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सीरिया में हिंसा से 2 दिन में एक हजार मौतें: सेना और असद समर्थकों में झड़प; अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों को फांसी पर चढ़ाया

दमिश्क28 मिनट पहले

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सीरिया में गुरुवार से सेना और असद समर्थकों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी। - Dainik Bhaskar

सीरिया में गुरुवार से सेना और असद समर्थकों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी।

सीरिया के लताकिया और टार्टस में बीते कई दिनों से सेना और पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थकों के बीच झड़प जारी है। इस हिंसा से 2 दिन में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

मौतों का यह आंकड़ा 2011 में सीरियाई गृह युद्ध के बाद सबसे ज्यादा है। इसकी जानकारी सीरिया में युद्ध पर नजर रखने वाली संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने दी है।

संस्था के मुताबिक पिछले दो दिनों में सुरक्षाबलों ने अलावी मुस्लिम समुदाय के 745 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी। इनमें से ज्यादातर को फांसी दी गई है। इसके अलावा असद समर्थक 148 लड़ाके भी मारे गए हैं। वहीं इस हिंसा में सुरक्षा बलों के 125 जवानों की भी मौत हुई है।

पिछले साल दिसंबर में तख्तापलट होने के बाद बशर देश छोड़कर रूस भाग गए थे। इसके बाद सीरिया की सत्ता पर उग्रवादी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का कब्जा हो गया।

HTS नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने खुद को सीरिया का नया राष्ट्रपति घोषित किया है।

HTS नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने खुद को सीरिया का नया राष्ट्रपति घोषित किया है।

दावा- असद समर्थकों ने सुरक्षा बलों पर पहले हमला किया

सीरिया सरकार का कहना है कि असद के वफादार लड़ाकों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिससे हिंसा शुरू हुई। वहीं, असर के लड़ाकों ने सुरक्षाबलों पर रिहाइशी इलाकों पर बमबारी करने का आरोप लगाया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक झड़प तब शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इसके बाद सरकार ने लताकिया और टार्टस में भारी संख्या में सेना की तैनाती की है। साथ ही कर्फ्यू लगाने का भी आदेश दिया है।

लताकिया और टार्टस प्रांतों में हिंसा ने अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। ये इलाके अल्वी समुदाय के गढ़ हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के प्रति वफादार रहे हैं। सीरिया में बीते साल दिसंबर में बशर अल असद को सत्ता से हटाए के बाद ये सबसे भीषण हिंसक झड़प है।

बशर अल असद 24 साल से सीरिया के राष्ट्रपति थे। फिलहाल वे रूस में हैं।

बशर अल असद 24 साल से सीरिया के राष्ट्रपति थे। फिलहाल वे रूस में हैं।

जुलानी ने कैसे किया तख्तापलट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2016 में जब सीरिया का गृह युद्ध थमा, तब से जुलानी अपनी लड़ाकों को मजबूत करने में जुट गया। चीन के उईगर मुसलमानों से लेकर अरब और सेंट्रल एशिया से लोगों की मदद से उसने अपनी फौज तैयार की।

जुलानी ने सही समय का इंतजार किया, जो इजराइल-हमास जंग और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से आया। 2022 में यूक्रेन में जंग शुरू हो गई और रूस वहां व्यस्त हो गया। इसके चलते रूस ने अपने सैनिकों को सीरिया से निकाल लिया।

फिर 2023 में इजराइल और हमास के बीच जंग शुरू हुई। नतीजा ये हुआ कि ईरान और हिजबुल्लाह जो सीरिया में असद की मदद कर रहे थे वे अब उन पर ध्यान नहीं दे पाए। हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हिजबुल्लाह कमजोर हो गया। इसी का फायदा उठाकर जुलानी ने सीरियाई सेना पर हल्ला बोल दिया और 11 दिन में राष्ट्रपति का तख्तापलट कर दिया।

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तारीख 8 दिसंबर, भारत में रात के करीब 12 बजे थे। तभी खबर आई कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अपना देश छोड़कर पूरे परिवार के साथ रूस भाग चुके हैं।

27 नवंबर को जब सीरिया के विद्रोहियों ने वहां के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर हमला किया तो शायद ही असद ने सोचा होगा कि उनके शासन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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https://www.bhaskar.com/international/news/1000-people-died-in-2-days-due-to-violence-in-syria-134612006.html