सिमरोल के तलाई नाका क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाई जा रही टनल के लिए अब पत्थरों को तोड़ने की नई तकनीक आजमाई जाएगी, जिससे ब्लास्टिंग न करनी पड़े। इससे तलाई नाका के घरों को कोई नुकसान नहीं होगा। हालांकि इससे काम में समय ज्याद
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निर्माण एजेंसी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) द्वारा पुणे की एक कंपनी श्रीकृष्ण ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता किया जा रहा है। उनकी हाइड्रॉलिक रॉक स्प्लिटर मशीन को यहां प्रोजेक्ट पर लगाया जाएगा। इसकी कीमत साधारण ब्लास्टिंग मशीन के मुकाबले 50% अधिक है।
शुरुआत में पुणे की कंपनी 2 मशीनें भेजेगी
शुरुआत में पुणे की कंपनी 2 मशीनों को भेजेगी। ये मशीन दिखने में साधारण ड्रिलिंग मशीन जैसी दिखती है, लेकिन इसमें लगे अटैचमेंट बड़े पत्थरों को तोड़ने के लिए विशेष रूप से निर्मित हैं। ये मशीनें पहले जमीन में एक पतला गड्ढा बनाएंगी। फिर उस क्रैक को जमीन के अंदर से चौड़ा करेगी। इससे बड़े पत्थर की मजबूती खत्म हो जाएगी और आसानी से तोड़ा जा सकेगा।
15 दिन में फिर से काम शुरू करेंगे
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि 15 दिन में हाइड्रॉलिक रॉक स्प्लिटर के साथ काम शुरू करेंगे। बचे हिस्से में इस माध्यम से काम पूरा करने के लिए 5 महीने लगेंगे। कीमत भी ज्यादा है, लेकिन इस माध्यम से ग्रामीणों को और उनके घरों को कोई नुकसान नहीं होगा।
इलेक्ट्रॉनिक ब्लास्टिंग आजमा चुके
जब टनल का काम शुरू हुआ था, तब यहां डायनामाइट की मदद से साधारण ब्लास्टिंग की जा रही थी। ग्रामीणों के विरोध के बाद यहां ओरिका कंपनी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक ब्लास्टिंग की गई। 28 सितंबर को ब्लास्टिंग के दौरान फिर घरों पर पत्थर उछले तो ब्लास्टिंग को रोक दिया गया। ग्रामीणों ने तब निर्माण एजेंसी के ऑफिस में भी तोड़फोड़ की थी, जिससे कंपनी ने काम बंद कर दिया था। अब नई तकनीक आने के बाद 2 हफ्ते में काम फिर से शुरू करने की तैयारी है।
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