मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में पिछले दो साल से हाथियों का आतंक है। छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथियों के झुंड ने आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थित बैगा और गोंड समुदाय के घरों को निशाना बनाया है। बचने के लिए ग्रामीणों को अपना अनाज और रोजमर्रा की जरूरत का साम
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धुरवासिन ग्राम पंचायत के देवलाल बैगा और लालबहादुर सिंह गोंड के परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन परिवारों के ईंट-मिट्टी से बने कच्चे मकानों को हाथियों ने पिछले दो साल में चार बार तोड़ा है। हाथी न केवल घरों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अंदर रखे खाद्य सामग्री को भी खा जाते हैं।
देवलाल बैगा को केवल एक बार सहायता राशि मिली है, जबकि लालबहादुर सिंह को चार बार हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। पिछले 20 दिनों से छत्तीसगढ़ से आए दो हाथी फिर से क्षेत्र में सक्रिय हैं।
हाथियों के लगातार हमलों से त्रस्त ये परिवार अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मजबूरी यह है कि वे अपना सारा सामान पेड़ों पर टांगकर रखने को विवश हैं।
हाथी आदिवासी परिवारों के घरों को भी तोड़ जाते हैं।
लोगों को मजबूरी में इस तरह पेड़ पर टांगकर सामग्री रखनी पड़ रही है।
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