मध्य प्रदेश के सीहोर में इस समय दलहनी, तिलहनी और सब्जी की फसलों में कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इन कीटों से बचाव के लिए कई प्राकृतिक उपाय सुझाए हैं।
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कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि रस चूसक कीट, लीफ माइनर और छोटी इल्लियों के लिए नीमास्त्र का प्रयोग करें। इसके लिए 5 किलो नीम की हरी पत्तियां या सूखी निंबोली को पीसकर 100 लीटर पानी में मिलाएं। इसमें 5 लीटर गौमूत्र और 1 किलो देसी गाय का गोबर मिलाएं। इस घोल को 48 घंटे तक ढककर रखें और दिन में 2-3 बार हिलाएं। फिर छानकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
बड़ी इल्लियों और सुंडियों के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग करें। 10 लीटर गौमूत्र में 3 किलो नीम, 2-2 किलो करंज, सीताफल और सफेद धतूरे की पत्तियां पीसकर मिलाएं। इस मिश्रण को उबालें और 48 घंटे ठंडा होने दें। 2-2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
तने और डंठल में रहने वाले कीड़ों के लिए आग्नेयास्त्र बनाएं। 10 लीटर गौमूत्र में 500 ग्राम हरी मिर्च, 500 ग्राम लहसुन और 5 किलो नीम पत्ते मिलाएं। उबालने के बाद 48 घंटे रखें और फिर छानकर इस्तेमाल करें।
इसके अलावा पंचगव्य और दशपर्णी अर्क का भी प्रयोग किया जा सकता है। पंचगव्य में गाय का गोबर, घी और गुड़ मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें। दशपर्णी अर्क के लिए गोबर-गौमूत्र, हल्दी, अदरक, हींग, सोंठ, तंबाकू, मिर्च और लहसुन का मिश्रण तैयार करें।
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