1 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन
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2014 में मिस इंडिया अर्थ का खिताब जीत चुकीं मॉडल-अभिनेत्री अलंकृता सहाय अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती हैं।
हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने खुलासा किया कि कैसे एक पंजाबी फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रोड्यूसर के अजीब व्यवहार ने उन्हें असहज कर दिया, जिससे उन्हें फिल्म छोड़नी पड़ी।
बातचीत के दौरान, उन्होंने अपनी प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प किस्से शेयर किए। बता दें, अलंकृता ने बॉलीवुड में डेब्यू फिल्म ‘लव पर स्क्वायर फीट’ से किया था, जिसमें वह विक्की कौशल के साथ नजर आई थीं।

मॉडलिंग और एक्टिंग करियर की शुरुआत
बचपन में मुझे परफॉर्मिंग आर्ट्स का बहुत शौक था। स्कूल में डांस, डिबेट, नाटक – हर चीज में हिस्सा लेती थी। मेरी टीचर और पेरेंट्स ने हमेशा सपोर्ट किया। लेकिन उस वक्त सोचा नहीं था कि एक्टिंग मेरा करियर बनेगी। मेरा सपना तो IAS बनने का था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मैं मुंबई किसी और काम से आई थी, लेकिन यहां का माहौल और इंडस्ट्री की चकाचौंध मुझे खींच लाई। कॉलेज में थिएटर किया था, लेकिन करियर के रूप में इसे कभी नहीं सोचा था। फिर मिस इंडिया का टाइटल जीता और इंटरनेशनल लेवल पर भारत को रिप्रेजेंट किया। तभी अहसास हुआ कि यही मेरा रास्ता है।
उस दिन मेरी मम्मा ने कहा, ‘तुम्हें देश के लिए कुछ करना था, और तुमने कर दिखाया।’ बस, वहीं से जर्नी शुरू हो गई।

विक्की कौशल के साथ पहला फिल्मी अनुभव
दरअसल, हिमेश रेशमिया सर ने मुझे अपने म्यूजिक एल्बम में लॉन्च किया। वह एक बड़ा मौका था, जिससे बॉलीवुड के बड़े लोगों से मिलने का अवसर मिला। इसके बाद टीवी ऐड्स मिले और फिर मेरी पहली फिल्म ‘लव पर स्क्वायर फीट’ मिली, जिसमें मैं विक्की कौशल के साथ नजर आई।
विक्की बहुत अच्छे इंसान हैं। जब हमने साथ काम किया, तब भी वह टैलेंटेड थे और आज तो उनकी एक्टिंग कमाल की हो गई है। उनकी फिल्म में चावला का किरदार देखकर सच में रोंगटे खड़े हो गए। हम अब भी टच में हैं। वह इंस्टाग्राम पर हमारे पोस्ट्स पर कमेंट करते हैं और मैं भी उनकी जर्नी फॉलो करती हूं।
फिल्म के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कोविड ने ब्रेक लगा दिया। बिना फिल्मी बैकग्राउंड के, दोबारा इंडस्ट्री में जगह बनाना मुश्किल था, मगर मैंने हार नहीं मानी।

मिस इंडिया बनने के बाद भी स्ट्रगल
लोग मानते हैं कि अगर लड़की सुंदर है, तो उसमें टैलेंट नहीं होगा। मुझे भी इसी सोच का सामना करना पड़ा। जब मैं मिस इंडिया बनी, तो कुछ लोगों ने कहा, ‘अरे, ये तो सिर्फ एक प्रिटी फेस है, एक्टिंग नहीं कर पाएगी।’
लेकिन मैंने हार नहीं मानी। ऑडिशन दिए, एक्टिंग वर्कशॉप कीं और खुद को साबित किया। ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, सुष्मिता सेन – ये भी मिस इंडिया थीं, लेकिन अपनी मेहनत से उन्होंने खुद को साबित किया। इंडस्ट्री में टिकने के लिए सिर्फ खूबसूरती नहीं, टैलेंट और मेहनत भी चाहिए।

‘नमस्ते इंग्लैंड’ में अर्जुन कपूर के साथ काम करने का अनुभव
अर्जुन बहुत मजेदार इंसान हैं। सेट पर उनका एनर्जी लेवल हमेशा हाई रहता था और उनके आसपास का माहौल कभी भी बोरिंग नहीं होता था। वह को-स्टार्स को कंफर्टेबल फील कराते हैं और शूटिंग के दौरान हंसी-मजाक चलता रहता था। लेकिन जब काम की बात आती थी, तो वह उतने ही प्रोफेशनल और डेडिकेटेड हो जाते थे।
एक खास किस्सा मुझे याद है- हम एक छत पर शूट कर रहे थे और उस दिन मौसम बेहद ठंडा था। मैं ठंड से कांप रही थी, लेकिन अर्जुन ने बिना कुछ कहे अपनी जैकेट उतारकर मुझे दे दी। यह उनकी केयरिंग नेचर को दिखाता है। वह सिर्फ ऑन-स्क्रीन ही नहीं, बल्कि असल जिंदगी में भी बहुत अच्छे इंसान हैं।
मुझे उनकी एक और बात बहुत पसंद आई – जब मेरे पापा का निधन हुआ था, तब अर्जुन ने मुझे मैसेज करके संवेदना जताई थी। इंडस्ट्री में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो निजी स्तर पर भी दूसरों की परवाह करते हैं। अर्जुन ऐसे ही इंसान हैं – बेहद ग्राउंडेड, केयरिंग और दिल से अच्छे।

इंडस्ट्री में बुरा अनुभव
टचवुड, बॉलीवुड में मेरा अब तक का सफर प्रोफेशनल और अच्छा रहा है। लेकिन एक बार पंजाबी फिल्म के दौरान एक अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा था।
दरअसल, मुझे एक पंजाबी फिल्म के लिए साइन किया गया था। प्रोड्यूसर नए थे, लेकिन शुरुआती बातचीत में सब कुछ नॉर्मल लग रहा था। उन्होंने कहा कि शूटिंग चंडीगढ़ में होगी और सबकुछ अच्छे से मैनेज किया जाएगा। मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी थी और कहानी भी ठीक लगी थी, इसलिए मैंने हां कर दी।
मैंने जैसे ही चंडीगढ़ में कदम रखा, माहौल अचानक बदलने लगा। वहां पहुंचते ही एहसास हुआ कि चीजें वैसे नहीं थीं, जैसा मुझे बताया गया था। पहले तो उन्होंने पूछा कि मैं होटल में क्यों ठहरी, जबकि मैंने अपने होटल का खर्चा खुद उठाया था। फिर उनका कहना था कि मुझे उनके बताए हुए जगह पर ही रुकना चाहिए, ताकि मैं ‘टीम के साथ घुल-मिल’ जाऊं। लेकिन मेरे लिए आराम और सुरक्षा ज्यादा जरूरी थी।
इसके बाद बातों का रुख धीरे-धीरे बदलने लगा। छोटी-छोटी चीजों में दखल देने लगे – कहां जाना है, किससे मिलना है, यहां तक कि मेरे कपड़ों और शॉपिंग तक पर सवाल उठाने लगे। ये सब मुझे बहुत अजीब लग रहा था।
एक दिन उन्होंने मुझसे कहा- ‘हमारी हीरोइन को फिल्म की प्रमोशन के लिए हर जगह मौजूद रहना चाहिए। आपको हमारे साथ ही रहना होगा, हमारी तरह से चलना होगा।’ ये सुनकर मैं अंदर तक असहज हो गई। उस वक्त समझ आ गया कि बात सिर्फ प्रोफेशनल कमिटमेंट की नहीं, कुछ और भी है। मैंने तुरंत फिल्म छोड़ने का फैसला किया।
मेरे लिए आत्मसम्मान सबसे जरूरी है। अगर शुरुआत में ही ऐसी बातें हो रही थीं, तो आगे क्या होता, ये सोचकर ही डर लगने लगा। मुझे लगा कि ये लोग मेरे फैसलों को कंट्रोल करना चाहते हैं, जो मुझे किसी भी हाल में मंजूर नहीं था। इसलिए बिना कोई बहस किए, मैंने वहां से निकल जाना ही सही समझा।
कोई फिल्म, कोई करियर, कोई मौका – आत्मसम्मान से बढ़कर नहीं हो सकता।

पापा को खोना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द
पापा को खोना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द था। वह मेरे सबसे बड़े सपोर्ट थे, हमेशा कहते थे – ‘तू कर सकती है।’ उनके जाने के बाद मैंने सब छोड़ दिया, मुंबई तक छोड़ दी, क्योंकि वहां रहना और वही जिंदगी जीना मुमकिन नहीं था।
चंडीगढ़ में दो साल बिताए, लेकिन हर दिन एक ही सवाल – अब आगे क्या? कई बार लगा कि हिम्मत टूट जाएगी, लेकिन पापा ने हमें स्ट्रॉन्ग बनाया था। फिर एक दिन वह मेरे सपने में आए और बस एक शब्द कहा – ‘Go.’ उसी पल मैंने फैसला किया वापस आने का।
आज मैं और मेरी बहन फिर मुंबई में हैं, अपने सपनों को जी रहे हैं, क्योंकि पापा यही चाहते थे – कभी हार मत मानो, कभी मत रुको।
बता दें, अलंकृता अब एक पॉलिटिकल-क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज में नजर आएंगी, जो जल्द ही हॉटस्टार पर रिलीज होगी।
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2025-03-04 00:00:00
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