अपील प्राधिकरण ने सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं दिया
याचिका का निराकरण करते हुए अपील प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करने के आदेश जारी किये गये थे। अपील प्राधिकरण ने सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं करते हुए साल 2018 में उसे बर्खास्त कर दिया।
मनमाने तरीके से बर्खास्ती का आदेश पारित किया है
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अपील प्राधिकरण ने मनमाने तरीके से बर्खास्ती का आदेश पारित किया है। मामले में प्राकृतिक न्याय तथा विधि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। एकलपीठ ने कर्मचारी को राहत प्रदान करते हुए उक्त राहतकारी आदेश सुनाया।
हाई कोर्ट ने पटवारी के पद पर नियुक्ति न देने पर मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि याचिकाकर्ता को पटवारी के पद पर नियुक्ति क्यों नहीं दी गई। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मप्र कर्मचारी चयन आयोग के सचिव और जनसंपर्क संचालनालय के संचालक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मप्र कर्मचारी चयन आयोग सहित अन्य को नोटिस
मंडला निवासी पूजा मसराम की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता का चयन पटवारी के पद पर हुआ था। दस्तावेज परीक्षण के दौरान यह कहा गया िक डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लिकेशन के कोर्स में डीटीपी शामिल नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता इस पद की पात्र नहीं है।
डीसीए कोर्स में डीटीपी भी शामिल है
याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकलवाई तो विभाग ने बताया कि डीसीए कोर्स में डीटीपी भी शामिल है। इस जानकारी के साथ उन्होंने विभाग अभ्यावेदन दिया, लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई। लिहाजा, हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
मेडिकली अनफिट बैंक कर्मी के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दें
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ मेडिकली अनफिट होने के कारण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले बैंक कर्मी के पुत्र को क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का राहतकारी आदेश पारित किया है। इसके लिए दो माह की मोहलत दी है।
सागर की शाखा में विशेष सहायत थे
याचिकाकर्ता सागर निवासी बिलाल अख्तर बेहना की ओर से अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद चौधरी व अमित कुमार चौधरी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पिता मोहम्मद इकबाल सेंट्रल बैंक, सागर की शाखा में विशेष सहायत बतौर पदस्थ थे।
आवेदन बैंक की ओर से निरस्त कर दिया गया
मेडिकली अनफिट होने पर उन्होंने 55 वर्ष की आयु में वीआरएस ले लिया। साथ ही अपने पुत्र याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का आवेदन प्रस्तुत कर दिया। यह आवेदन बैंक की ओर से निरस्त कर दिया गया। लिहाजा, याचिका दायर की गई।
नियमानुसार उसका पुत्र अनुकंपा नियुक्ति का हकदार है
जिस पिता ने 30 वर्ष बैंक में सेवा दी, नियमानुसार उसका पुत्र अनुकंपा नियुक्ति का हकदार है। वह 23 वर्षीय स्नातक है। अविवाहित व बेरोजगार है। इसलिए पिता का मिलने वाले सेवानिवृत्ति लाभ के नाम पर परिवार के भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार युवा पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
हनी ट्रैप मामले में आरोपित को हाई कोर्ट से जमानत
हाई कोर्ट ने हनी ट्रैप मामले में आरोपित को जमानत का लाभ दे दिया। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने कहा कि मामले में चार्जशीट पेश हो चुकी है और आरोपी आरोपी लंबे समय से जेल में है। कोर्ट ने आरोपित को प्रत्येक ट्रायल के दौरान उपस्थिति के निर्देश भी दिए।
ओमती पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी
जबलपुर निवासी आरोपी की ओर से अधिवक्ता नवीन ठाकुर, संतोष पासी व अंकुश पटेल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 17 जनवरी, 2023 को ओमती पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि आवेदक महिला युवकों को अपने जाल में फंसा कर उनसे भारी रकम ऐंठती है।
2024 से जेल में है और चालान भी पेश हो चुका
आरोपी 19 फरवरी, 2024 से जेल में है और चालान भी पेश हो चुका है। वहीं अभियोजन की ओर से जमानत पर आपत्ति पेश करते हुए दलील दी गई कि महिला आवेदक के विरुद्ध हरियाणा तक में एफआइआर दर्ज है। यदि जमानत दी गई तो वह पुन: अपराध को दोहराएगी।
हाई कोर्ट ने सास व जेठ को दी राहत
हाई काेर्ट के न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की एकलपीठ ने दहेज हत्या की आरोपित सास सावित्री व जेठ अशोक का दोष सिद्ध नहीं पाया। इसी के साथ दोनों को दोषमुक्त कर दिया गया। आरोपितों की ओर से अधिवक्ता रविंद्र कुमार गुप्ता ने पक्ष रखा।
उनकी पुत्री को दहेज प्रताड़ना दी गई थी
रविंद्र कुमार गुप्ता ने दलील दी कि 1996 में दिनेश का विवाह जिस युवती से हुआ था, उसकी ससुराल आने के कुछ दिन के बाद मृत्यु हो गई। मृतिका के माता-पिता ने आरोप लगाया कि उनकी पुत्री को दहेज प्रताड़ना दी गई थी, इसलिए दहेज हत्या का अपराध पंजीबद्ध किया जाए।
पति सहित अन्य स्वजनों को आरोपित बना लिया
पुलिस ने ठीक से अनुसंधान किए बिना पति सहित अन्य स्वजनों को आरोपित बना लिया। जबकि सास-ससुर व जेठ का इस मामले में कोई सरोकार नहीं था। उनकी ओर से दहेज के लिए प्रताड़ित किए जाने के ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए।
सास व जेठ अब तक बेगुनाही साबित करने में जुटे हैं
पति व ससुर की मामला अदालत में विचाराधीन रहने के दौरान मृत्यु हो चुकी है। लेकिन सास व जेठ अब तक बेगुनाही साबित करने में जुटे हैं। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर राहत दे दी।
सेवानिवृत्त शिक्षकों को अर्जित अवकाश राशि का भुगतान करें : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने सेवानिवृत्त शिक्षकों के हक में राहतकारी आदेश पारित किया। इसके अंतर्गत दो माह के भीतर 300 दिन के अर्जित अवकाश की राशि का भुगतान करने के निर्देश दे दिए।
शासकीय सेवकों को 300 दिन का अर्जित अवकाश देय
डिंडौरी निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक सुखराम चंद्रवंशी, आशा रावत, नेम सिंह सैयाम, बसंत लाल परस्ते, लखन सिंह मरावी व रूपलाल चंदेल की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखा। अनिरुद्ध पांडे ने दलील दी कि मध्य प्रदेश शासन, वित्त विभाग द्वारा आठ मार्च, 2019 को जारी परिपत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि एक जुलाई, 2018 के बाद शासकीय सेवकों को 300 दिन का अर्जित अवकाश देय है।
परिपत्र की शर्तों के अनुरूप यह लाभ मिलेगा
यदि सेवा-पुस्तिका में दर्ज नहीं है तो भी परिपत्र की शर्तों के अनुरूप यह लाभ मिलेगा। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिकाकर्ताओं को राहत दे दी।
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