भारत के ग्रामीण अंचलों में कई कहानियां छिपी हैं। अगर हम इन पर काम करें और इन्हें पर्दे पर लाने की कोशिश करें तब हमारा सिनेमा वाकई समावेशी और मौलिक बन सकता है।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Sat, 30 Nov 2024 05:04:45 PM (IST)
Updated Date: Sat, 30 Nov 2024 05:09:47 PM (IST)
HighLights
- लघु फिल्म में संगीत के माध्यम से कहानी कही गई है।
- यह दर्शकों, समीक्षकों की भी खूब तारीफ बटोर रही है।
- धानी गुप्ता ने कसक को बेहद संजीदगी से निभाया है।
जोरम और बाटला हाउस फिल्मों से प्रसिद्धि बटोर चुके बिहार के अभिनेता अमरेंद्र शर्मा आजकल अपनी नई शॉर्ट फिल्म ‘रसप्रिया एगो प्रेम कहानी’ का प्रचार कर रहे हैं। इसी कड़ी में अभिनेता अमरेंद्र ने दिल्ली के गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और दिल्ली के मालवीय नगर में इस शॉर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर पत्रकार प्रेरणा कुमारी से बातचीत के दौरान अमरेंद्र शर्मा ने कहा कि रसप्रिया लघु फिल्म दरअसल हिंदी सिनेमा में आंचलिकता को अभिव्यक्त करने की कोशिश है।
उनका कहना है कि भारत के ग्रामीण अंचलों में कई कहानियां छिपी हैं। अगर हम इन पर काम करें और इन्हें पर्दे पर लाने की कोशिश करें तब हमारा सिनेमा वाकई समावेशी और मौलिक बन सकता है।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि हिंदी फिल्मों में बिहार को एक खास नज़रिए और खास संदर्भ में ही पेश किया जाता है जिसमें हिंसा, कानून-व्यवस्था दिक्कतें और लूटपाट-अपराध को ही दिखाया जाता है। यह शॉर्ट फिल्म राज्य की अनगढ़ मासूमियत को स्क्रीन पर उतारती है।
बिहार के मूर्धन्य लेखक फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी पर आधारित इस लघु फिल्म में संगीत के माध्यम से कहानी कही गई है।
अमरेंद्र का कहना है कि वह बिहार मे जब रंगमंच से जुड़े थे, तभी से फणीश्वर नाथ की कृतियों पर आधारित कई नाटकों में काम कर चुके हैं।
उनका तभी से यह सपना था कि फणीश्वर की कहानियों को स्क्रीन पर उतारा जाए। हिंदी फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी भी इस फिल्म से जुड़े हुए हैं।
इस फिल्म में निर्देशन, गायन और अभिनय की जिम्मेदारी अमरेंद्र शर्मा ने खुद संभाली है, वहीं नायिका धानी गुप्ता ने भी अधूरे प्रेम की कसक को बेहद संजीदगी से निभाया है।
फिल्म में आंचलिक भाषा में लिखे गए गाने को आधुनिक संगीत के फ़्यूज़न के साथ पेश किया गया है। यह फिल्म आम दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों की भी खूब तारीफ बटोर रही है।
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