श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति ने हिंदी साहित्य के कालजयी साहित्यकारों का 90वां पुष्प कालजयी स्मरण श्रृंखला में इलाचंद्र जोशी को समर्पित किया। उनका जीवन परिचय देते हुए प्रचारमंत्री हरेराम वाजपेयी ने बताया कि हिंदी में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों के जनक
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इनके संदर्भ में डाॅ. अखिलेश राव ने कहा कि इलाचंद्र जोशी एक साहित्यिक प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार के रूप में जाने जाते रहे। उन्होंने ’जहाज का पंछी’ कृति पर प्रकाश भी डाला। अरविंद जोशी ने कहा कि इलाचंद्र जोशी ने सर्वप्रथम अपने उपन्यासों को मनोवैज्ञानिक स्वरूप देना शुरू किया, उनके पात्र निम्न और मध्यम वर्ग के अधिक हैं। वो चरित्र की बारीकियां बताने में सिद्धहस्त रहे। उन्हें रेगिस्तान में शहर बसाने वाला साहित्यकार माना जाता रहा। भरत कुमार ने उनके कई उपन्यासों की चर्चा की और कहा कि कई प्रसिद्ध विदेशी साहित्यकारों में एक भारतीय ने अपना स्थान बनाया, वो आकाशवाणी में भी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डाॅ. आभा होलकर ने अपनी पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि इलाचंद्र जोशी का साहित्य हमको प्रभावित करता है। इस अवसर पर विजय खंडेलवाल, नयन राठी, राघवेंद्र दुबे, अरविंद्र ओझा, डाॅ. पुष्पेंद्र दुबे, उमेश पारीख आदि उपस्थित थे। साहित्यकारों ने इलाचंद्र जोशी के चित्र का भी अनावरण किया।
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