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सिंगापुर के 8 वें गोलमेज सम्मेलन में जयशंकर का बयान, इन मुद्दों से निपट सकता है भारत – India TV Hindi

एस जयशंकर, विदेश मंत्री। - India TV Hindi

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एस जयशंकर, विदेश मंत्री।

सिंगापुर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंगापुर में शुक्रवार को आसियान-‘इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक्स’ के आठवें गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के सदस्य जनसंख्या के लिहाज से बड़े देश हैं और उनका सहयोग समसामयिक मुद्दों के समाधान, खाद्य एवं स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण हो सकता है।  इस गोलमेज सम्मेलन का विषय था, ‘परिवर्तनशील विश्व में मार्गदर्शन: आसियान-भारत सहयोग के लिए एजेंडा’।

यहां एक दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत और आसियान के सदस्य जनसंख्या के लिहाज से प्रमुख देश हैं, जिनकी उभरती मांगें न केवल एक-दूसरे को सहायता प्रदान कर सकती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ी उत्पादक शक्तियां बन सकती हैं।’’ उन्होंने कहा कि आसियान और भारत की आबादी विश्व की एक-चौथाई आबादी से अधिक है। दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के सदस्यों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी उपभोक्ता मांग और जीवनशैली से जुड़ी पसंद खुद ही अर्थव्यवस्था को गति देने वाली है।

सेवाओं और कनेक्टिविटी को भी मिलेगा आकार

जयशंकर ने कहा कि वे सेवाओं के पैमाने और ‘कनेक्टिविटी’ को भी आकार देंगे क्योंकि हम व्यापार, पर्यटन, एक दूसरे देश में सुगम आवाजाही और शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। हमारे प्रयासों की व्यापकता तात्कालिक क्षेत्र से कहीं आगे तक फैली हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में भी सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है। जलवायु परिवर्तन की चरम स्थितियों वाले युग में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चिंता का विषय है। इसी तरह, वैश्विक महामारियों के अनुभव के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा की तैयारी भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।’’ जयशंकर ने कहा कि म्यांमा जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियां हैं और रहेंगी, जिनका भारत और आसियान को मिलकर समाधान करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आज म्यांमा की स्थिति इसका एक प्रमुख उदाहरण है। जो समीपवर्ती लोग हैं उनकी रुचि और मैं कह सकता हूँ कि उनका दृष्टिकोण हमेशा कठिन होता है। ’ उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारे पास दूरी या समय की सुविधा नहीं है। यह एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) स्थितियों के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा और संरक्षा के मामले में भी तेजी से बढ़ रहा है।” (भाषा)

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