महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स स्कूल और उत्कृष्ट स्कूल मुरैना से 126 स्टूडेंट्स को गुरुवार को ‘मैं भी बाघ’ और ‘हम हैं बदलाव’ थीम पर इको सेंटर देवरी की विजिट करवाई गई। इस अवसर पर प्रतिभागियों को कैंप, अनुभूति पुस्तिका, बाघ के मास्क और पेन वितरित किए गए।
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देवरी जंगल में बच्चों को 1 किमी लंबी नेचर ट्रेल पर ले जाया गया। यहां अनुभूति मास्टर ट्रेनर जीके चंद (सेवानिवृत्त एसडीओ), उपवनमंडल अधिकारी मधु सिंह सिसोदिया, डॉ. विनायक सिंह, और वन परिक्षेत्र अधिकारी श्वेता त्रिपाठी ने बच्चों को जड़ी-बूटियों और जंगल में पाए जाने वाले पेड़-पौधों के उपयोग के बारे में बताया। एक्सपर्ट्स ने बच्चों को बताया कि मध्य प्रदेश को बाघ प्रदेश कहा जाता है क्योंकि यहां देश में सबसे ज्यादा 786 बाघ हैं। बाघ और तेंदुओं की गिनती उनके पदचिन्हों के आधार पर की जाती है।
वन्यजीवों और चंबल की अहमियत बताई चंबल के घड़ियाल केंद्र में ज्योति प्रसाद डंडोतिया ने बच्चों को घड़ियाल और मगरमच्छों के संरक्षण के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। बच्चों को जलीय जीवों और प्रवासी पक्षियों के महत्व से भी परिचित कराया गया। बीएनएचएस के विशेषज्ञ ओमकार जोशी ने इंडियन स्कीमर और अन्य जलीय पक्षियों के जीवन के बारे में विशेष जानकारी दी।
इसके बाद प्रतिभागियों को चंबल सफारी के लिए राजघाट ले जाया गया, जहां बच्चों को बोटिंग कराई गई। सफारी के दौरान बच्चों को जलीय जीव-जंतुओं के पारिस्थितिक महत्व की जानकारी दी गई। सफारी के बाद सभी छात्रों को जैन मंदिर परिसर, मुरैना लाया गया, जहां परीक्षा हुई। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए पुरस्कार और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। अंत में सभी छात्रों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई गई।
देखिए तस्वीरें…
घड़ियाल केंद्र में छात्र
जैन मंदिर में
प्रमाणपत्र लेते हुए
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