इजराइल फिलिस्तीन विवाद चल रहे हैं, ऐसे दौर में नेहरू की प्रासंगिकता बढ़ जाती है। नेहरूजी के काल में भारत के पड़ोसी देशों से संबध अच्छे थे, आज उतने मधुर नहीं हैं। अत: हमें अपनी विदेश नीति में सुधार करना होगा।
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ये विचार विभिन्न वक्ताओं के हैं जो उन्होंने नेहरू, पंचशील और विश्व शांति विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहे। आयोजन अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन ने श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति सभागार में किया था। मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, भोपाल के अध्यक्ष पलाश सुरजन ने कहा कि आज भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में जो खटाश बढ़ रही हैं, ऐसे समय में पंडित नेहरू याद आते हैं जो, हमेशा विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुंबकम् की बातें करते थे। पंडित नेहरू मानवतावादी थे।
मंच पर बैठे अतिथि
प्रख्यात कहानीकार, उपन्यासकार एवं पत्रकार डॉ. अमिता नीरव ने कहा कि आज चारों ओर युद्ध और विवाद हो रहे हैं, जो तीसरे विश्व युद्ध की आहट हैं। एक तरफ रूस, चीन और ईरान का गुट है तो दूसरी तरफ अमेरिका है जो तनाव के साथ अशांति बढ़ा रहे हैं। ऐसे समय पंडित नेहरू बरबस याद आते हैं। नेहरू देश के प्रथम प्रधान मंत्री ही नहीं थे, बल्कि देश के निर्माता थे। उन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया। नेहरू ने जो पंचशील के सिद्धांत दिए, वे दुनिया के लिए शांति के संदेश थे।
समारोह में उपस्थित विशिष्टजन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव एवं पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने कहा कि पंडित नेहरू महान शख्सियत, दार्शनिक और साहित्यकार थे। विषय प्रवर्तन अरविंद पोरवाल ने किया। सुरेश उपाध्याय, श्याम सुंदर यादव ने भी संबोधित किया। संचालन विवेक मेहता ने किया तथा आभार राहुल निहोरे ने माना।
संबोधित करते वक्ता
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