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सेट्स पर कितनी जरूरी है सेफ्टी और सस्टेनेबिलिटी: शूटिंग के दौरान आग की लपटों से घिर गए थे शाहरुख, ट्रेन की चपेट में आने से बचे सलमान

3 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन/वीरेंद्र मिश्र

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फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में जितना ग्लैमर दिखता है, उसके पीछे कई चैलेंज भी होते हैं, खासकर सेफ्टी और हेल्थ को लेकर। पहले सेट्स पर सेफ्टी के लिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन अब इंडस्ट्री प्रोफेशनल कंपनियों की हेल्प से इंटरनेशनल सेफ्टी स्टैंडर्ड्स फॉलो करने लगी है।

आज रील टु रियल के इस एपिसोड में जानेंगे कि शूटिंग के दौरान हादसे रोकने, एक्टर्स और क्रू मेंबर्स के लिए सेफ वर्किंग एनवायर्नमेंट किस तरह से काम कर रहा है। यह सब चीजें कैसे मैनेज होती हैं। इस पूरे प्रोसेस को समझने के लिए हमने लाइफ फर्स्ट के फाउंडर आदित्य गुप्ता से बात की। आदित्य गुप्ता की कंपनी सेफ्टी और हेल्थ को लेकर काम करती है।

सेट्स पर सेफ्टी और सस्टेनेबिलिटी की जरूरत क्यों महसूस हुई?

अक्सर देखा जाता है कि शूटिंग के दौरान जरा सी लापरवाही की वजह से बड़े हादसे हो जाते हैं। कई बार क्रू मेंबर अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। इसके लिए शूटिंग के दौरान सेट्स पर सेफ्टी और सस्टेनेबिलिटी की बहुत जरूरत है। हालांकि अभी भी बॉलीवुड में इसका ठीक से पालन नहीं हो रहा है, लेकिन हॉलीवुड शूटिंग लोकेशन्स पर सेफ्टी के नियम काफी कड़े होते हैं। वहां हर फिल्म के शूटिंग सेट पर एक सेफ्टी ऑफिसर होता है, जिसकी मंजूरी के बिना शूटिंग शुरू नहीं हो सकती है।

लाइफ फर्स्ट के फाउंडर आदित्य गुप्ता कहते हैं- करीब 15 साल पहले जब मैं असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहा था। उस समय शूटिंग के दौरान सेट पर बहुत हादसे होते थे। सेट्स पर ऊंचाई पर बने कैटवॉक स्ट्रक्चर पर क्रू मेंबर्स 14-15 घंटे काम करते थे। अक्सर थकान के कारण हादसे होते रहते थे। एक बार मेरे सेट पर एक टेक्नीशियन गिर गया। कभी किसी को करंट लग जाता, तो कभी कोई भारी लाइट गिरने से चोटिल हो जाता।

इन सब चीजों को देखते हुए अक्सर मन में यही सवाल आता था कि इंडस्ट्री में कोई डेडिकेटेड सेफ्टी टीम क्यों नहीं है? सेफ्टी के साथ सस्टेनेबिलिटी भी बड़ी समस्या थी। सेट पर हर दिन टनों खाना बर्बाद होता, मटेरियल्स और कॉस्ट्यूम्स बिना किसी रीसाइक्लिंग के फेंक दिए जाते। यह सब सोचकर मैंने लाइफ फर्स्ट की नींव रखी। इसका मकसद सिर्फ यही है कि सेट्स को ज्यादा सेफ और सस्टेनेबल बनाना, ताकि हर कलाकार और क्रू बिना किसी डर के अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दे सके।

सेफ्टी और सस्टेनेबिलिटी का प्लान कैसे किया जाता है?

फिल्म प्रोडक्शन के दौरान सेफ्टी और सस्टेनेबिलिटी सबसे अहम पहलू होते हैं, जिन्हें शुरुआत से ही प्लान किया जाता है। पहले स्टेप में सेफ्टी ऑफिसर सभी लोकेशन्स की जांच करता है और संभावित खतरों की पहचान कर इमरजेंसी एक्शन प्लान तैयार करता है। इसके बाद प्रोडक्शन टीम के साथ प्लान शेयर कर एक सेफ्टी कमेटी बनाई जाती है, जिसमें हर डिपार्टमेंट का हेड अपनी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

शूटिंग के दौरान वर्कर्स को सेफ्टी ट्रेनिंग दी जाती है और सेट पर फायर सेफ्टी इक्विपमेंट, पीपीई किट्स और इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम मौजूद रहती है। खासकर स्टंट या फायर सीन के दौरान सेट पर डॉक्टर और एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाती है ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।

शूटिंग के दौरान केबल्स, पावर टूल्स, फ्लेमेबल मटेरियल जैसी अनदेखी चीजों से भी सेफ्टी ऑफिसर्स नजर रखते हैं। रेगुलर रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि फिल्म प्रोडक्शन तेजी से हो, लेकिन पूरी सुरक्षा और सस्टेनेबिलिटी के साथ। फिल्म इंडस्ट्री में सेफ्टी को लेकर हमेशा से लापरवाही देखी गई है, लेकिन कुछ खास मौकों पर बड़े सितारों ने भी प्रोटोकॉल का समर्थन किया।

वरुण धवन और अनिल कपूर का सपोर्ट

कोविड के दौरान जब फिल्म ‘जुग जुग जियो’ की शूटिंग हो रही थी, तब सेट पर सख्त सेफ्टी प्रोटोकॉल लागू किए गए। सभी को मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना और पीपीई किट का इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया था। जब वरुण धवन और अनिल कपूर सेट पर आए तो माहौल अस्पताल जैसा लगने लगा, लेकिन जल्द ही अनिल कपूर ने खुद पहल करते हुए सभी से कहा कि हर कोई नियमों का पालन करे।

उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि अनावश्यक लोग सेट से बाहर रहें। अनिल कपूर खुद एक्टिव होकर ऊपर-नीचे जाते और सेट को क्लियर करवाते हुए कहते गाइज, हमें इन नियमों को फॉलो करना ही होगा, इस कदम से पूरी टीम को एक अनुशासन में रहने की प्रेरणा मिली।

सेफ्टी सिर्फ एक्सीडेंट रोकने के लिए नहीं, बल्कि लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स के लिए भी जरूरी

सेट पर एक छोटा सा एक्सीडेंट भी प्रोडक्शन के लिए भारी नुकसान साबित हो सकता है। शूटिंग रुकने से न केवल डेट्स मिसमैच होती हैं, बल्कि पूरा शेड्यूल बिगड़ सकता है। इसलिए अब प्रोडक्शन हाउसेस भी समझ रहे हैं कि सेफ्टी सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि लंबे समय तक सुचारू रूप से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।

सेट पर वर्कर्स की सेफ्टी के लिए पहल

शूटिंग के दौरान वर्कर्स की सेफ्टी पर भी बहुत ध्यान देना जरूरी है। अक्सर यह देखा जाता है कि जो लोग पेंटिंग या अन्य निर्माण कार्य करते हैं, वे बिना किसी सुरक्षा उपायों के सीधे केमिकल्स से जुड़ जाते हैं। पेंट मिक्स करने के लिए वे हाथों का इस्तेमाल करते हैं, बिना मास्क के घंटों तक जहरीले धुएं के संपर्क में रहते हैं। वर्कर्स को समझाया कि वे ग्लव्स का इस्तेमाल करें, मास्क पहनें और पेंट मिक्स करने के लिए हाथ के बजाय एक डंडे का उपयोग करें। हालांकि शुरू में लोग इसका विरोध करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे उन्हें इसकी अहमियत समझ आ गई है।

सेट की सुरक्षा का महत्व

फिल्म इंडस्ट्री में छोटी सी लापरवाही भी हादसे का कारण बन सकती है, जिससे वर्कर्स घायल हो सकते हैं और शूटिंग रुक सकती है। इसके लिए उन्हें सेफ्टी की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे सेट पर सुरक्षित और पॉजिटिव माहौल बनता है। सेफ्टी की ट्रेनिंग में वर्कर्स को पीपीई किट्स लेना, ऊंचाई पर काम करते समय सेफ्टी हार्नेस पहनना, जूते पहनकर सेट पर काम करना, जैसी छोटी-छोटी बातें बताई जाती है।

सेफ्टी का ध्यान रखने के लिए सेट पर कितने लोग मौजूद होते हैं?

यह पूरी तरह से प्रोजेक्ट पर निर्भर करता है। वेबसीरीज और फिल्म की शूटिंग के दौरान कम से कम पांच लोगों की टीम होती है। जिसमें एक सेफ्टी मैनेजर, एक सस्टेनेबिलिटी एंड सेफ्टी ऑफिसर, कुछ सेफ्टी मार्शल्स और एक ग्रीन रनर या सफाई कर्मी शामिल होते हैं। यह ग्रीन रनर सेट पर सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करते हैं। वे रिसाइकलिंग की प्रक्रिया को भी देखते हैं। बड़ी फिल्म और शो की शूटिंग के दौरान कुछ एक्स्ट्रा डॉक्टर, एम्बुलेंस, फायर मास्टर और सिक्योरिटी की जरूरत पड़ती है।

अगर कोई छोटा प्रोजेक्ट होता है तो वहां एक ऑफिसर भी काफी होता है, लेकिन वह सिर्फ सेट पर मौजूद नहीं रहते, बल्कि पूरे क्रू को ट्रेन भी करते हैं ताकि अगर कोई इमरजेंसी हो, तो उन्हें फायर एक्सटिंग्विशर इस्तेमाल करना, इलेक्ट्रिकल सेफ्टी के नियम और अन्य सेफ्टी प्रोटोकॉल पहले से पता हों।

सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए प्रियंका चोपड़ा की शूटिंग रोक दी गई

आदित्य गुप्ता दिल्ली में एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए कहते हैं- दिल्ली में एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट की शूटिंग होनी थी, जिसमें प्रियंका चोपड़ा भी थीं। उस प्रोजेक्ट में बीबीसी और नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियां जुड़ी थीं। जब दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बहुत ज्यादा बढ़ गया, तो उनकी सेफ्टी टीम ने तुरंत शूटिंग रोक दी और पूरे क्रू को एक हफ्ते तक होटल में रखा, क्योंकि उनके लिए सेफ्टी सबसे जरूरी थी।

सेफ्टी सुपरवाइजर ने अल्लू अर्जुन की फिल्म को शूटिंग की मंजूरी नहीं दी

अल्लू अर्जुन की तेलुगु फिल्म ‘ना पेरू सूर्या ना इलू इंडिया’ के गाने Lover Also Fighter Also की शूटिंग यूके में होनी थी। वहां के लोकल सेफ्टी सुपरवाइजर ने शूटिंग की मंजूरी नहीं दी, जबकि भारतीय मानकों के हिसाब से सभी सेफ्टी इंतजाम पूरे थे। भारत में अभी ऐसे सख्त नियम नहीं हैं, लेकिन इंडस्ट्री धीरे-धीरे इन्हें अपनाने की कोशिश कर रही है।

शाहरुख खान के कंधे का दर्द आज भी उन्हें परेशान करता है

अभी भी बॉलीवुड में शूटिंग के दौरान सेफ्टी के सही इंतजाम नहीं हैं। हालांकि पहले तो बिल्कुल भी नहीं थे। बॉलीवुड में शुरुआती दौर से ही स्टार्स शूट पर फाइटिंग सीन, स्टंट और एक्शन करने के चलते घायल हो जाते थे। यह सिलसिला अभी भी जारी है।

शाहरुख खान ने फिल्म ‘दूल्हा मिल गया’ में गेस्ट रोल किया था। इस फिल्म में उन्हें गेस्ट रोल निभाना बहुत महंगा पड़ गया था। एक सीन के दौरान उन्हें कंधे में गहरी चोट लगी और आज भी उनके कंधे का दर्द उन्हें परेशान करता है। इतना ही नहीं, फिल्म ‘कोयला’ की शूटिंग के दौरान वे दो बार हादसे का शिकार हुए हैं। फिल्म के एक सीन के दौरान हेलिकॉप्टर शाहरुख खान के इतने करीब से निकला कि वह घायल होकर जमीन पर गिर पड़े। एक सीन के दौरान वह आग की लपटों में घिर गए।

शार्क ने अक्षय कुमार को घेर लिया था

अक्षय कुमार फिल्म ‘ब्लू’ की शूटिंग के दौरान एक हादसे का शिकार हो गए थे। अक्षय कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह बिना ऑक्सीजन टैंक के पानी के अंदर सीन शूट कर रहे थे और इस दौरान उनका सिर एक डूबे हुए जहाज से टकरा गया और खून बहने लगा। पानी में 150 फीट नीचे अक्षय कुमार के खून की गंध से 40-45 शार्क वहां आ गईं और उन्हें घेर लिया। किसी तरह से वह बाल-बाल बचे थे।

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2025-03-04 23:53:34
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