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे।

जब तक आग पर काबू पाया गया, प्लेन की पूरी बॉडी जल चुकी थी। तब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे।

दुनिया में सबसे ज्यादा उड़ता है बोइंग 737-800 प्लेन हादसे का शिकार प्लेन बोइंग 737-800 जेट था। इस यात्री विमान का दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। प्लेन ने बैंकॉक से छह क्रू मेंबर्स और 175 यात्रियों के साथ उड़ान भरी। इनमें से ज्यादातर दक्षिण कोरियाई थे जो थाईलैंड में क्रिसमस की छुट्टियां मनाकर लौट रहे थे।

मुआन के चीफ फायर ऑफिसर ली जंग-ह्यून ने कहा, “इस हादसे की ‘बर्ड स्ट्राइक’ और मौसम के पहलू से जांच की जा रही है।” एयरपोर्ट के अधिकारियों का मानना है कि ‘बर्ड स्ट्राइक’ की वजह से लैंडिंग गियर में खराबी आ सकती है।

अमेरिका भेजा जाएगा विमान का ब्लैक बॉक्स अधिकारियों ने प्लेन का ‘ब्लैक बॉक्स’ बरामद कर लिया है। नारंगी रंग वाला ब्लैक बॉक्स एक हार्ड डिस्क जैसा उपकरण होता है, जो विमान का सारा डेटा इकट्ठा करता है। यह कॉकपिट में पायलटों के बीच होने वाली बातचीत को भी रिकॉर्ड करता है ताकि पता लग सके कि दुर्घटना से ठीक पहले क्या हुआ था। यह कंप्यूटर अनाउंसमेंट के साथ ही यात्रियों से जुड़ी अनाउंसमेंट भी रिकॉर्ड करता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक यह हादसा इतना भयानक था कि ‘ब्लैक बॉक्स’ को भी आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा है। इसलिए इसे अमेरिका भेजा जाएगा। ऐसे में डेटा को हासिल करने में कुछ समय लग सकता है। इसके बाद ही पता चल पाएगा कि पक्षी के टकराने का अलर्ट भेजने और प्लेन के दीवार से टकराने के बीच के 4 मिनटों में क्या हुआ।

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