ललिता के लौट आने से झाबुआ पुलिस प्रशासन भी हैरत में पड़ गई। पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस ने ललिता की हत्या के आरोप में भानपुरा के चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि विवेचना किस ढंग से हुई।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Fri, 21 Mar 2025 06:40:05 PM (IST)
Updated Date: Fri, 21 Mar 2025 06:58:37 PM (IST)
HighLights
- मंदसौर जिले के नावली गांव की ललिता बाई के लौट आने से सब दंग।
- उसे अपहरण कर बेच दिया गया था, जैसे-तैसे वहां से भाग निकली थी।
- ललिता की हत्या के आरोप में अभी चार युवक झाबुआ की जेल में बंद हैं।
टीम नईदुनिया, इंदौर। मंदसौर जिले के गांधीसागर थाना क्षेत्र के नावली गांव की ललिता बाई डेढ़ साल बाद घर लौट आई तो सभी अचंभित रह गए। अचंभा इसलिए कि यह मान लिया गया था कि ललिता की हत्या हो गई है। उनके कथित शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था। ललिता की हत्या के आरोप में चार युवक झाबुआ की जेल में बंद हैं। कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है। ललिता ने गांधीसागर थाना पुलिस को उनके अपहरण, बेचे जाने और बंधक रहने की कहानी भी बता दी है। ललिता ने आधार, वोटर आइडी कार्ड आदि दस्तावेज पुलिस को दिखा दिए हैं। इस बीच, ललिता के घर लौटने से उसके दो बच्चे बहुत खुश हैं।
ललिता, जिसकी कथित तौर पर हत्या हुई थी।
बिना बताए कहीं चली गई थी
ललिता के पिता रमेश ने बताया कि अगस्त, 2023 में ललिता बिना बताए कहीं चली गई थी। उसकी गुमशुदगी गांधीसागर थाने में दर्ज कराई गई थी। नौ सितंबर, 2023 को झाबुआ जिले के थांदला थाना क्षेत्र में एक वीडियो में महिला को ट्रक से कुचलते हुए देखा गया। यह वीडियो बहुप्रसारित होने के बाद थांदला थाने पर संपर्क किया गया। वहां क्षत-विक्षत शव की पहचान ललिता के रूप में हुई। पुलिस ने हत्या के आरोप में भानपुरा निवासी इमरान, शाह रुख, सोनू और एजाज को गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल मामला विचाराधीन हैं और चारों न्यायिक हिरासत में झाबुआ जेल में हैं।
शाह रुख ने पांच लाख रुपये में बेच दिया था
ललिता ने पुलिस को बताया कि घर से जाने के बाद वह दो दिन तो भानपुरा निवासी शाह रुख के साथ रही। उसने उसे कोटा में रहने वाले किसी दूसरे शाह रुख को पांच लाख रुपये में बेच दिया। इसके बाद से वह कोटा में ही बंधक रही। मौका मिला तो वहां से भाग निकली और घर लौट आई। उधर, ललिता को जीवित देखकर स्वजन और ग्रामीण दंग रह गए। कुछ देर तक उन्हें इसका भरोसा ही नहीं हुआ। गांधीसागर थाना प्रभारी तरुणा भारद्वाज ने बताया कि ललिता ने थाने में आकर अपने जीवित होने की सूचना दी है। हमने गांव जाकर आसपास रहने वाले लोगों और परिवार वालों से जानकारी लेते हुए उसकी पहचान करवाई। सभी उसे ललिता ही मान रहे हैं।
बड़ा सवाल- शव किसका था?
सवाल यह है कि वास्तव में जिसका शव मिला था, वह महिला कौन थी ? अब नए सिरे से उक्त महिला की पहचान करनी होगी। साथ ही यह सवाल भी है कि पुलिस की जांच इतनी सतही कैसे रही। ट्रक जब्ती व हत्या की कहानी किस आधार पर गढ़ ली गई?
शव देखकर पिता रमेश ने ही बेटी ललिता के रूप में उसकी पहचान की थी। इसी आधार पर उसे शव सौंपा गया। अब जब ललिता के जिंदा लौटने की सूचना मिल रही है तो पूरे मामले की जांच नए सिरे से करवा रहे हैं। – पद्म विलोचन शुक्ल, एसपी, झाबुआ
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