Xi Jinping On Taiwan: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार (31 दिसंबर) को ताइवान को लेकर धमकी देते हुए साल का अंत किया है. उन्होंने नए साल के मौके पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि ताइवान के साथ एकीकरण को कोई नहीं रोक सकता है. दरअसल, बीजिंग लंबे समय से ताइवान को चीन का हिस्सा बताता रहा है.
चीनी राष्ट्रपति के हालिया बयान और ताइवान के चारों ओर बढ़ते सैन्य अभ्यास ने तनाव को और बढ़ा दिया है. हालिया तीन बड़े सैन्य अभ्यास और ताइवान के हवाई क्षेत्र का बार-बार उल्लंघन करके चीन ने अपने आक्रामक रवैये से बहुत कुछ साफ कर दिया है. ताइवान के अधिकारियों के अनुसार, दिसंबर की शुरुआत में युद्धाभ्यास काफी बड़े पैमाने पर किया गया. हालांकि,बीजिंग ने अभी तक आधिकारिक तौर पर युद्धाभ्यास की कोई पुष्टि नहीं की है. ताइवान के हालिया चुनाव से नाराज बीजिंग ने यह भी कहा है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा.
शी जिनपिंग ने क्या कहा?
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने नए साल के भाषण में कहा, “ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर के चीनी लोग एक परिवार हैं. कोई भी हमारे खून के रिश्तों को नहीं तोड़ सकता है, और कोई भी मातृभूमि के पुनर्मिलन की ऐतिहासिक प्रवृत्ति को नहीं रोक सकता है.”
शी जिनपिंग का यह बयान डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से ठीक तीन सप्ताह पहले दिया गया है, जो अमेरिका और चीन के बीच तनाव को और बढ़ाने का संकेत देता है. अमेरिका, ताइवान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता और रणनीतिक सहयोगी है
चीन और ताइवान का संक्षिप्त इतिहास
कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति से पहले, चीन थोड़े समय के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र था. उस समय जिसे चीन गणराज्य (अब ताइवान का आधिकारिक नाम) के रूप में जाना जाता था. 1912 में चीन गणराज्य की स्थापना किंग राजवंश के पतन के बाद हुई. 1949 में कम्युनिस्ट क्रांति के बाद, माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी चीन का उदय हुआ और राष्ट्रवादी सरकार (कुओमिन्तांग) ताइवान में में चली गई. 1971 तक संयुक्त राष्ट्र ने ताइवान को चीन की वैध सरकार के रूप में मान्यता दी. इसके बाद, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) को यह मान्यता मिली और ताइवान को कूट-नीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया.
ताइवान का लोकतंत्र
ताइवान आज एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन चीन इसे अपना हिस्सा मानता रहा है. ताइवान में 2024 में लोकतांत्रिक राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के चुनाव के बाद चीन ने अपना दबाव और बढ़ा दिया है. ताइवान एशिया में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है. अमेरिका ताइवान को हथियार देता है और उसकी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है.
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